Friday, March 29, 2013

इस्लाम के शांति दूतो ने 500 से भी ज्यादा लोगो को जिन्दा जला दिया


ये तस्वीर नाइजीरिया की है जहा शांति के धर्म इस्लाम के शांति दूतो (मुसलमानों ) ने 500 से भी ज्यादा लोगो को इस्लामिक जिहाद के नाम पर जिन्दा जला दिया।।

अब कोई मुल्ला मुफ़्ती आलिम या कोई सेक्युलर इन के खिलाफ फतवा करेगा ???
नहीं।।
क्या अब कोई मुस्लिम पार्टी इनके सपोर्ट ने आयगी ....
नही वो अब कुछ नही बोलेंगे खामोस रहेंगे... दामिनी वाले केस की तरह

क्या कोई और धर्म ऐसा करता है ? हर मुसलमान आतंकवादी नही होता लेकिन ये बात भी सच है दोस्तों हर आतंकवादी मुसलमान होता है

स्वामिभक्ति दिखाने के लिए कुछ लोग मुझसे इसका लिंक जरुर मांगेगे तो लिंक नीचे है ....
http://sheikyermami.com/2011/04/25/nigeria-jihad-leaves-another-500-christians-dead-in-the-dirt/
ये तस्वीर नाइजीरिया की है जहा शांति के धर्म इस्लाम के शांति दूतो (मुसलमानों ) ने 500 से भी ज्यादा लोगो को इस्लामिक जिहाद के नाम पर जिन्दा जला दिया।।

अब कोई मुल्ला मुफ़्ती आलिम या कोई सेक्युलर इन के खिलाफ फतवा करेगा ???
नहीं।।
क्या अब कोई मुस्लिम पार्टी इनके सपोर्ट ने आयगी ....
नही वो अब कुछ नही बोलेंगे खामोस रहेंगे... दामिनी वाले केस की तरह

क्या कोई और धर्म ऐसा करता है ? हर मुसलमान आतंकवादी नही होता लेकिन ये बात भी सच है दोस्तों हर आतंकवादी मुसलमान होता है

स्वामिभक्ति दिखाने के लिए कुछ लोग मुझसे इसका लिंक जरुर मांगेगे तो लिंक नीचे है ....
http://sheikyermami.com/2011/04/25/nigeria-jihad-leaves-another-500-christians-dead-in-the-dirt/

Tuesday, March 26, 2013

सबसे बडा रेप

*सबसे बडा रेप-

बंग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान. पाकिस्तानी सैनिको ने 13 दिन के गृह युद्ध मे 37800 बंग्लादेशी औरतो रेप किया..

जिस मे 12000 महिलाओ का रेप एक ही दिन हुआ..

2800 नाबालिक बच्चीयो कि मौत रेप की वजह से हई थी..

रेप होने वाली महिलाओ मे 6300 महिलाये हिंदू और बाकि सब कि सब मुस्लिम थी..

इतिहास के इस शर्मसार करने वाली घटना मे बल्तकारी भी मुस्लिम और जिन का बल्तकार हुआ वो भी मुस्लिम थी..

अब क्या कहे इन नीचो के बारे मे..

और आज जो बंग्लादेशी धर्म के नाम पर हिंदू ओ को काट रहै उनहे पता होना चाहिये..

कि उन कि मॉ बहनो को बचाने के लिये हिंदु सैनिक गये थे....

नही तो आज आधी बंगलादेश की अबादी का बाप पाकिस्तान होता..

इस्लाम को धर्म कहने वाले सेकुलर

इस्लाम को धर्म कहने वाले सेकुलर सुअरों पहले ये बतलाओ
कि यदि इस्लाम धर्म है तो अधर्म क्या है?
(1)लाखों-करोड़ों निर्दोष हिन्दूओं के खून से
रंगा कराहता चीखता भारतीय इतिहास चिल्लाकर
कहता है कि क्या यहीं धर्म है?
(2)इतिहास के काले अध्याय में छिपे निर्बल ,असहाय
राजपूत स्त्रियों के जौहर, कुकर्म
की काली चादरों को चीरते हुए सम्मुख आ खड़ा होता है
और पूछता है कि क्या यहीं धर्म है?
(3)निरपराध गौओं और नीरीह जीवों की मूक चीखें
अश्रुपूरित शब्दों में पूछतीं हैं कि क्या यहीं धर्म है?
(4)देश को तीन भागों में तो क्या सम्पूर्ण
मानवता को दो भागों में विभाजित कर
काफिरों को रक्तरंजित कत्लेआम व उन्हें दोजख की आग के
दहन हेतू ईंधन के रूप में उचित ठहराना, क्या यहीं धर्म है?
(5)कब्रिस्तान में रूपांतरित हुए पृथ्वी के स्वर्ग
"काश्मिर" के असहाय पण्डितों, व अमर्यादित कुकर्म के
पश्चात् नृःशंस हत्याओं की भेंट चढ़ी स्त्रियों व
नाबालिकों की कराहती आत्माएं चीखकर पूछती हैं
कि क्या यहीं धर्म है?
(6)काश्मिर, आसाम, बंगाल, केरल, नोआखली व
मोपला इत्यादि में हुए भीषण रक्तपात से सनी अभिसक्त
मातृभूमि चिल्ला-चिल्लाकर पूछती है कि क्या यहीं धर्म
है?
(7)ताजमहल, लालकिला, कुतुबमीनार, बुलन्द दरवाजा,
जामा मस्जिद भुलभुलैया इत्यादि अपनी वास्तविक
पहचान प्राप्त करने को उत्सुक बेजुबान हिन्दू इमारतें
धूर्तता, मक्कारी और झूठ से त्रस्त होकर बारम्बार
यहीं प्रश्न करती हैं कि क्या यहीं धर्म है?
(8)वे नियम कानून और कायदे जिनमें अपनी माँ,बहन,
बेटियाँ और बीबी एक ही (अमर्यादित) दृष्टि से
देखी जाती हैं, क्या यहीं धर्म है?
(9)सउदिया अरब के असभ्य जंगली व नग्न कबीले के नियम
कायदे व कानून को जबरदस्ती सम्पूर्ण वैज्ञानिक
विकसित विश्व पर जबरदस्ती थोपना, क्या यहीं धर्म है?
(10)क्या दुनिया के प्रथम आतंकवाद "पिगम्बर मुहम्मद"
की उपज हत्या, लूट और कुकर्म ही धर्म है?
/////////////// //////////
भारतवर्ष में जन्म लेने वाले सनातनियों.....!
यह मत भूलो कि तुम उन्ही भरतवंशिओं की सन्तान
हो जिन्होंने मातृभूमि की ओर उठाई
गयी गन्दी आँखों को नोचकर गिध्दों का आहार
बना दिया था, मातृभूमि की आबरू की ओर बढ़ते
कुकर्मी हाँथों को काटकर अपने सनातन परसू
की धारों को तीक्ष्ण किया था....
आग धधकती है सीने में
आँखों से अंगारे
हम भी वंशज हैं राणा के
कैसे रण हारे
हिन्दू है तो हिन्दूओं की आन मत जाने दे
रामलला पे कोई आँच मत आने दे
कायर विरोधियों को शोर मचाने दे
लक्ष्य पे रख तू ध्यान
अयोध्या करती है आह्वान
ठाट से कर मन्दिर निर्माण शिला की जगह लगा दे प्राण
बिठा दे वहाँ राम भगवान...
अयोध्या करती है आह्वान
ठाट से कर मन्दिर निर्माण...
दहाड़ो हिन्दूओं....!!

