Sunday, October 27, 2013

इस्लाम में जातिवाद

2 मिनट समय देकर आखिर तक पढे। नफरत फैलाना पोस्ट का मकसद नहीं है, लेकिन ज्ञान के अभाव मे हमारे हिन्दू बच्चे जिनको हमारी संस्कृति का ज्ञान नहीं है , वो हीन भावना महसूस करते है, उनके लिए इस्लाम में जातिवाद” के कुछ कड़वे तथ्य आपके सामने ....

१. जबसे इस्लाम मज़हब बना है तभी से “शिया और सुन्नी” मुस्लिम एक दूसरे की जान के दुश्मन हैं, यह लोग आपस में लड़ते-मरते रहते हैं ...!!

२. अहमदिया, सलफमानी, शेख, क़ाज़ी, मुहम्मदिया, पठान आदि मुस्लिमों की जातियां हैं, और हंसी की बात, यह एक ही अल्लाह को मानने वाले, एक ही मस्जिद में नमाज़ नहीं पढते !!! सभी जातियों के लिए अलग अलग मस्जिदें होती हैं .!!
३. सउदी अरब, अरब अमीरात, ओमान, कतर आदि अन्य अरब राष्ट्रों के मुस्लिम पाकिस्तान, भारत और बंगलादेशी मुस्लिमों को फर्जी मुसलमान
मानते हें और इनसे छुआछूत मानते हैं । सउदी अरब मे ऑफिसो मे भारत और पाक के मुसलमानों के लिए अलग पानी रखा रखता है |
४. शेख अपने आपको सबसे उपर मानते हैं और वे किसी अन्य जाति में निकाह नहीं करते.
५. इंडोनेशिया में १०० वर्षों पूर्व अनेकों बौद्ध और हिंदू परिवर्तित होकर मुस्लिम बने थे, इसी कारण से सभी इस्लामिक राष्ट्र, इंडोनेशिया से घृणा की भावना रखते हैं..
६. क़ाज़ी मुस्लिम, ''भारतीय मुस्लिमों'' को मुस्लिम ही नहीं मानते... क्यूंकि उन का मानना है के यह सब भी हिंदूधर्म से परिवर्तित हैं !!!
७. अफ्रीका महाद्वीप के सभी इस्लामिक राष्ट्र जैसे मोरोक्को, मिस्र, अल्जीरिया, निजेर,लीबिया आदि राष्ट्रों के मुस्लिमों को तुर्की के मुस्लिम सबसे निम्न मानतेहैं ।
८. सोमालिया जैसे गरीब इस्लामिक राष्ट्रों में अपने बुजुर्गों को ''जीवित'' समुद्र में बहाने की प्रथा चल रही है!!!
९. भारत के ही बोहरा मुस्लिम किसी भी मस्जिद में नहीं जाते, वो मात्र मज़ारों पे जाते हैं... उनका विश्वास सूफियों पे है... अल्लाह पे नहीं !!
१०. मुसलमान दो मुखय सामाजिक विभाग मानते हैं-
१. अशरफ अथवा शरु और २. अज़लफ।
अशरफ से तात्पर्य है 'कुलीन' और शेष अन्य मुसलमान जिनमें व्यावसायिक वर्ग और निचली जातियों के मुसलमान शामिल हैं, उन्हें अज़लफ अर्थात् नीच
अथवा निकृष्टव्यक्ति माना जाता है। उन्हें कमीना अथवा इतर कमीन या रासिल, जो रिजाल का भ्रष्ट रूप है, 'बेकार' कहा जाता है।
कुछ स्थानों पर
एक तीसरा वर्ग 'अरज़ल' भी है, जिसमें आने वाले व्यक्ति सबसे नीच समझे जाते हैं। उनके साथ कोई भी अन्य मुसलमान मिलेगा- जुलेगा नहीं और
न उन्हें मस्जिद और सार्वजनिक कब्रिस्तानों में प्रवेश करने दिया जाता है।
१. 'अशरफ' अथवा उच्च वर्ग के मुसलमान (प) सैयद, (पप) शेख, (पपप) पठान, (पअ) मुगल, (अ)मलिक और (अप) मिर्ज़ा।

२. 'अज़लफ' अथवा निम्न वर्ग के मुसलमान......
(A) खेती करने वाले शेख और अन्य वे लोग जोमूलतः हिन्दू थे,
किन्तु किसी बुद्धिजीवी वर्ग से सम्बन्धित नहीं हैं और जिन्हें अशरफ समुदाय, अर्थात् पिराली और ठकराई आदि में प्रवेश नहीं मिला है।
(B) दर्जी, जुलाहा, फकीर और रंगरेज।
(C) बाढ़ी, भटियारा, चिक, चूड़ीहार, दाई,धावा, धुनिया, गड्डी, कलाल, कसाई, कुला, कुंजरा,लहेरी, माहीफरोश, मल्लाह, नालिया, निकारी।
(D) अब्दाल, बाको, बेडिया, भाट, चंबा, डफाली, धोबी, हज्जाम, मुचो, नगारची, नट, पनवाड़िया, मदारिया, तुन्तिया।

३. 'अरजल' अथवा निकृष्ट वर्ग भानार, हलालखोदर,हिजड़ा, कसंबी, लालबेगी,
मोगता, मेहतर।
अल्लाह एक, एक कुरान, एक .... नबी !
और महान एकता..... बतलाते हैं स्वंय में ?
जबकि, मुसलमानों के बीच, शिया और सुन्नी सभी मुस्लिम देशों में एक दूसरे को मार रहे हैं .
और, अधिकांश मुस्लिम देशों में.... इन दो संप्रदायों के बीच हमेशा धार्मिक दंगा होता रहता है..!
इतना ही नहीं... शिया को.., सुन्नी मस्जिद में जाना मना है .
इन दोनों को.. अहमदिया मस्जिद में नहीं जाना है.
और, ये तीनों...... सूफी मस्जिद में कभी नहीं जाएँगे.
फिर, इन चारों का मुजाहिद्दीन मस्जिद में प्रवेश वर्जित है..!
किसी बोहरा मस्जिद मे कोई दूसरा मुस्लिम नहीं जा सकता .
कोई बोहरा का किसी दूसरे के मस्जिद मे जाना वर्जित है ..
आगा खानी या चेलिया मुस्लिम का अपना अलग मस्जिद होता है .

सबसे ज्यादा मुस्लिम किसी दूसरे देश मे नही बल्कि मुस्लिम देशो मे ही मारे गए है ..
आज भी सीरिया मे करीब हर रोज एक हज़ार मुस्लिम हर रोज मारे जा रहे है .
अपने आपको इस्लाम जगत का हीरों बताने वाला सद्दाम हुसैन ने करीब एक लाख कुर्द मुसलमानों को रासायनिक बम से मार डाला था ...
पाकिस्तान मे हर महीने शिया और सुन्नी के बीच दंगे भड़कते है ।
और इसी प्रकार से मुस्लिमों में भी 13 तरह के मुस्लिम हैं, जो एक दुसरे के खून के प्यासे रहते हैं और आपस में बमबारी और मार-काट वगैरह... मचाते रहते हैं.

*****अब आइये ... जरा हम अपने हिन्दू/ सनातन धर्म को भी देखते हैं.
हमारी 1280 धार्मिक पुस्तकें हैं, जिसकी 10,000 से भी ज्यादा टिप्पणियां और १,00.000 से भी अधिक उप- टिप्पणियों मौजूद हैं..!
एक भगवान के अनगिनत प्रस्तुतियों की विविधता, अनेकों आचार्य तथा हजारों ऋषि-मुनि हैं जिन्होंने अनेक भाषाओँ में उपदेश दिया है..
फिर भी
हम सभी मंदिरों मेंजाते हैं, इतना ही नहीं.. हम इतने शांतिपूर्ण और सहिष्णु लोग हैं कि सब लोग एक साथ मिलकर सभी मंदिरों और सभी भगवानो की पूजा करते हैं .
और तो और.... पिछले दस हजार साल में धर्म के नाम पर हिंदुओं में आपस में धर्म के नाम पर "कभी झगड़ा नहीं" हुआ .
इसलिए इन लोगों की नौटंकी और बहकावे पर मत जाओ...
और.... "गर्व से कहो हम हिन्दू हैं"..

