Wednesday, January 30, 2013

केवल मुसलमानों द्वारा ही क्यों इस फिल्म का विरोध किया जा रहा है ?

कुछ फिल्मों में औरतों को वेश्यावृति करते हुए दिखाया जाता है |


#औरतों ने तो कभी इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई |

किसी फिल्म में वैश्य वर्ग के लोगों को सूदखोर, लालची और बेईमान दिखाया जाता है|

#वैश्य और बनियाओं ने तो कभी इसका विरोध नहीं किया|

पंडितों को पाखंडी और धूर्त दिखाया जाता है इनकी तो कभी भावनाएं आहत नहीं हुई |

ठाकुरों को क्रूर, अत्याचारी और डाकू दिखाया जाता है | इस वर्ग ने तो कभी न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटाया |

कमल हसन ने "विश्वरूपम" में आंतकवाद को दिखाया है, वह भी अफगानिस्तान के | जो कि दुनिया में आतंकवाद की फैक्ट्री के रूप में जाना जाता है | ऐसे में हमारे देश के मुसलामानों की भावनाएं कैसे आहत हो गई ??

समझ के परे है |

हर कोई जानता है कि आंतकवाद का कोई धर्म या मजहब नहीं होता, मुसलमान भी ऐसा कहते हैं और हम भी ऐसा ही मानते हैं, और मैंने अभी तक फिल्म देखी नहीं है, मगर मुझे पूरा विश्वास है कि फिल्म में आंतकवाद तो जरुर दिखाया गया होगा, मगर उसको
कतई भी मुसलमानों के साथ नहीं जोड़ा गया होगा,  फिर क्यों मुसलमान उस आंतकवाद को अपने से जोड़ते हैं ?? या ये कहें कि कहीं ना कहीं खुद मुसलमानों के दिल में ये बात बैठ चुकी है कि आंतकवाद को केवल मुसलमानों द्वारा ही पैदा किया जाता है ?

जब आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, तो आप आतंकवादियों को अपने धर्म से जोड़ते ही क्यों हो ?

आंतकवादी होने की संज्ञा तो कांग्रेस द्वारा सिखों और हिन्दुओं को भी दी जा चुकी है, तो क्या किसी ने देखा कि किसी सिख समुदाए या किसी हिन्दू समुदाय ने इस फिल्म का विरोध किया हो ?

केवल मुसलमानों द्वारा ही क्यों इस फिल्म का विरोध किया जा रहा है ? आंतकवादी तो कोई भी हो सकता है, फिर क्यों इस फिल्म में दिखाए गए आंतकवाद को मुसलमान समाज द्वारा अपने से जोड़ा जा रहा है ??

मुसलमान मित्रों से जवाब की आश रहेगी !

जय हिन्द, जय भारत

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