Monday, March 25, 2013

बाबर कामयाब नहीं हुआ तो आमिर खान क्या कामयाब होगा?

  1. बहाबी , अदीब, तेली, अहमदिया, शिया, सुन्नी,भिस्ती जो 1 दुसरे के साथ एक मस्जिद में नमाज़ भी नहीं पढ़ सकते | 
  2. सलमानी की शादी सुन्नियों में नहीं हो सकती , 
  3. शिया ,सुन्नी के यहाँ पानी तक नहीं पी सकता ,
  4. दों साल से शिया सुन्नी विश्व के हर मुल्क में एक दुसरे के कट्टर दुश्मन है , 
  5. शेख खुद को महान मानते है, 
  6. अरब वाले पाकिस्तानियों और भारत के मुसलमानों को अछूत मानते है इनको मुजाही कहते है और उनके यहाँ का पानी भी नहीं पीते भले ही प्यासे मर जाए,
  7. बलूचियों की डफली बजा दी है सुन्नियों ने पकिस्तान में और 
  8. ईराक में सद्दाम ने लाखो शियाओं को जमीन में जिन्दा दफ़न कर दिया


    मगर तुम लोग अपनी गंदगी दिखाते हुए शर्म आती है ,, सालो जितने देश मुस्लिम है वंहा पर तुम सब रोज लड़ लड़ कर मर रहे हो ,,

    हिन्दू एक था एक रहेगा . तुम्हारे मिस्टर आमिर खान के लड़वाने से हिन्दू नहीं लडेगा. जब तुम्हारा बाबर कामयाब नहीं हुआ तो ये क्या कामयाब होगा ।

Friday, March 22, 2013

प्रमुख मुस्लिम नेताओं के भारत के प्रती सेकुलर वचन

प्रमुख मुस्लिम नेताओं के भारत के प्रती सेकुलर वचन
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(1) हामिद दलवई का मत है कि 'आज भी भारत के
मुसलमानों और पाकिस्तान में भी प्रभावशाली गुट हैं,
जिनकी अन्तिम मांग पूरे भारत का इस्लाम में धर्मान्तरण
है।' (मुस्लिम डिलेमा इन इंडिया पृ., ३५)
(2) एफ. ए. दुर्रानी ने कहा-''भारत-सम्पूर्ण भारत
हमारी पैतृक सम्पत्ति है और उसका फिर से इस्लाम के लिए
विजय करना नितांत आवश्यक है' तथा पाकिस्तान
का निर्माण इसलिए महत्वपूर्ण था कि उसका शिविर
यानी पड़ाव बनाकर शेष भारत का इस्लामीकरण
किया जा सके।'' (पुरुषोत्तम,मुस्लिम राजनीतिक चिन्तन
और आकंक्षाएँ पृ. ५१, ५३)
(3) कांग्रेस नेता एवं भूतपूर्व शिक्षा मंत्री अबुल कलाम
आज़ाद ने पूरे भारत के इस्लामीकरण की वकालत करते हुए
कहा : भारत जैसे देश को जो एक बार मुसलमानों के शासन
में रह चुका है, कभी भी त्यागा नहीं जा सकता और प्रत्येक
मुसलमान का कर्त्तव्य है कि उस खोई हुई मुस्लिम
सत्ता को फिर प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करें (बी. आर.
नन्दा, गांधी पैन इस्लामिज्म, इम्पीरियालज्म एण्ड
नेशनलिज्म, पृ. ११७)।
(4) मौलाना कौदूदी का कथन है कि 'मुस्लिम भी भारत
की स्वतन्त्रता के उतने ही इच्छुक थे जितने की दूसरे लोग।
किन्तु वह इसको एक साधन, एक पड़ाव मानते थे ध्येय
(मंजिल) नहीं। उनका ध्येय एक ऐसे राज्य
की स्थापना था जिसमें मुसलमानों को विदेशी अथवा अपने
ही देश के गैर-मुस्लिमों की प्रजा बनकर रहना न पड़े।
शासन दारूल-इस्लाम
(शरीय :शासन) की कल्पना के, जितना सम्भव हो, निकट
हो। मुस्लिम, भारत सरकार में, भारतीय होने के नाते नहीं,
मुस्लिम हैसियत से भागीदार हों।'' (डॉ. तारा चन्द,
हिस्ट्री ऑफ दी फ्रीडम मूवमेंट, खंड ३, पृ. २८७)
(5) बंगलादेश के जहांगीर खां ने ''बंगला देश, पाकिस्तान,
कश्मीर तथा पश्चिमी बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश,
राजस्थान, पंजाब व हरियाणा के मुस्लिम बहुल कुछ
भागों को मिलाकर मुगलियास्थान नामक
इस्लामी राष्ट्र बनाने का सपना संजोया है'' (मुसलमान
रिसर्च इंस्टीट्यूट जहांगीर नगर, बंगलादेश, २०००)
(6) राष्ट्रगान वन्देमातरम ओर सूर्य नमस्कार को ये
अपना अपमान मानते है
जिनके नेता ऐसे होंगे वो कोम कैसी है खुद
अंदाजा लगा लो । जागो हिँदुओ

Thursday, March 21, 2013

जामा मस्जिद इलाके में छापा, आतंकी साजिश नाकाम

जामा मस्जिद इलाके में छापा, आतंकी साजिश नाकाम





होली के मौके पर दिल्ली को दहलाने की एक बड़ी आतंकी साजिश नाकाम हो गयी है.

दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने होली पर दिल्ली को दहलाने की साजिश को नाकाम कर दिया है. स्पेशल सेल ने बीती रात जामा मस्जिद इलाके के गेस्ट हाउस पर छापा मारकर विस्फोटक और एके-47 बरामद किया है और दो संदिग्धों को हिरासत में भी लिया है.

दरअसल पुलिस ने हिजबुल मुजाहिद्दीन के आंतकी लियाकत अली को गोरखपुर से गिरफ्तार किया था. लियाकत की निशानदेही पर पुलिस ने इस छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया है.

सूत्रों के मुताबिक लियाकत अली से पूछताछ में पता चला कि जामा मस्जिद इलाके के हाजी अराफात गेस्ट हाउस में दो संदिग्ध लोग ठहरे हुए थे.

इसके बाद पुलिस बीती रात करीब साढे दस बजे गेस्ट हाउस पर पहुंची. उनके साथ में बॉम्ब स्कॉवड की टीम भी मौजूद थी.

रात करीब ढाई बजे तक छापेमारी चली. पुलिस ने गेस्ट हाउस का कमरा नंबर 304 सील कर दिया है.

पुलिस अपने साथ कुछ सामान, दस्तावेज और होटल का रजिस्टर भी ले गई है. फिलहाल पुलिस आतंकियों के दूसरे साथियों को तलाश रही है.

पुलिस के मुताबिक स्पेशल सेल ने लियाकत को गोरखपुर से गिरफ्तार किया है. वो नेपाल के रास्ते भारत में दाखिल हुआ और गोरखपुर से दिल्ली आ रहा था. इसी दौरान पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया.

पुलिस ने देर रात ही उसे कोर्ट में पेश किया औऱ रिमांड पर ले लिया. बताया जा रहा है कि लियाकत ने पाकिस्तान में हिजबुल के कैंप में ट्रेनिंग ली है और वो ए ग्रेड का आतंकी है.

मित्रों कश्मीर में यदि किसी के घर पर थोड़े से गोले- बारूद की खेप भी मिल जाती है तो सरकार उस जगह को छावनी में बदल देती है, पर अब जब देश की राजधानी दिल्ली में जामामहजिद इलाके में कम से कम दस साल तक भी ना खत्म होने वाले गोले, बारूद, हथियारों की खेप मिली है,

तो क्या सरकार को जामामहजिद के पुरे इलाके को छावनी में नहीं बदल देना चाहिए ? पर क्या हम ऐसी कोई उम्मीद कर सकते हैं वोट बैंक की भूखी कांग्रेस से ?

अपनी राय दें क्या जामामहजिद इलाके को छावनी में बदल देना चाहिए ?

सबसे तेज सन्नाटेदार फोलोअप:

दिल्ली पुलिस ने कल रात जहाँ से विस्फोटक और हथियार बरामद किये उस गेस्ट हाउस का नाम हाजी अराफात है | यह दिल्ली के सबसे शांत माने जाने वाले जामा मस्जिद इलाके में स्थित है | इस षड्यंत्र के पीछे हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी लियाकत अली शाह का नाम सामने आ रहा है |जिसने पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में दो कश्मीरी मुस्लिमों के नाम भी उगले हैं |
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आपको सेकुलरिस्म की कसम है, किसी धर्म को आतंक से मत जोड़िएगा |



सबसे बड़ी झन्नाटेदार खबर आपके पास :

कल रात को दिल्ली के जामा मस्जिद इलाके के एक मुसलमान मियाँ के घर में पुलिस ने छापेमारी कि तो पता चला कि अभी तक कि सबसे बड़ी हथियारों कि खेप उसके पास मौजूद है, यहाँ तक कि उसके पास मिले हथियारों में ऐ.के.४७ रायफल भी मिली है, गोल बारूद का बेपनाह जखीरा और गोलियों कि तो अपार तादाद मिली है....!!!
पुलिस ने इस आतंकवादी को गिरफ्तार कर लिया है.....और रिमांड में लेकर इससे पूंछ-तांछ जारी है....!!

सबसे बड़ा सवाल : जमा मस्जिद और उसके आसपास के घरों कि नियमित कड़ी चेकिंग क्यूँ नहीं करती दिल्ली सरकार.......??

Hindurashtra
Hindurashtra.in
मित्रों मैं नहीं कहता कि हर महजिद में ऐसा नीच काम होता है, मगर जब भी देश में कोई आंतकवादी हमला होता है तो कहीं ना कहीं से उसके तार किसी ना किसी महजिद या मदरसों से ही जुड़े निकलते हैं, जब भी देश में कोई आंतकवादी घुसता है तो वो अपने को किसी महजिद या मदरसे में ही छुपाता है, क्योंकि उसको पता है कि देश में कांग्रेस की सरकार और वो कभी भी महजिदों या मदरसों में वोट बैंक की वजह से छापे नहीं पड़ने देगी..

इसलिए आंतकवादी सबसे पहले आकार इन्हीं दो जगहों पर छुपते हैं, फिर आगे का प्रोग्राम बनाते हैं, मगर एक बात और कि उन लोगों को क्या महजिद या मदरसें बचा सकते हैं यदि यहाँ के लोकल लोगों का उनको समर्थन ना हो तो ?