सीरिया के दो तस्वीरे -



सीरिया के दो तस्वीरे -
पहले चित्र में इस छोटी सी बच्ची को सुन्नी विद्रोही लड़ाकों ने चैन से बांधकर इसके सामने इसके माँ बाप को काट डाला क्योंकि यह एक शिया परिवार से सम्बन्ध रखती थी!
और
दूसरी तस्वीर कुछ ही दिन पहले सीरिया से जारी हुई है जिसमे सुन्नी विद्रोहियों ने इस छोटी सी बच्ची का दिल निकाला और उसे खा लिया ..!!!Their children now, your children tomorrow

कुरबानी या हत्या की ट्रेनिंग !

कुरबानी या हत्या की ट्रेनिंग ! 





मुसलमान कई त्यौहार मानते हैं . जिनमें "ईदुज्जुहा "प्रसिद्ध और प्रिय त्योहर माना जाता है . भारत में इसे "बकरीद " भी कहते हैं .अरबी में ईदुज्जुहा का अर्थ बलिदान ( Sacrifice ) नहीं बल्कि " पशुवध का आनंद "( Joy of slaughter ) हैं.क्योंकि इसमें लाखों जानवरों का क़त्ल होता है .मुसलमानों का दावा है कि यह त्यौहार नबी इब्राहीम की अल्लाह के प्रति निष्ठा, भक्ति और उनके लडके इस्माइल की कुर्बानी को याद करने के लिए मनाया जाता है .और मुहम्मद साहब उसी इस्माइल के वंशज थे .चूँकि इब्राहीम की कथा इस्लाम से पहले की है और इब्राहीम के बारे में जो सही जानकारी बाइबिल , कुरान और हदीसों से मिलती वह इस प्रकार है .
1-इब्राहीम का परिचय
इब्राहीम إبراهيم का काल लगभग 2000 साल ई ० पू से 1500 ई० पूर्व माना जाता है . इसके पिता का नाम मुसलमान "आजर آذر" और यहूदी "तेराह Terah"( תָּרַח )बताते है .इब्राहीम " ऊर " शहर में पैदा हुआ था . जो हारान प्रान्त में था . वहां से इब्राहीम कनान प्रान्त में जाकर बस गया था .और उसके साथ उसकी बहिन ( पत्नी ) और भतीजा लूत भी आगये थे .इब्राहिम को एक गुलाम लड़की " हाजरा " मिली थी . जिस से उसने इस्माइल नामक लड़का पैदा किया था .जिसे मुहम्मद का पूर्वज माना जाता है . इब्राहीम और सारह से जो लड़का हुआ था उसका नाम "इसहाक " था .मुसलमान इनको नबी मानते हैं .यहूदी इसे अबराहाम(אַבְרָהָם ) कहते हैं . जिसका अर्थ है जातियों का बाप .मुसलमान इब्राहीम को एक ,सदाचारी ,सत्यनिष्ठ ,और अल्लाह का परम भक्त नबी कहते हैं .लेकिन वास्तविकता यह है कि,
1-इब्राहीम का देशत्याग
जब इब्राहीम अपने हारान देश को छोड़ कर कनान जाने लगा ,तो उसके साथ , लूत ,साराह अपनी सम्पति भी ले गया और वहीँ बस गया "बाईबिल .उत्पत्ति 12  से 5
2-इब्राहीम झूठा और स्वार्थी था
अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने बताया , इब्राहीम झूठ बोलते थे .उनके प्रसिद्ध तीन झूठ इस प्रकार हैं ,एक मैं बीमार हूँ , दूसरा मैंने मूर्तियाँ नहीं तोड़ी . यह दोनो झूठ अल्लाह के लिए बोले थे . और तीसरा झूठ सराह के बारे में था , कि यह मेरी बहिन है .
"حَدَّثَنَا مُحَمَّدُ بْنُ مَحْبُوبٍ، حَدَّثَنَا حَمَّادُ بْنُ زَيْدٍ، عَنْ أَيُّوبَ، عَنْ مُحَمَّدٍ، عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ ـ رضى الله عنه ـ قَالَ لَمْ يَكْذِبْ إِبْرَاهِيمُ ـ عَلَيْهِ السَّلاَمُ ـ إِلاَّ ثَلاَثَ كَذَبَاتٍ ثِنْتَيْنِ مِنْهُنَّ فِي ذَاتِ اللَّهِ عَزَّ وَجَلَّ، قَوْلُهُهَاجَرَ فَأَتَتْهُ، وَهُوَ قَائِمٌ يُصَلِّي، "

Sahih Al- Bukhari, Vol.4, Bk 55-Hadith No 578, Translation by Dr. Muhsan Khan

इब्राहीम के तीन झूठ यह हैं ,
1-जब इब्राहीम ने चुपचाप देवताओं की मूर्तियाँ तोड़ दी ,और लोगों ने पूछा बताओ क्या यह काम तुमने किया है .तो इब्राहीम बोला मैंने नहीं यह तो सबसे बड़े देवता का काम है "सूरा -अम्बिया 21 :62 से 63
2-जब लोगों ने इब्राहीम के पूछा कि तुम्हारा अल्लाह यानी दुनिया के स्वामी के बारे में क्या विचार है ,इब्राहीम आकाश के तारों को देखता रहा , और बोला मैं तो बीमार हूँ "सूरा -अस सफ्फात 37 :87 से 89
3-इब्राहीम ने साराह के बारे में कहा बेशक यह मेरी बहिन है , और मेरे बाप की बेटी है ,लेकिन मेरी सगी माँ की बेटी नहीं है .इसलिए अब यह मेरी पत्नी बन गयी है " बाइबिल .उत्पत्ति 20 :13
3-इब्राहीम पर लानत
जो भी अपनी बहिन के साथ सहवास करे उस पर लानत , चाहे वह उसकी सगी बहिन हो या सौतेली .तो सब ऐसे व्यक्ति पर लानत करें और कहें आमीन '
बाइबिल .व्यवस्था 27 :22
तुम पर हराम हैं , तुम्हारी बहिनें " सूरा -निसा 4 :23
4-इब्राहीम का पापी परिवार
इब्राहीम के काबिले में लड़कों के साथ कुकर्म करने का रिवाज था और उसका भतीजा लूत भी ऐसा था . इस कुकर्म को लूत के नाम से "लावातत" कहा जाता है .इनकी लीला दखिये ,
एक दिन कुछ सुन्दर लडके लूत से मिलने आये ,तो उन्हें देख कर लोग आगये .इस से लूत चिंतित हो गया .और उन लोगों को रोकना कठिन होने लगा .क्योंकि वहां के लोग लड़कों के साथ कुकर्म " Sodomy" करते थे . लूत ने उन लोगों से कहा इन लड़कों को छोडो यह मेरी बेटियां हैं यह इस काम के लिए अधिक उपयोगी हैं .लेकिन लोग बोले तू जानता है कि हमें क्या पसंद है "सूरा -हूद 11 :77 और 78
जिस तरह इब्राहीम ने अपनी बहिन से सहवास किया था उसका भतीजा लूत भी महा पापी था .यह बाइबिल बताती है .
"एक रात लूत की लड़कियों ने तय किया कि आज हम अपने पिता को खूब शराब पिलायेंगे .और उसके साथ सहवास करेंगे .पहले एक लड़की बाप के साथ सोयी , फिर बारी बारी से सभी बाप के साथ सोयीं .इस तरह सभी अपने बाप से गर्भवती हुयीं "बाईबिल -उत्पत्ति 19 :30 से 36
5-इब्राहीम की रखैल हाजरा
इब्राहीम सदाचारी नहीं था ,यह जानकर शैतान ने एक लड़की हाजरा इब्राहीम के पास भेज दी थी .इस से इब्राहीम ने सहवास किया था .
अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा है , शैतान ने ही हाजरा को इब्राहीम के पास इसलिए भेजा था कि वह उसे दासी के रूप में स्वीकार कर लें .और जब वह इब्राहीम के पास गयी तो इब्राहीम बोला . अल्लाह ने मुझे एक लड़की दासी भेज दी है .