यदि वे कुछ गद्दार मुसलमान झट से पुलिस को खबर कर दें फिर क्या वे आंतकवादी महजिदों या मदरसों में छुपे रह सकते हैं ? कल रात को पकडे गए असला, बारूद भी एक ऐसे गेस्ट में छुपाए गए थे जो कि एक मुसलमान का था,

मैं इस पोस्ट में हर मुसलमान को गलत नहीं कर कह रहा, मगर जो गलत होते हैं तथा ऐसे देशविरोधी कामों में लिप्त होते हैं वो मुसलमान ही होते हैं, और ऐसे गलत मुसलमानों को अन्य मुस्लिम्स को अपने बीच से निकालना चाहिए, सिर्फ इसलिए उनका बचाव नहीं करना चाहिए कि वो उनके मजहब से हैं.



Wednesday, March 20, 2013

हमारे पूर्वज मुस्लमान हमालावर थे

कनाडा में तारिक फतह और पाकिस्तान की रिहाना ने सरेआम टीवी पर, सभाओं में साफ-साफ कहा कि ..वे(मुस्लमान) हमालावर थे,

हमारे पूर्वजों ने भय में अपने आप को उनकी नापाक हाथों में सौंप दिया, उन्हें मानने से पहले हमें हक है कि हम इस रुट को जान-समझ लें, ..इस्लाम को जाना ही होगा क्योंकि इतिहास यही कहता आ रहा है..मैं मुसलमान थोड़े ही हूँ, मेरी आत्मा वेदों की तरफ से आती है और मेरे लहू में महान हिन्दू ऋषियों के वंश सूत्र हैं ..इस सत्य को कोई सीधे से माने कि न माने पर, सत्त्य तो यही है न..इस्लाम मूर्खों का कल्ट है। जन्म लेते ही इसमें बच्चों के कानों अल्लाहो अकबर कह कर उसका ब्रेनवाश चालू करा दिया जाता है। कुछ बड़े होने पर उनका खतना कर बाकि के गैरमुस्लिमों से उन्हें अलग बना दिया जाता है, ..

बाकि जिंदगी में वे कभी आजाद हो ही नहीं सकते। इकमात्र कुरान किसी भी मुसलमान को उसकी क्षमताओं के बावजूद शेष संसार में किस कदर पीछे छोड़ता है, ..आतंकवाद इसी हताशा का परिणाम है। कुरान और हदीशों के भय से हटकर एक भी मुसलमान दिखाऐं जो सरेआम बच्चों को नए जमाने की शिक्षा और कायदे सिखाता हो, सभी गैरमुस्लिमों से लड़ने की बात कह कर कुरान ने स्वंय इस्लाम के अंत की गारंटी कर दी है ..

इन्हीं सभी करणों से इस्लाम को जाना ही होगा.. (और भी बातें कही है इन लोगों ने और दूसरे लोगों ने. एक विडियो की लिंक पुनः दे रहा हूँ उसे भी देख लें। मुसलमानों को याद दिलाते रहना कि वे हिन्दू पूर्वजों की औलाद हैं और उन्हें वापस आना है, हिन्दू पुनर्जागरण का प्रथम मान्य सोपान है..)

http://youtu.be/R0rBiB1SAtE

Monday, March 18, 2013

जब बंगलादेश बनाया गया


जब बंगलादेश बनाया गया था तब वहाँ तीस प्रतिशत आबादी हिन्दूओं की थी..

तो उन तीस प्रतिशत हिन्दूओं से पूछा गया था कि क्या हम अपने देश को सेकुलर रहने दें या इस्लामिक राष्ट्र बना दें..

फिर क्या हमको जरूरत है अपने देश की पच्चीस प्रतिशत चूतिया जमात से पूछने की क्या हम भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाये या नहीं ?

और वो देश इस्लामिक राष्ट्र बना दिया गया तो देखो आज वहाँ क्या हाल है वहाँ की तो छोडो दुनिया के छप्पन इस्लामिक देशों का आज क्या हाल है,

खाने को रोटी नहीं है

पहनने को कपडा नहीं है,

बगल में पिग्गिस्तान को ही देख लो कैसे बाजे- गाजों के साथ ढोल पीट कर अलग हुए थे कि जी हम तो अलग हो रहे हैं, और अपना एक अलग मुल्क बनानेंगे इंन्सा अल्लाह दुनिया में पाकिस्तान एक शक्ति बन कर उभरेगा,

शक्ति तो गई तेल लेने पर आंतकवाद की फैक्ट्री जरुर बन कर उभर गया.. और आज दो से चार सालों में खत्म होने की कगार पर खड़ा है..

इसलिए अब हमें भारत को ज्यादा देर ना करते हुए हिन्दू राष्ट्र बनाने की कवायद शुरू कर देनी चाहिए..

याद रखो यदि हिन्दूराष्ट्र होगा तो ही सभी शांति से जी पाएंगे, नहीं तो यदि सेकुलर बना रहा इस्लामिक राष्ट्र बना तो और तो ख़ैर जैसे- तैसे खत्म हो ही जाएंगे

खुद मुसलमान ही दूसरे मुसलमान के खून के प्यासे हो जाएंगे..

जैसे आज दुनिया भर के इस्लामिक देशों में हो रहा है..

आप लोगों का क्या कहना है ? कृपया बताएं ...

जय हिन्द..

आओ माफी मांगने का सिलसिला शुरू करते हैं |


आओ माफी मांगने का सिलसिला शुरू करते हैं |
२००२ तो बहुत बाद में आया, उससे पहले से शुरू करते हैं |
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तीस्ता सीतलवाड़ माफी मांगो सन 715 के लिए जब मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर बेवजह हमला किया |

जावेद आनंद माफी मांगो सन 1001-1027 के लिए जब महमूद गजनवी ने भारत वर्ष पर 17 बार हमला किया | मंदिरों को लूटा और लाखों हिन्दुओं का कत्ल किया |

शबनम हाशमी माफी मांगो सन 1175 से 1197 के लिए जब मुहम्मद गोरी ने सिंध, ग्वालियर, गुजरात, बनारस और अजमेर पर रक्त रंजित हमला किया |

शाजिया इल्मी माफी मांगो सन 1193 के लिए जब मुहम्मद खिलजी ने बिहार पर हमला करके खून की नदियाँ बहाई | माफी मांगो सन 1199 से 1202 के लिए जब खिलजी ने बंगाल को तहस नहस किया | रणथम्बोर, अजमेर, जालोर, नागौर , ग्वालियर, बदायूं, कन्नौज और बनारस को लूटा |

अरुंधती रॉय माफी मांगो 1297 के लिए जब अलाउद्दीन खिलजी ने गुजरात पर हमला किया | माफी मांगो 1301 के लिए जब इसने रणथम्बोर के राजा हमीर देव की हत्या की | माफी मांगो 1305 के लिए लिए जब इस शैतान ने रानी पद्मिनी को जौहर करने के लिए मजबूर किया |

मेधा पाटकर माफी मांगो 1326 के लिए जब फिरोज तुगलक ने ज्वालामुखी मंदिर को ध्वस्त किया | माफी मांगो 1360 के लिए जब इसने जाज नगर के जगन्नाथ पूरी मन्दिर को नष्ट किया |

प्रशांत भूषण माफी मांगो 1527 के लिए जब बाबर ने बहराइच, सियालकोट, रणथमबौर और बिहार पर हमला किया |

नंदिता दास माफी मांगो 1555 के लिए जब हुमायूं ने दिपालपुर और लाहौर पर हमला किया |

जावेद अख्तर माफी मांगो 1589 के लिए जब अकबर ने बंगाल, गुजरात और कश्मीर पर हमला किया |

मुलायम सिंह माफी मांगो औरंगजेब के शासन काल के लिए जिसने लाखों हिन्दुओं का कत्ल किया और मंदिरों को नष्ट किया | जिसने हिन्दुओं को इस्लाम और जिन्दगी में से एक चुनने के लिए मजबूर किया | जिसने गुरु तेगबहादुर का कत्ल किया |

लालू माफी मांगो नोआखली में हिन्दुओं के नरसंहार के लिए |

सेकुलरों माफी मांगो मोपला में हिन्दुओं के सुनियोजित क़त्ल के लिए | और अभी हाल में उत्तर प्रदेश के कोसीकलां, प्रतापगढ़, इलाहबाद में हिन्दुओं के कत्ल के लिए |

अगर तुम लोग सेकुलरिज्म की उपरोक्त महान घटनाओं पर माफी मांग लो,
२००२ के लिए मैं मोदी जी से अभी माफीनाम जारी करवा देता हूँ |

Sunday, March 17, 2013

अफजल गुरु की फांसी भारतीय लोकतंत्र पर धब्बा: अरुंधति रॉय


अफजल गुरु की फांसी भारतीय लोकतंत्र पर धब्बा: अरुंधति रॉय
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लो भाई एक और पैदा हो गयी आतंकियों की हितैषी

विदेशी चंदे पर पलने वाले और दुनियाँ के सामने भारत की गलत तस्वीर दिखाकर विदेशी पुरुस्कार प्राप्त कर भारत के हितों के खिलाफ काम करने वाले अरुन्धति राय जैसे निर्लज्ज तथाकथित मानवाधिकारी ही वास्तव में देश पर धब्बा ही नही गहरे कलंक है।।
इनको कानून पालक निर्दोष भारतीयों की मौत और देश की रक्षा करने वाले सुरक्षाकर्मियों की मौत का कभी कोई गम नहीं होता।।
धिक्कार है ऐसे लोगों को ! आतंकवादियों और माओवादियों से भी पहले देश को देशद्रोहियों के इन समर्थकों से निपटने की आवस्यकता है।।

दोस्तों, दुख होता है ऐसे लोग भी है हमारे देश मे जो देश के गद्दारों के साथ हमदर्दी की बात करते है।।
एक आतंकवादी के गुनाहों की सजा को भारतीय लोकतंत्र पर धब्बा
बताने वाली मोहतरमा का ये बयान किसी देशद्रोह से कम है क्या ???

मैडमजी सिर्फ आतंकवादियों के दर्द को मत देखिये हमारे बेगुनाह सैनिको के बारे मे भी सोचिये वो भी मारे गये थे, उनके बारे मे आपको दुख नहीं है, लेकिन जिसके कारण बेगुनाहों की जाने गयी उसके मरने का आपको इतना दुःख है की अपने इस देश की लोकतंत्र पे ही सवाल उठा दिए ..!!!!

वाह रे मेरे भारती नागरिक ।

***जय माँ भारती***
****वन्दे मातरम*****




http://navbharattimes.indiatimes.com/india/national-india/the-hanging-of-afzal-guru-is-a-stain-on-indias-democracy/articleshow/19015975.cms
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इस्लाम आतंकवाद का दूसरा रूप