"وقال: 'لقد بعث الله لي الشيطان. اصطحابها إلى إبراهيم وهاجر تعطي لها ". جاء ذلك عادت لإبراهيم وقال: "الله أعطانا فتاة الرقيق للخدمة "

Sahih al-Bukhari, Volume 3, Book 34, Number 420

6-इस्माइल की झूठी पैदायश
चूँकि उस समय काफी बूढ़ा हो चूका था , और उसकी पत्नी सारह बाँझ थी ,इसलिए इब्राहीम और हाजरा ने मिलकर एक साजिश रची और कहीं से एक ताजा बच्चा लोगों को दिखा दिया , कि यह बच्चा हाजरा ने पैदा किया है .और इब्राहिम ने उस बच्चे का नाम इस्माइल रखा था .
एक दिन इब्राहीम तड़के भोर में उठा ,और अँधेरे में हाजरा को तैयार किया .और उसे एक बच्चा दिया .फिर हाजरा ने उस बच्चे को झाड़ियों में छुपा दिया .और हाजरा इस तरह से चिल्लाने लगी जैसे बच्चा जनने की पीड़ा हो रही हो .और जब बच्चे के रोने की आवाज लोगों ने सुनी तो लोगों ने समझा हाजरा ने बच्चे को जन्म दिया है "बाइबिल .उत्पत्ति 21 :14 से 17
7-अरब हराम की औलाद हैं
अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा कि पहले तो हाजरा सारह के पास गयी .फिर इब्राहीम के पास चली गयी .उस समय इब्राहीम काम कर रहे थे .उन्होंने सारह से इशारे से पूछा कि यह किस लिए आयी है . साराह ने कहा यह तुम्हारी दासी है .और सेवा करेगी .अबू हुरैरा ने कहा इस बातको सुनते ही रसूल ने मौजूद सभी श्रोताओं से कहा , सुन लो सभी अरब उसी हाजरा की संतानें हो "

"ثم القى رجال هاجر كخادمة بنت لسارة. جاء سارة الظهر (لإبراهيم)، في حين كان يصلي. إبراهيم وهو يشير بيده، سأل: "ما الذي حدث؟" أجابت، "والله مدلل المؤامرة الشريرة للكافر (أو شخص غير أخلاقي) وأعطاني هاجر للخدمة." (أبو هريرة ثم خاطب مستمعيه قائلا: "هذا (حجر) كان أمك يا بني ما هو بين سما (أي العرب، من نسل إسماعيل، ابن هاجر)."

Bukhari-Volume 4-Book 55: Prophets-Hadith 578
Eng Reference : Sahih al-Bukhari 3358

चूँकि मुहम्मद साहब खुद को भी इब्राहीम के नाजायज ,पुत्र और शैतान द्वारा भेजी गई औरत हाजरा के लडके इस्माइल का वंशज मानते थे .और खुद को इब्राहीम कि तरह रसूल साबित करना चाहते थे .इसलिए उन्होंने इसके लिए इब्राहीम द्वारा की इस्माइल की क़ुरबानी की कहानी का सहारा लिया .

8-क़ुरबानी का सपना
इब्राहीम के पूर्वज अंधविश्वासी थे और सपने की बातों को सही समझ लेते थे .बाइबिल और कुरान में ऐसे कई उदहारण मिलते हैं ,जैसे
"यूसुफ ने पिता से कहा कि रात को मैंने एक सपना देखा कि ग्यारह तारे .सूरज और चाँद मुझे सिजदा कर रहे हैं , यह उन कर पिता ने कहा तुम इस सपने की बात अपने भाइयों से नहीं कहना .ऐसा न हो वह कोई साजिश रचें " सूरा-यूसुफ 12 :4 -5
ऐसा ही सपना इब्राहीम ने देखा ,और सच मान बैठा ,कुरान में लिखा है
जब इब्राहीम का लड़का चलने फिरने योग्य था , तो इब्राहीम ने उस से कहा बेटा मैंने सपने में देखा कि जसे मैं तुझे जिबह कर रहा हूँ ,बोल तेरा क्या विचार है "
सूरा -अस सफ्फात 37 :102
(अरबी में "इन्नी उज्बिहुक انّي اُذبحك" तेरी गर्दन पर छुरी फिरा रहा हूँ )

9-अल्लाह ने क़ुरबानी रोकी
जब इब्राहीम ने अपने बेटे का गला काटने के लिए छुरी हाथ में उठायी ,तो एक फ़रिश्ता पुकारा ,हे इब्राहीम तुम लडके की तरफ हाथ नहीं बढ़ाना .हमें यकीं हो गया कि तू ईश्वर से डरता है .बाइबिल -उत्पत्ति 22 :10 से 12
हमने कहा हे इब्राहीम तूने तो सपने को सच कर दिया .यह तो मेरी परीक्षा थी .और फिर हमने एक महान क़ुरबानी कर दी "सूरा 37 :105 से 107
( नोट - इन आयतों में कहीं पर किसी जानवर का उल्लेख नहीं है ,और न मैंढे का नाम है)

10- गाय की कुर्बानी
जब अल्लाह ने मूसा से कहा कि एक गाय को जिबह करो ,तो लोग बोले क्या तू हमें अपमानित कर रहा है .लेकिन जब लोग मूसा के कहने पर गाय जिबह कर रहे थे तब भी उनके दिल काँप रहे थे . सूरा -बकरा 2 :67 और 71
गाय की क़ुरबानी ( ह्त्या ) का एक वीडियो देखिये
http://www.youtube.com/watch?v=rgrB9X_mINU&feature=related
(नोट -इस आयत की तफ़सीर में लिखा है ,उस समय मिस्र में किब्ती ( Coptic ) लोग रहते थे जो गाय की पूजा करते थे .इसी लिए अल्लाह ने उनकी आस्था पर प्रहार करने और उनका दिल दुखाने के लिए गाय की कुर्बानी का हुक्म दिया था .जिसे रसूल ने भी सही मान लिया था .हिन्दी कुरान .पेज 137 टिप्पणी संख्या 24 मक्तबा अल हसनात रामपुर )
इन सभी प्रमाणों से सिद्ध होता है ,कि 1 . इब्राहीम को झूठ बोलने की आदत थी .और सगी बहिन से शादी करके महापाप किया था , और बाइबिल के मुताबिक यह काम लानत के योग्य है .2 .यातो इब्राहीम ने सपने में लड़के की क़ुरबानी की होगी या शैतान के द्वारा भेजी हाजरा के फर्जी पुत्र की क़ुरबानी की होगी .3 .इस झूठी कहानी को सही मान कर जानवरों का क़त्ल करना उचित नहीं है .4 .अल्लाह इब्राहीम और लूत जैसे पापियों को ही रसूल बनाता है .5 .सारे अरब के लोग इसलिए अपराधी होते हैं क्योंकि वह इब्राहीम के उस नाजायज लडके इस्माइल वंशज हैं ,जिसे शैतान ने भेजा था .6 .क्या इब्राहीम के बाद मुसलमानों में ऐसा एकभी अल्लाह भक्त पैदा हुआ , जो अपने लडके को कुर्बान कर देता .यहूदी और ईसाई भी इब्राहीम को मानते हैं लेकिन कुर्बानी का त्यौहार नहीं मनाते.
महम्मद साहब ने ईदुज्जुहा की परंपरा मुसलमानों को ह्त्या की ट्रेनिग देने के लिए की थी !

कुरबानी का अर्थ और मकसद

यह इस लेख में कुरान और हदीस के हवालों दिया जा रहा है .साथ में कुछ विडियो लिंक भी दिए हैं .देखिये 

1-कुरबानी का अर्थ और मकसद 
अरबी शब्दकोश के अनुसार "क़ुरबानी قرباني" शब्द मूल यह तीन अक्षर है 1 .قकाफ 2 .رरे 3 और ب बे = क र बق ر ب .इसका अर्थ निकट होना है .तात्पर्य ऐसे काम जिस से अल्लाह की समीपता प्राप्त हो . हिंदी में इसका समानार्थी शब्द " उपासना" है .उप = पास ,आस =निकट .लेकिन अरबी में जानवरों को मारने के लिए "उजुहाالاضحي " शब्द है जिसका अर्थ "slaughter " होता है .इसमे किसी प्रकार की कोई आध्यात्मिकता नजर नहीं दिखती है .बल्कि क्रूरता , हिंसा ,और निर्दयता साफ प्रकट होती है .जानवरों को बेरहमी से कटते और तड़प कर मरते देखकर दिल काँप उठता है और यही अल्लाह चाहता है , कुरान में कहा है ,
"और उनके दिल उस समय काँप उठते हैं , और वह अल्लाह को याद करने लगते हैं " सूरा -अल हज्ज 22 :35
2-क़ुरबानी की विधियाँ
यद्यपि कुरान में जानवरों की क़ुरबानी करने के बारे में विस्तार से नहीं बताया है और सिर्फ यही लिखा है ,
"प्रत्येक गिरोह के लिए हमने क़ुरबानी का तरीका ठहरा दिया है , ताकि वह अपने जानवर अल्लाह के नाम पर कुर्बान कर दें "
सूरा -हज्ज 22 :34
लेकिन सुन्नी इमाम " मालिक इब्न अबी अमीर अल अस्वही" यानि मालिक बिन अनस مالك بن انس "(711 - 795 ई० ) नेअपनी प्रसिद्ध अल मुवत्ताThe Muwatta: (Arabic: الموطأ) की किताब 23 और 24 में जानवरों और उनके बच्चों की क़ुरबानी के जो तरीके बताएं है . उसे पढ़कर कोई भी अल्लाह को दयालु नहीं मानेगा ,
3-पशुवध की राक्षसी विधियाँ
मांसाहार अरबों का प्रिय भोजन है ,इसके लिए वह किसी भी तरीके से किसी भी जानवर को मारकर खा जाते थे . जानवर गाभिन हो या बच्चा हो ,या मादा के पेट में हो सबको हजम कर लेते थे . और रसूल उनके इस काम को जायज बता देते थे बाद में यही सुन्नत बन गयी है और सभी मुसलमान इसका पालन करते हैं ,इन हदीसों को देखिये ,
अ -खूंटा भोंक कर
"अनस ने कहा कि बनू हरिस का जैद इब्न असलम ऊंटों का चरवाहा था , उसकी गाभिन ऊंटनी बीमार थी और मरणासन्न थी . तो उसने एक नोकदार खूंटी ऊंटनी को भोंक कर मार दिया . रसूल को पता चला तो वह बोले इसमे कोई बुराई नहीं है ,तुम ऊंटनी को खा सकते हो "
मालिक मुवत्ता-किताब 24 हदीस 3
ब-पत्थर मार कर
"याहया ने कहा कि इब्न अल साद कि गुलाम लड़की मदीने के पास साल नामकी जगह भेड़ें चरा रही थी. एक भेड़ बीमार होकर मरने वाली थी.तब उस लड़की ने पत्थर मार मार कर भेड़ को मार डाला .रसूल ने कहा इसमे कोई बुराई नहीं है ,तुम ऐसा कर सकते हो "
मालिक मुवत्ता -किताब 24 हदीस 4
जानवरों को मारने कि यह विधियाँ उसने बताई हैं , जिसको दुनिया के लिए रहमत कहा जाता है ?और अब किस किस को खाएं यह भी देख लीजये .
4-किस किस को खा सकते हो
इन हदीसों को पढ़कर आपको राक्षसों की याद आ जाएगी .यह सभी हदीसें प्रमाणिक है ,यह नमूने देखिये
अ -घायल जानवर
"याह्या ने कहा कि एक भेड़ ऊपर से गिर गयी थी ,और उसका सिर्फ आधा शरीर ही हरकत कर रहा था ,लेकिन वह आँखें झपक रही थी .यह देखकर जैद बिन साबित ने कहा उसे तुरंत ही खा जाओ "मालिक मुवत्ता किताब 24 हदीस 7
ब -मादा के गर्भ का बच्चा
"अब्दुल्लाह इब्न उमर ने कहा कि जब एक ऊंटनी को काटा गया तो उसके पेट में पूर्ण विक्सित बच्चा था ,जिसके बल भी उग चुके थे . जब ऊंटनी के पेट से बच्चा निकाला गया तो काफी खून बहा ,और बच्चे दिल तब भी धड़क रहा था.तब सईद इब्न अल मुसय्यब ने कहा कि माँ के हलाल से बच्चे का हलाल भी माना जाता है . इसलिए तुम इस बच्चे को माँ के साथ ही खा जाओ " मुवत्ता किताब 24 हदीस 8 और 9
स -दूध पीता बच्चा
"अबू बुरदा ने रसूल से कहा अगर मुझे जानवर का केवल एकही ऐसा बच्चा मिले जो बहुत ही छोटा और दूध पीता हो , रसूल ने कहा ऐसी दशा में जब बड़ा जानवर न मिले तुम बच्चे को भी काट कर खा सकते हो " मालिक मुवत्ता -किताब 23 हदीस 4
5-क़ुरबानी का आदेश और तरीका
वैसे तो कुरान में कई जानवरों की क़ुरबानी के बारे में कहा गया है ,लेकिन यहाँ हम कुरान की आयत विडियो लिंक देकर कुछ जानवरों की क़ुरबानी के बारे जानकारी दे रहे हैं .ताकि सही बात पता चल .सके , पढ़िए और देखिये ,
अ -गाय "याद करो जब अल्लाह ने कहा की गाय को जिबह करो ,जो न बूढी हो और न बच्ची बीच का आयु की हो "सूरा -बकरा 2 :67 -68


http://www.youtube.com/watch?v=Giz6aMHuDhU&feature=related

ब- ऊंट -"और ऊंट की कुरबानी को हमने अल्लाह की भक्ति की निशानियाँ ठहरा दिया है "सूरा अल हज्ज 22 :36

http://www.youtube.com/watch?v=uT9oFsxqTsg&feature=related

स -चौपाये बैल -"तुम्हारे लिए चौपाये जानवर भी हलाल हैं ,सिवाय उसके जो बताये गए हैं "सूरा-अल 22 :30

http://www.youtube.com/watch?v=RMDLNLK83kg&feature=related

6-गैर मुस्लिमों को गोश्त खिलाओ
"इब्ने उमर और और इब्न मसूद ने कहा की रसूल ने कहा है ,कुरबानी का गोश्त तुम गैर मुस्लिम दोस्त को खिलाओ ,ताकि उसले दिल में इस्लाम के प्रति झुकाव पैदा हो "
it is permissible to give some of it to a non-Muslim if he is poor or a relative or a neighbor, or in order to open his heart to Islam.