आज इस्लाम आतंकवाद का दूसरा रूप बन चूका है और अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, ब्रिटन,जापान, चीन, इस्राईल, स्पेन जैसे विकसित देश इस्लाम के साथ कितनी सख्ती से निपट रहे है ..इस पर एक नजर डालते है ।
1) फ्रांस : 'मुस्लिम मौलानाओं के देश में आने पर रोक'
2) बुर्का, हिजाब और नकाब पहनने पर फ्रांस ,कॅनडा में पाबदी
3) चीन में बच्चे और सरकारी अधिकारी कों मस्जिद मे प्रवेश पे पाबंदी
4) जापान में मुस्लिम आबादी और मस्जिदों की संख्या नगण्य
5) आतंकवाद के केन्द्र पाकिस्तान,अफगानिस्तान, इराक और लीबिया पर अमेरिका, ब्रिटन और इस्राइल के हवाई हमले
6)मुस्लिमो कों अमेरिका का वीजा मिलना हुआ बहुत मुश्किल
7) कुरान पर प्रतिबन्ध लगाने की तैयारी में स्पेन समेत कई देश
8) फ्रांस में नमाज पे पाबंदी
9) चीन ने रमजान के रोजा इफ्तार पर प्रतिबन्ध लगा दिया हैं.
इस देश में एक विद्यां ने कहा है की यदि आपके पडोसी के घर हमला हो और आप कुछ नहीं करते तो इसका मतलब अगला नम्बर आपका है
इसीलिए मित्रो इन मरने वालो को याद रखो इनको कभी मत भूलो विकल्पों को तभी तक चुनना चाहिए जब तक वो हमारे आत्मविश्वा­स को नुक्सान न पहुचाये
हर बम धमाके के बाद मीडिया में यही दिखाया जाता है की जनता पर आतंकवादियों द्वारा किये हमले का कोई असर नहीं पड़ा जीवन पटरी पर लौट आया लोग फिर से अपने काम में लग गए लोगो में आतंकियों द्वारा विस्फोट से कोई प्रभाव नहीं पड़ा ............... ............... ­........जनता मीडिया द्वारा इन् तरह से उनकी प्रंशा करने पर खुश होती है और अपने आपको बहादुर समझती है लेकिन दुःख के साथ कहना पड रहा है मित्रो ये बहादुरी नहीं बेशर्मी और हमे इसे बदलना होगा ............... ­............... ............... ­............... ­............... ­............... ­..........एक बात का ध्यान रखे मित्रो यूरोप औरअमरीका मुसलमानों को अपने देश से निकलने की तयारी कर रहे है सारी दुनिया में इनके खिलाफ माहौल है तब हम क्यों हाथ पे हाथ रख कर बैठे है तब
साभार :सुमित शर्मा ||

पाकिस्तान का असली इरादा


पाकिस्तान का असली इरादा !

इस बात में किसी को कोई शंका नहीं होना चाहिये कि पाकिस्तान का निर्माण इस्लाम के कारण हुआ था . और इस्लाम सभी गैर मुस्लिमों से नफ़रत करने की शिक्षा देता है .जिस तरह से हमें इस्लाम को ठीक से समझने के लिए ओसामा बिन लादेन के फतवे पढ़ने की जरुरत है ,उसी तरह पाकिस्तान की नीतियों और उसके इरादों को समझने के लिए पाकिस्तान के दूसरे बाप इकबाल की किताब " शिकवा " को पढ़ना जरुरी है . भले लोग भारत -पाक् विवाद का कारण कश्मीर , और सीमा पर से चलाये जाने वाले आतंकवाद को मानते हों , लेकिन मुहम्मद इकबाल ने पाकिस्तान बनने से काफी पहले ही पाकिस्तान के असली इरादों के बारे में स्पष्ट शब्दों में बता दिया था .और आज पाकिस्तान इकबाल के उन्ही इरादों को पूरा कर रहा है ,यहाँ इकबाल की किताब के कुछ अंश दिए जा रहे हैं ,

"चीनो अरब हमारा ,हिन्दोस्तां हमारा ,
मुस्लिम हैं हम वतन हैं , सारा जहाँ हमारा .
तेगों के साये में हम पल कर जवाँ हुए हैं ,
आसां नहीं है मिटाना नामो निशाँ हमारा .

इस से साफ पता चलता हैं ,कि मुसलमान भारत सहित सम्पूर्ण दुनिया पर राज करना चाहते हैं ,

आगे इकबाल कहता है कि मुसलमानों ने तलवार की जोर से इस्लाम फैलाया है
"बस रहे थे यहीं सलजूकी भी तूरानी भी ,अहले चीन ,चीन में इरान में ईरानी भी ,इसी मामूर में आबाद थे यूनानी भी ,इसी दुनिया में यहूदी भी थे ,नसरानी भी ,पर तेरे नाम से तलवार उठाई किसने ,बात बिगड़ी ,तो इतनी बिगाड़ी किसने इस से साफ पता चलता है कि इन्हीं मुसलमानों ने दुनिया को बर्बाद किया है

यही नहीं इकबाल स्वीकार करता है कि आतंक और भय के कारण लोगों ने इस्लाम कबूल किया है -

"किसकी हैबत से सनम सहमे हुए रहते हैं , मुंह के बल गिर के " हुवल्लाहु अहद " कहते हैं .
फिर इकबाल जिहाद का असली रूप भी बताता है ,
"खौफ तौहीद का हर दिल पे बिठाया हमने ,जेरे खंजर भी ये पैगाम सुनाया हमने .
दिश्त तो दिश्त दरिया भी न छोड़े हमने , बहरे जुल्मात में दौड़ा दिए घोड़े हमने .
इसी तरह जब इकबाल 1930 में मुस्लिम लीग का अध्यक्ष बना था , तो उसने इलाहबाद में जो कहा था , वह पाकिस्तान के उद्देश्य में शामिल है . इकबाल ने कहा -

" हम मुवाहिद हैं , हमारा कैस है , तरके रसूम , मिल्लतें जब मिट गयीं तो अजजाये इमां हो गयीं "

अर्थात हम हमारी नीति विश्व में समानता फ़ैलाने की है , लेकिन दुनिया की सभी सभ्यताएं मिट जाएगी तो दुनिया ईमान यानि इस्लाम का भाग बन जाएगी . यानि तभी विश्व में समानता हो सकेगी . यही कारण है कि इकबाल को पाकिस्तान राष्ट्रकवि माना जाता है

और जब भी कोई मुसलमान आपसी समानता की बात करता है , उसका तात्पर्य वही होता है ,जो इकबाल ने कहा है , लेकिन मुर्ख लोग इसे इस्लाम और मुसलमानों की उदारता समझ लेते हैं .

सरकार चाहे पूरा कश्मीर पाकितान के हवाले कर दे , मुस्लमान आतंक फैलाते रहेंगे , चाहे वह पाकिस्तानी हों या यहाँ के पाक समर्थक मुस्लमान .
यह एक अटल सत्य है ,कि हर मुसलमान जिहादी होता है .