"فإنه يجوز أن أعطي بعض منه الى غير مسلم إذا كان فقيرا أو أحد الأقارب أو الجيران، أو من أجل فتح صدره للإسلام "


Sahih Al-Jami`, 6118
गैर मुस्लिमों जैसे हिन्दुओं को गोश्त खिलाने का मकसद उनको मुसलमान बनाना है ,क्योंकि यह धर्म परिवर्तन की शुरुआत है .बार बार खाने से व्यक्ति निर्दयी और कट्टर मुसलमान बन जाता है .

7-गोश्तखोरी से आदमखोरी
मांसाहारी व्यक्ति आगे चलकर नरपिशाच कैसे बन जाता है ,इसका सबूत पाकिस्तान की ARY News से पता चलता है ,दिनांक 4 अप्रैल 2011 पुलिस ने पाकिस्तान पंजाब दरया खान इलाके से आरिफ और फरमान नामके ऐसे दो लोगों को गिरफ्तार किया ,जो कब्र से लाशें निकाल कर ,तुकडे करके पका कर खाते थे . यह परिवार सहित दस साल से ऐसा कर रहे थे.दो दिन पहले ही नूर हुसैन की 24 की बेटी सायरा परवीन की मौत हो गयी थी ,फरमान ने लाश को निकाल लिया ,जब वह आरिफ के साथ सायरा को कट कर पका रहा था ,तो पकड़ा गया . पुलिस ने देगची में लड़की के पैर बरामद किये . इन पिशाचों ने कबूल किया कि हमने बच्चे और कुत्ते भी खाए हैं .ऐसा करने कीप्रेरणा हमें दूसरों से मिली है , जो यही काम कराते हैं . विडियो लिंक

http://www.youtube.com/watch?v=uoDpLHCr7e0

8-हलाल से हराम तक
खाने के लिए जितने भी जानवर मारे जाते हैं ,उनका कुछ हिस्सा ही खाया जाता है , बाकी का कई तरह से इस्तेमाल करके लोगों को खिला दिया जाता है ..इसके बारे में पाकिस्तान के DUNYA NEWS की समन खान ने पाकिस्तान के लाहौर स्थित बाबू साबू नाले के पास बकर मंडी के मजबह (Slaughter House ) का दौरा करके बताया कि वहां ,गधे कुत्ते , चूहे जैसे सभी मरे जानवरों की चर्बी निकाल कर घी बनाया जाता है . यही नहीं होटलों में खाए गए गोश्त की हडियों को गर्म करके उसका भी तेल निकाल कर पीपों में भर कर बेच दिया जाता है ,जिसे जलेबी ,कबाब ,समोसे आदि तलने के लिए प्रयोग किया होता है . खून को सुखा कर मुर्गोयों की खुराक बनती है . फिर इन्हीं मुर्गियों को खा लिया जाता है .आँतों में कीमा भरके बर्गर बना कर खिलाया जाता है .विडियो लिंक

http://www.youtube.com/watch?feature=endscreen&NR=1&v=6YdtLZGsK_E

हमारी सरकार जल्द ही पाकिस्तान के साथ व्यापारिक अनुबंध करने जारही है ,और तेल या घी के नाम पर जानवरों की चर्बी और ऐसी चीजें यहाँ आने वाली हैं .
लोगों को फैसला करना होगा कि उन्हें पूर्णतयः शाकाहारी बनकर ,शातिशाली , बलवान ,निर्भय और जीवों के प्रति दयालु बन कर देश और विश्व कि सेवा करना है ,या धर्म के नाम पर या दुसरे किसी कारणों से प्राणियों को मारकर खाके हिसक क्रूर निर्दयी सर्वभक्षी पिशाच बन कर देश और समाज के लिए संकट पैदा करना है .
दूसरेधर्मों के लोग ईश्वर को प्रसन्न करने और उसकी कृपा प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करके खुद को कष्ट देते हैं .लेकिन इस्लाम में बेजुबान जानवरों को मार कर अल्लाह को खुश किया जाता है . और इसी को इबादत या बंदगी माना जाता है .फिर यह बंदगी दरिंदगी बन जाती है .और जिसका नतीजा गन्दगी के रूप में लोग खाते हैं
इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद विचार जरुर करिए .
माँसाहारी अत्याचारी ,और अमानुषिक हो सकते हैं लेकिन बलवान और सहृदय कभी नहीं सो सकते

बुत परस्त योनी पूजक मुसलमान

बुत परस्त योनी पूजक मुसलमान

दुनिया में सबसे ज्यादा चिल्ला चिल्ला के मूर्ति पूजा का विरोध करने वाले मुसलमान हैं | पर असल में सबसे ज्यादा और सबसे बड़े मूर्तिपूजक मुसलमान ही हैं | मुसलमानों को लड़ने का बहाना चाहिए कोई भी जिस से वे लड़ सकते हैं | आपस में लड़ते हैं कोई भी बहाना लेकर और बाहर ईश बहुदेववाद तो बहुत बड़ा बहाना हैं, कत्लेआम के लिए | खैर हम ये जानते हैं के मुसलमान मूर्तिपूजक कैसे हैं ? मूर्ति भी ऐसी वैसी नहीं योनी की, एक योनी की मूर्ति के सामने ना केवल झुकते हैं अपितु चुमते भी हैं |



खुद मोहम्मद अंधविश्वासी मूर्तिपूजक था उसने पत्थर की योनी को चूमा था प्रमाण देखिये |
Volume 2, book of Hajj, chapter 56, H.No. 675. Umar (may Allah be pleased with him) said, “I know that you are a stone and can neither benefit nor harm. Had I not seen the Prophet (pbuh) touching (and kissing) you, I would never have touched (and kissed) you”.
"
ये तो पत्थर की योनी थी मोहम्मद ने तो इतनी औरते रखी हैं के क्या क्या चूमा होगा आप खुद ही अनुमान लगाये |
देखा आपने कैसे मोहम्मद ने अन्धविश्वास को बढ़ाया | किस अधिकार से मुसलमान दूसरों का मूर्तिपूजा का विरोध करते हैं उनका सिर्फ एक ही मतलब हैं के वो मूर्ति पूजो जो हम पूजते हैं ना की वो जो तुम लोंग |

इस्लाम एक सम्प्रदाये हैं जो वाम मार्गी सम्प्रदाये से काफी आगे निकल गया हैं | वाम मार्गियो के सम्प्रदाये तो व्यभिचार और मांसाहार तक ही सिमित था | मोहम्मद ने वाम मार्ग को लूट,हत्या,डकैती,बलात्कार और दूसरों से नफरत करने की बुलंदियों तक पहुचा दिया | निराकार ईश्वर के उच्च सिद्धांत को समझना मोहम्मद जैसे व्यभिचारी के बस की बात कहा थी | खुद मानव योनी का दुरूपयोग कर के नर्क(निकृष्ट जीव योनी) में गया और दुनिया के अरबो मुसलमानों का पतन करवा गया | मुस्लिम भाइयो ईश्वर एक हैं निराकार हैं वह सबसे प्रेम करने वाला भेदभाव ना करने वाला न्यायकारी हैं | वो सभी जगह हैं उसे सातवे आसमान पर बैठने की जरुरत नहीं | जो ईश्वर परमात्मा हर जगह हैं उसे किसी पैगम्बर की जरुरत नहीं | ये पैगम्बर ढ़ोंगी बाबाओ जैसा ही चल रहा था जब मोहम्मद ने भी खुद को पैगम्बर घोषित किया | अल्लाह के नाम पर उसने वो सारे गुनाह किये और करवाए जो मानवता ही हदे तोड़ते थे | जिसने उस पर सवाल उठाया उसे मरवा दिया गया इसलिए भी आप लोंग हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं उसके गलत कामो पर शंका होने के बावजूद | देखिये मानव जन्म बार बार नहीं मिलता बड़ी मुश्किल से मिला हैं कई जीवो की योनियों को पार कर के इसे यु बर्बाद ना करिये | इस्लाम को छोडिये और वैदिक धर्मं को जानिए वापस अपने बाप दादाओ के धर्म को वापस आजाइए

गैर मुस्लिम देशो मे मुस्लिम लोग कुछ विशेष रणनीतियां

विश्वविख्यात विद्वान अली सीना के मुताबिक गैर मुस्लिम देशो मे मुस्लिम लोग कुछ विशेष रणनीतियां बनाकर रहते है :-
=================================
1) जिस देश मे यह रहते है उस देश के लिये ये जो थोडा बहुत

कुछ करते है तो उसका सारी जिंदगी बखान करते है और बदले मे
लगातार उसकी भारी कीमत वसूल कर उस देश को खोखला कर
देते है!

2) ये मौका मिलने पर अपने हालात के लिए देश की व्यवस्था को कोसते रहते है ,जबकि खुद इनके मुल्को का रिसर्च मे ,विज्ञान मे टैक्नोलोजी मे ,मेडिकल मे ,अंतरिक्ष अभियान मे ,जीडीपी मे ,सैन्य क्षमता और दूसरे मामलो मे रिकार्ड बेहद शर्मनाक है !

3) इनके पास हमेशा टकराव के लिए खास मुद्दे रहते है जैसे
भारत मे अयोध्या मुद्दा ,तो लंदन मे मिलेनियम डोम के पास
मस्जिद विवाद या अमेरिका मे ग्रांउड जीरो पे मस्जिद की मांग
या इजराइल के साथ विवाद !

4) जहा इनका 'पर्दाफाश' होता है वहा ये धमकी भी देते है
कि हिंदू मुस्लिम फसाद हो जायेगा और बाहर वालो को ईसाई-
मुस्लिम ,बौद्ध-मुस्लिम ,यहूदी-मुस्लिम और अपने यहा शिया-
सुन्नी कादियानी या अहमदिया का दंगा होने की धमकी !

5) गैर मुस्लिम मुल्को मे जहा इनकी जनसंख्या कम है
वहा भी अक्सर मुसलमानो के दिल का "इस्लामी बारूद"।
किसी न किसी बात पर.. किसी न किसी रूप
मे.,थोडा या ज्यादा ही सही पर फटता जरूर है !!

6) भले ही इनके मजहब की वजह से हमारे देश मे और दुनिया मे हजारो दंगे और आंतकवाद के मामले हो चुके हो .......लाखो लोग बेवजह मर चुके हो ..बहुत कुछ हो चुका हो !
और वर्तमान मे भी हर साल सैकडो दंगे फसाद के मामले आते हो
और आगे भी होते रहे ....
लेकिन बदले मे मुस्लिम कुतर्क करके उल्टा सामने वाले पर दोष डाल देते है ...
इस तरह ये हमेशा काफिरो को थकाकर और उलझा कर रखते है !

7) सच सामने आने पर मुस्लिमो के पास बहस के लिए हमेशा कुतर्क और घिसपिटे जवाब तैयार रहते है ,जैसे:-
-ये सिर्फ "कुछ" भटके हुये लोगो का काम
है ..blahblahblah...!
- इस्लाम इस की इजाजत नही देता इसलिए हमे इस्लाम को ठीक से समझना चाहिए blahblahblah...!
-बुरे लोग तो हर मजहब मे होते है blahblahblah...!...
-मुस्लिमो मे सुधार की जरूरत है ...सब लोग ऐसे
नही होते...अच्छे मुस्लिम भी होते हैblahblahblah...!
- पालिटिशयन और मीडिया मुसलमानो को बदनाम करना चाहते है:blahblah..!

ऐसे ही बहुत सारी घिसीपिटी दलीले लाखो बार देकर मुस्लिम दूसरो को अक्सर गुमराह करते रहते है !

8 ) मुस्लिम अपनी पत्रिकाओ और अपने अखबारो मे खुद को "मजलूम"और दूसरो को "जालिम" दिखाते देते रहते है!
और मौके पर हजारो की संख्या मे इस्लाम और शरिया कानून के
लिए मोर्चा और रैलिया वगैरह निकालते रहते है !

9) मुसलमानो द्वारा समय समय पर भाईचारा,सदभाव और
लुभावनी मीठी बाते करके हिंदुओ और गैरमुस्लिमो को "नींद
की गोली" दी जाती है ...
ताकि हिंदुओ और गैर मुस्लिमो का ध्यान मुसलमानो की पौपुलेशन
जो जिला ,शहरो के लेवल से लगातार बढती जा रही है ,उससे
वो बेखबर रहे और किसी का उस पर ध्यान न जाने पाए ..

10) ये इस्लाम के सिद्धातो की चमकदार मार्केटिंग करने लिए
जी जान से जुटे रहते है !
और अपने इस्लाम को चमकाने के लिए दूसरे मजहबो मे
लगातार कमियां निकालते रहते है!

11) लेकिन हद तो यहा है कि जिन किताबो को ये नही मानते
उन्ही किताबो मे ये अपने मोहम्मद जी को अवतार दिखाते है
और इस्लाम को जबरदस्ती विज्ञान से जोड़ते है !
मतलब किसी भी तरह से हर हाल मे इस्लाम और मौहम्मद
जी की मार्केटिंग करते रहते है !

12) ये अक्सर बोलते रहते है इस्लाम तेजी से फैल रहा है
लेकिन जैसे ही सच्चाई सामने लायी जाये तो ये चिल्ला भी पडते
है कि इस्लाम खतरे मे है !

13) जहा ये संख्या मे कम होते है वहा खुद को "मजलूम" और "ग़ुलाम" बता कर प्रोपेगंडा करते है और बाकी मजहब वालो को जालिम ठहरा देते है जैसे :-
१-इजराईल मे ---यहूदियो को जायनिस्ट ठहराना
२-अमेरिका मे--अमेरिकन्स को दहशतगर्द ठहराना
३- यूरोप मे----ईसाईयो को रासिस्ट ठहराना
४-भारत मे---हिन्दुओ को सांप्रदायिक ठहराना
५-बौद्ध देशो---बौद्धो को फासिस्ट ठहराना

जाहिर है ऐसा करके ये अगले पर मानसिक दबाब बनाने का प्रयास करते हैं ,ताकि अगला घबड़ाकर कर चुप हो जाये .....!

14) इस्लामीकरण को जारी रखने के लिए ये "इमोशनल"
प्रौपगेंडा भी करते है जिसके लिए ये अक्सर शेरो शायरी या कुछ
बोलबचन या फिल्मे या मुस्लिम मजहब से ताल्लुक रखने वाले
अभिनेता कलाकार ,संगीतकार ,पत्रकार ,खिलाड़ी वगैरह
या पुराने किस्सो का उदाहरण देते रहते है !

15) ये गैर मुस्लिमो पर "मानसिक दबाव" बनाते है इसके
लिए ये दूसरे मजहबो मे "सेकुलर" ढूंढ कर उनकी तारीफो के
पुल बाँध देते है:)) ताकि इनका इस्लामीकरण
का एजेंड़ा चलता रहे ....

16) इस तरह ये कभी हिंसा और अराजकता का डर दिखाकर
या इमोशनली मानसिक दबाव बनाकर दूसरो को उलझाये रखते
है और धीरे धीरे अपना इस्लामीकरण चालू रखते है!