Saturday, March 16, 2013

जब मुस्लिम जनसंख्या 60% से ऊपर

जब मुस्लिम जनसंख्या 60% से ऊपर हो जाती है तब अन्य धर्मावलंबियों का “जातीय सफ़ाया” शुरु किया जाता है (उदाहरण भारत का कश्मीर), जबरिया मुस्लिम बनाना, अन्य धर्मों के धार्मिक स्थल तोड़ना, जजिया जैसा कोई अन्य कर वसूलना आदि किया जाता है, जैसे –

भारत अभी पीछे हे.... और यु कहे की हमारे पास मोका हे इन सब से सीख लेने का.....

जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदूदी कहते हैं कि कुरान के अनुसार विश्व दो भागों में बँटा हुआ है, एक वह जो अल्लाह की तरफ़ हैं और दूसरा वे जो शैतान की तरफ़ हैं। देशो की सीमाओं को देखने का इस्लामिक नज़रिया कहता है कि विश्व में कुल मिलाकर सिर्फ़ दो खेमे हैं, पहला दार-उल-इस्लाम (यानी मुस्लिमों द्वारा शासित) और दार-उल-हर्ब (यानी “नास्तिकों” द्वारा शासित)। उनकी निगाह में नास्तिक का अर्थ है जो अल्लाह को नहीं मानता, क्योंकि विश्व के किसी भी धर्म के भगवानों को वे मान्यता ही नहीं देते हैं।

इस्लाम सिर्फ़ एक धर्म ही नहीं है, असल में इस्लाम एक पूजापद्धति तो है ही, लेकिन उससे भी बढ़कर यह एक समूची “व्यवस्था” के रूप में मौजूद रहता है। इस्लाम की कई शाखायें जैसे धार्मिक, न्यायिक, राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सैनिक होती हैं। इन सभी शाखाओं में सबसे ऊपर, सबसे प्रमुख और सभी के लिये बन्धनकारी होती है धार्मिक शाखा, जिसकी सलाह या निर्देश (बल्कि आदेश) सभी धर्मावलम्बियों को मानना बाध्यकारी होता है। किसी भी देश, प्रदेश या क्षेत्र के “इस्लामीकरण” करने की एक प्रक्रिया है। जब भी किसी देश में मुस्लिम जनसंख्या एक विशेष अनुपात से ज्यादा हो जाती है तब वहाँ इस्लामिक आंदोलन शुरु होते हैं। शुरुआत में उस देश विशेष की राजनैतिक व्यवस्था सहिष्णु और बहु-सांस्कृतिकवादी बनकर मुसलमानों को अपना धर्म मानने, प्रचार करने की इजाजत दे देती है, उसके बाद इस्लाम की “अन्य शाखायें” उस व्यवस्था में अपनी टाँग अड़ाने लगती हैं। इसे समझने के लिये हम कई देशों का उदाहरण देखेंगे, आईये देखते हैं कि यह सारा “खेल” कैसे होता है????

जब तक मुस्लिमों की जनसंख्या किसी देश/प्रदेश/क्षेत्र में लगभग 2% के आसपास होती है, तब वे एकदम शांतिप्रिय, कानूनपसन्द अल्पसंख्यक बनकर रहते हैं और किसी को विशेष शिकायत का मौका नहीं देते, जैसे -
अमेरिका – मुस्लिम 0.6%
ऑस्ट्रेलिया – मुस्लिम 1.5%
कनाडा – मुस्लिम 1.9%
चीन – मुस्लिम 1.8%
इटली – मुस्लिम 1.5%
नॉर्वे – मुस्लिम 1.8%

जब मुस्लिम जनसंख्या 2% से 5% के बीच तक पहुँच जाती है, तब वे अन्य धर्मावलम्बियों में अपना “धर्मप्रचार” शुरु कर देते हैं, जिनमें अक्सर समाज का निचला तबका और अन्य धर्मों से असंतुष्ट हुए लोग होते हैं, जैसे कि –
डेनमार्क – मुस्लिम 2%
जर्मनी – मुस्लिम 3.7%
ब्रिटेन – मुस्लिम 2.7%
स्पेन – मुस्लिम 4%
थाईलैण्ड – मुस्लिम 4.6%

मुस्लिम जनसंख्या के 5% से ऊपर हो जाने पर वे अपने अनुपात के हिसाब से अन्य धर्मावलम्बियों पर दबाव बढ़ाने लगते हैं और अपना “प्रभाव” जमाने की कोशिश करने लगते हैं। उदाहरण के लिये वे सरकारों और शॉपिंग मॉल पर “हलाल” का माँस रखने का दबाव बनाने लगते हैं, वे कहते हैं कि “हलाल” का माँस न खाने से उनकी धार्मिक मान्यतायें प्रभावित होती हैं। इस कदम से कई पश्चिमी देशों में “खाद्य वस्तुओं” के बाजार में मुस्लिमों की तगड़ी पैठ बनी। उन्होंने कई देशों के सुपरमार्केट के मालिकों को दबाव डालकर अपने यहाँ “हलाल” का माँस रखने को बाध्य किया। दुकानदार भी “धंधे” को देखते हुए उनका कहा मान लेता है (अधिक जनसंख्या होने का “फ़ैक्टर” यहाँ से मजबूत होना शुरु हो जाता है), ऐसा जिन देशों में हो चुका वह हैं –
फ़्रांस – मुस्लिम 8%
फ़िलीपीन्स – मुस्लिम 6%
स्वीडन – मुस्लिम 5.5%
स्विटजरलैण्ड – मुस्लिम 5.3%
नीडरलैण्ड – मुस्लिम 5.8%
त्रिनिदाद और टोबैगो – मुस्लिम 6%