17) और जो राष्ट्रवादी संगठन इनके इस्लामीकरण के अभियान
मे आड़े आते है ये उनके खिलाफ प्रोपगेंडा करते है ,
जैसे भारत के कुछ राष्ट्रवादी संगठनो के अलावा बाहर मे
English Defence League(EDL), SIOA ,SIOE ,Mossad
जैसे बड़े- बडे सैकड़ो राष्ट्रवादी संगठनो को ये मुस्लिम लोग जालिम और दहशतगर्द ठहरा देते है !
=================================
=>समाज मे आम धारणा है कि धमाके या दंगे फसाद करने वाले
मुस्लिम ही खतरा है ....
पर इस्लाम का प्रमुख उद्देश्य सभी गैर
मुस्लिमो को इस्लामी झंड़े और शरिया कानून के दायरे मे लाना
है और "इस इस्लामी मकसद को पूरा करने के लिये
धमाको की या किसी को मारने की पहली जरूरत नही है !"
इसलिए असली समस्या है वो करोडो मुस्लिम जो हमारे बीच
मे सामान्य रूप से रहते हुये मुस्लिम बच्चे पैदा करके
अपनी जनसंख्या मे इजाफा कर रहे है और
सारे सिस्टम को अपने काबू मे करते जा रहे है जो कि अत्यंत
गंभीर समस्या है !

=>इसलिए सारी दुनिया इस पुराने अरबी साम्राज्यवाद के
इस्लामीकरण के खतरे को जान चुकी है और इसके खिलाफ एकजुट
हो चुकी है !
आज चाहे जापान ,इजराइल जैसे छोटे देश हो या अमेरिका रूस ,आस्ट्रेलिया जैसे बडे देश ...कोई
भी देश अपनी संस्कृति ,अपनी पहचान ,अपनी विरासत की कीमत
पर समझौता नही करता !

=>इसलिए जरूरत अब हमे इमोशनल न होकर खुद को मजबूत और ताकतवर बनाने की है ...
क्योकि शांति तभी स्थायी हो सकती है ,जब हम.खुद को मजबूत बनाये और सेक्युलरिज्म की वजह से भावुक न होकर खुद को प्रैक्टिकल बनाए और हमेशा हर चीज के लिए तैयार रहे !

Sunday, October 13, 2013

मौलाना बदरुद्दीन अजमल

असम दंगो में मुसलमानों को मदद कर हिंदुओ को मारने और खदेडने वाले बदरुद्दीन अजमल ने हिंदुओ पर जबरदस्त हमला बोला है !

http://www.jagranjosh.com/current-affairs/assam-violence-hc-ordered-state-government-to-probe-role-of-badruddin-ajmal-1370949205-1

“ हिंदुओ को सौदी अरेबिया, पाकिस्तान या 56 इस्लामी मुल्को में से कही पर भी चुनाव में वोट करने का अधिकार नहीं । में चुनौती देता हू, क्या किसी हिंदू में दम है की वो हिन्दुस्तान में हम मुसलमानों के वोटिंग करने पर पाबंदी लगाकर दिखाये ? ”
-- मौलाना बदरुद्दीन अजमल, लोकसभा सांसद, AIUDF, असम.

http://www.dailymail.co.uk/indiahome/indianews/article-2192760/Ajmal-blamed-Azad-Maidan-violence.html


कुरबानी जायज़ कैसे हुवी




इक दिन इब्राहीम की परीक्षा लेने के कारण

अलाह में इब्राहीम को अपनी सब से प्यारी चीज़ कुराबान करने कहा जिस से अलाह खुश हो जाए
---इब्राहीम ने पहले दिन १ ० ० ऊंट की कुर्बानी दी
----------अलाह खुश नहीं हुवा
फिर---
---इब्राहीम ने दुसरे दिन फिर से १ ० ० ऊंट की कुर्बानी दी
----------अलाह खुश नहीं हुवा
फिर---
---इब्राहीम ने तीसरे दिन फिर से १ ० ० ऊंट की कुर्बानी दी
----------अलाह खुश नहीं हुवा

**इसी से पता चलता है
**इसे से ही पता चलता है अलाह कितना जालिम है
**अलाह इब्राहीम को रोक सकता था
**जब के मुसलमान ही कहते ही की अलाह सब कुछ जाननेवाला है
**जो सब कुछ जाननेवाला है उसे क्यों पता नहीं चला की के इब्राहीम निर्दोष और बेजुबान जानवरों की हत्या कर देगा
**और उस तिन दिन की कुर्बानी अलाह खुश भी नहीं होगा तो कुर्बानी तो कुछ काम नहीं आयी

**फिर चोथे दिन इब्राहीम ने अपने बेटे इस्माइल की बलि देने को सोचा
**जब छुरी चलाने की कोशिश की तब अलाह ने छुरी से बात कर के छूरी को चलने से मना कर दिया
**हा हा हा हा हा
**अलाह छूरी से बात कर रहा था

**फिर अलाह ने इस्माइल के जगह पे इक दुम्बा (मेंढा) रख दिया और उसकी कुर्बानी हो गई
**और अलाह खुश हो गया के इब्राहीम मेरे लिए अपने बेटे तक की कुरबानी दे सकता है

**तो सवाल ये है की गाय बकरी को क्यों काटते हो
**अलाह को खुश करना है तो अपने अपने बेटो की गर्दने क्यों नहीं काटते

**दूसरा सवाल ये है की अगत अलाह छूरी से बात करके उसे रोक सकता था
तो
**तिन दिन जब इब्राहीम ऊंट काट रहा था तब क्या अलाह सो रहा था
**जब अलाह खुश नहीं होने वाला था तो उस वक़्त भी छुरी को क्यों नहीं रोका

**उन ऊँटो का पाप किस पे जाएगा इब्राहीम पे या अलाह पे

**सवाल ये भी परीक्षा इब्राहीम की थी तो अलाह खुश हुवा ना
**तो उसे रिवाज़ बनाकर क्यों जानवरों की ह्त्या करते आ रहे हो

**मुस्ल्मान कहते है कुरबानी अपने महनेट की पैसे की होनी चाहिए
**इब्राहीम कोनसी महेनत कर लाया था दुम्बा
**तो फिर कुरबानी जायज़ कैसे हुवी

Saturday, October 12, 2013

सुफियो द्वारा हिन्दुओ का इस्लामीकरण..

सुफियो द्वारा हिन्दुओ का इस्लामीकरण..

जब मुस्लिम बादशाह बलपूर्वक भारत के सभी हिन्दुओं को मुसलमान नहीं बना सके तो उन्होंने हिन्दुओं को इस्लाम के प्रति आकर्षित करने के लिए एक नयी तरकीब निकाली . सब जानते हैं कि इस्लाम में शायरी , हराम है , क्योंकि जब मुहम्मद साहब ने खुद को अल्लाह का रसूल घोषित कर दिया था तो अरब के लोग कुरान को मुहम्मद की शायरी कहते थे . और अरब के शायर कुरान का मजाक उड़ाते थे . इसी तरह इस्लाम में संगीत , गाना बजाना,वाद्ययंत्रों का प्रयोग करना भी हराम है ,क्योंकि यह हिदू धर्म में भजन कीर्तन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है .इसलिए चालाक मुसलमानों ने सोचा कि यदि संगीत के माध्यम से हिन्दुओं में इस्लाम के प्रति रूचि पैदा की जाये तो उनका धर्म परिवर्तन करना सरल होगा.इसका परिणाम यह हुआ कि कुछ हिन्दुओं ने तो मुसलमानों के आचार विचार , खानपान अपना लिए ,लेकिन मुसलमान हिन्दुओं से हमेशा दूरी बनाये रखे. फिर मुसलमानों ने एक ऐसी कृत्रिम वर्णसंकर "धर्मनिरपेक्षता" तहजीब बना डाली , जिसका नाम गंगाजमुनी तहजीब रख दिया . इसे हिन्दू मुस्लिम एकता ,प्रतीक बता दिया ,बाद में मुसलमानों और दोगले हिन्दुओं ने इसका नाम "धर्मनिरपेक्षता" का नाम दे दिया .मुस्लिम शासकों ने तो हिन्दुओं की खतना करा कर मुस्लमान बना दिया था .लेकिन इस "धर्मनिरपेक्षता" ने हिन्दुओं की खस्सी कर दी . जिस से उनमे अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध लड़ने की शक्ति समाप्त हो गयी .इसमे संगीत का भी बड़ा योगदान है ,जिसे"सूफी संगीत"कहा जाता है .मूर्ख हिन्दू अरबी फारसी जाने बिना ही इस संगीत को एकता का मानते हैं . भारत में इसे कव्वाली भी कहा जाता है .जिसका अविष्कार अमीर खुसरो ने किया था जो कट्टर हिन्दू विरोधी था .
7-अमीर खुसरो की धर्मनिरपेक्षता ?
इसका पूरा नाम "अबुल हसन यमीनुद्दीन ख़ुसरौ : ابوالحسن یمین‌الدین خسرو" था .इसका जन्म सन 1253 में उत्तर प्रदेश के शहर बदायूँ में हुआ था .इसके पिता का नाम अमीर सैफुद्दीन था. जो ईरान के बलख शहर से भारत में सैनिक बनने के लिए आया था .अमीर खसरो को संगीत शायरी का शौक था,लोग उसे "अमीर ख़ुसरौ दहलवी :امیر خسرو دہلوی "भी कहते थे .बड़े दुःख की बात है किजो लोग खसरो की बनायीं गजलों को सुन कर झुमने लगते हैं . और उसी को हिन्दू मुस्लिम एकता का साधन बताते हैं , वह नहीं जानते कि खुसरो संगीत से एकता नहीं नफ़रत फैलाता था . और एक क्षद्म जिहादी था , हमारे धर्मनिरपेक्ष शासकों द्वारा बहुधा प्रशंसित धर्मनिरपेक्ष अमीर खुसरो अपनी मसनवी" Qiranus-Sa'dain" में लिखता है-
जहां रा कि दीदम ईँ रस्म पेश ,
कि हिन्दू बुवद सैदे तुर्कां हमेश .1
अज बेहतरे निस्बते तुर्को हिन्दू ,
कि तुर्क अस्त चूँ शेर हिन्दू चूं आहू .2
जि रस्मे कि रफ्त अस्त चर्खे र वाँ रा ,
वुजूद अज पये तुर्क शुद हिंदुआं रा .3
कि तुर्क अस्त ग़ालिब बर ईशां चूँ कोशद ,
कि हम गीरद हम खरद औ हम फ़रोशद .4
अर्थात्‌'संसार का यह नियम अनादिकाल से चला आ रहा है कि हिन्दू सदा तुर्कों का अधीन रहा है. 1
तुर्क और हिन्दू का संबंध इससे बेहतर नहीं कहा जा सकता है कि तुर्क सिंह के समान है और हिन्दू हिरन के समान.2
आकाश की गर्दिश से यह परम्परा बनी हुई है कि हिन्दुओं का अस्तित्व तुर्कों के लिये ही है. 3
क्योंकि तुर्क हमेशा गालिब होता है और यदि वह जरा भी प्रयत्न करें तो हिन्दू को जब चाहे पकड़े, खरीदे या बेचे।' 4
अब हिन्दू समाज को खास तौर पर युवकों को गंभीरता से सोचना चाहिए कि वह सेकुलर बनकर इस्लाम के सेकुलर आतंकवाद के जाल में तो नहीं फसते जा रहे हैं . या सेकुलर बन कर गांधी , और अन्ना जैसे कायर बनना पसंद करेंगे जो भूख से मर जाने को ही हर समस्या का हल बताता है . या आप गुरु गोविन्द सिंह , शिवाजी , बोस , आजाद और ऊधम सिंह जैसे धार्मिक बनना पसंद करंगे और हाथ फ़ैलाने की जगह अपने अधिकार छीन लेंगे .और ईंट का जवाब पत्थर से देंगे .
याद रखिये धर्मनिरपेक्षता जिहाद का ही एक रूप है

मुसलमानों से जुड़े भ्रम और उनका पर्दाफाश !

मुसलमानों से जुड़े भ्रम और उनका पर्दाफाश !
Myths about Muslims exposed !
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1. भ्रम: आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता । 
तथ्य: आतंकवाद का धर्म इस्लाम होता है । आतंकवादी मुसलमानों को जिन्दा छोड़ देते है और गैर-मुसलमानों को चुन चुन कर मारते है । जैसे केनिया और मुंबई का 26/11 का हमला ।

Proof: http://www.cbsnews.com/8301-202_162-57604591/al-shabab-says-it-singled-out-non-muslims-in-kenya-mall-attack/
http://aajtak.intoday.in/story/shopkeeper-gave-a-muslim-name-they-spared-him-1-743037.html
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2. भ्रम: कोई धर्म आतंकवाद नहीं सिखाता ।
तथ्य: इस्लाम आतंकवाद की सीख देता है । कुरान सूरा 9, आयत 5 में स्पष्ट लिखा है की जो भी मुसलमान नहीं है उसे मार डालो । इस्लामी आतंकवादी यही कुरान का पालन कर रहे है ।
Proof: http://quran.com/9/5
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3. भ्रम: मुसलमान गरीब और अनपढ़ होने से आतंकवाद में लिप्त है ।
तथ्य: ओसामा (इंजिनियर), ओवैसी (वकील), अफजल गुरु (डॉक्टर), हाफिज सइद (प्रोफ़ेसर) जैसे ज्यादातर आतंकी संपन्न और उच्च शिक्षित है । हिंदू, बौद्ध, सीख, इसाई धर्म में भी करोडो लोग गरीब और अनपढ़ है । क्या वे जेहाद, जनसंख्या विस्फोट, दंगे, बम धमाके करते है ?

http://frontpagemag.com/2010/wm-b-fankboner/the-educated-muslim-terrorist/
http://www.hindustantimes.com/India-news/NewDelhi/Professor-of-Hate-why-Hafeez-Saeed-is-mad-at-India/Article1-835588.aspx
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4. भ्रम: एक के कारण सभी मुसलमानों को दोष देना गलत है ।
तथ्य: 99% आतंकवादी मुसलमान हि होते है । बाकी मुसलमान आतंकियों की सिर्फ दिखावे के लिए निंदा करते है और कुरान, ओवैसी, झाकिर नाईक, अफजल गुरु का समर्थन करते है ।
http://static.dnaindia.com/images/cache/1798194.jpg
http://www.thehindu.com/multimedia/dynamic/00635/20VBG_MIM_635985e.jpg
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5. भ्रम: मुसलमान भी सेक्युलर होते है ।
तथ्य: मुसलमान अल्पसंख्यक होने पर सेक्युलरिजम का दिखावा करते है, लेकिन बहुसंख्यक होने के बाद वे गैर-मुस्लिमो कों मौत के घाट उतार देते है । जैसे की कश्मीर, पाकिस्तान, बांग्लादेश, असम । विश्व के 56 मुस्लिम बहुल राष्ट्रों में से 1 भी देश 100% सेक्युलर नहीं !
http://img.modernghana.com/images/content/o63vm08llg_islam.jpg
http://www.israellycool.com/wordpress/wp-content/uploads/Saudi-Arabia-apartheid-road-sign-to-Mecca-non-Muslims.jpg