इस बिन्दु पर आकर “मुस्लिम” सरकारों पर यह दबाव बनाने लगते हैं कि उन्हें उनके “क्षेत्रों” में शरीयत कानून (इस्लामिक कानून) के मुताबिक चलने दिया जाये (क्योंकि उनका अन्तिम लक्ष्य तो यही है कि समूचा विश्व “शरीयत” कानून के हिसाब से चले)। जब मुस्लिम जनसंख्या 10% से अधिक हो जाती है तब वे उस देश/प्रदेश/राज्य/क्षेत्र विशेष में कानून-व्यवस्था के लिये परेशानी पैदा करना शुरु कर देते हैं, शिकायतें करना शुरु कर देते हैं, उनकी “आर्थिक परिस्थिति” का रोना लेकर बैठ जाते हैं, छोटी-छोटी बातों को सहिष्णुता से लेने की बजाय दंगे, तोड़फ़ोड़ आदि पर उतर आते हैं, चाहे वह फ़्रांस के दंगे हों, डेनमार्क का कार्टून विवाद हो, या फ़िर एम्स्टर्डम में कारों का जलाना हो, हरेक विवाद को समझबूझ, बातचीत से खत्म करने की बजाय खामख्वाह और गहरा किया जाता है, जैसे कि –
गुयाना – मुस्लिम 10%
भारत – मुस्लिम 15%
इसराइल – मुस्लिम 16%
केन्या – मुस्लिम 11%
रूस – मुस्लिम 15% (चेचन्या – मुस्लिम आबादी 70%)

जब मुस्लिम जनसंख्या 20% से ऊपर हो जाती है तब विभिन्न “सैनिक शाखायें” जेहाद के नारे लगाने लगती हैं, असहिष्णुता और धार्मिक हत्याओं का दौर शुरु हो जाता है, जैसे-
इथियोपिया – मुस्लिम 32.8%

जनसंख्या के 40% के स्तर से ऊपर पहुँच जाने पर बड़ी संख्या में सामूहिक हत्याऐं, आतंकवादी कार्रवाईयाँ आदि चलने लगते हैं, जैसे –
बोस्निया – मुस्लिम 40%
चाड – मुस्लिम 54.2%
लेबनान – मुस्लिम 59%

जब मुस्लिम जनसंख्या 60% से ऊपर हो जाती है तब अन्य धर्मावलंबियों का “जातीय सफ़ाया” शुरु किया जाता है (उदाहरण भारत का कश्मीर), जबरिया मुस्लिम बनाना, अन्य धर्मों के धार्मिक स्थल तोड़ना, जजिया जैसा कोई अन्य कर वसूलना आदि किया जाता है, जैसे –
अल्बानिया – मुस्लिम 70%
मलेशिया – मुस्लिम 62%
कतर – मुस्लिम 78%
सूडान – मुस्लिम 75%

जनसंख्या के 80% से ऊपर हो जाने के बाद तो सत्ता/शासन प्रायोजित जातीय सफ़ाई की जाती है, अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों को उनके मूल नागरिक अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है, सभी प्रकार के हथकण्डे/हथियार अपनाकर जनसंख्या को 100% तक ले जाने का लक्ष्य रखा जाता है, जैसे –
बांग्लादेश – मुस्लिम 83%
मिस्त्र – मुस्लिम 90%
गाज़ा पट्टी – मुस्लिम 98%
ईरान – मुस्लिम 98%
ईराक – मुस्लिम 97%
जोर्डन – मुस्लिम 93%
मोरक्को – मुस्लिम 98%
पाकिस्तान – मुस्लिम 97%
सीरिया – मुस्लिम 90%
संयुक्त अरब अमीरात – मुस्लिम 96%

बनती कोशिश पूरी 100% जनसंख्या मुस्लिम बन जाने, यानी कि दार-ए-स्सलाम होने की स्थिति में वहाँ सिर्फ़ मदरसे होते हैं और सिर्फ़ कुरान पढ़ाई जाती है और उसे ही अन्तिम सत्य माना जाता है, जैसे –
अफ़गानिस्तान – मुस्लिम 100%
सऊदी अरब – मुस्लिम 100%
सोमालिया – मुस्लिम 100%
यमन – मुस्लिम 100%

आज की स्थिति में मुस्लिमों की जनसंख्या समूचे विश्व की जनसंख्या का 22-24% है, लेकिन ईसाईयों, हिन्दुओं और यहूदियों के मुकाबले उनकी जन्मदर को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस शताब्दी के अन्त से पहले ही मुस्लिम जनसंख्या विश्व की 50% हो जायेगी (यदि तब तक धरती बची तो)… भारत में कुल मुस्लिम जनसंख्या 15% के आसपास मानी जाती है, जबकि हकीकत यह है कि उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और केरल के कई जिलों में यह आँकड़ा २० से ३०% तक पहुँच चुका है… अब देश में आगे चलकर क्या परिस्थितियाँ बनेंगी यह कोई भी (“सेकुलरों” को छोड़कर) आसानी से सोच-समझ सकता है…

(सभी सन्दर्भ और आँकड़े : डॉ पीटर हैमण्ड की पुस्तक “स्लेवरी, टेररिज़्म एण्ड इस्लाम – द हिस्टोरिकल रूट्स एण्ड कण्टेम्पररी थ्रेट तथा लियोन यूरिस – “द हज”, से साभार)

राष्ट्र को मजहब से उपर

मुसलमान अगर राष्ट्र को मजहब से उपर समझते,
तो पाकिस्तान ना होता,.......
एक कौम नेँ मजहब की बलिवेदी पर अखंड भारत
को हलाल कर दिया, भारत के लगभग चार टुकड़े
कर दिए..........
अब वो कौम हमसे अपने पिछड़पन के लिये
संवेदना चाहती है, विशेष कानून चाहती है ,
विशेष अधिकार चाहती है , अरे जब तुम लोगों ने
अलग देश ही मांग लिया तो अब यहाँ रहकर
आरक्षण और अन्य सहूलियतें मांगने
का क्या औचित्य है !!!!!!!!!!!!!!!!!
और जब कोई इनकी इस अनुचित मांग का विरोध
करता है , उसे ये लोग सांप्रदायिक कह देते हैं ,
मेरे कथित भाइयों यहाँ रहना चाहते
हो तो चुपचाप पड़े रहो , ज्यादा चूं चपड़
करनी है तो जाओ पाकिस्तान...

मुस्लिम आरक्षण:निशाने पर हिन्दू, विभाजन को आमंत्रण


मुस्लिम आरक्षण:निशाने पर हिन्दू, विभाजन को आमंत्रण

भारतीय राजनीति यदि अभी तक उसी मार्ग पर बढ़ रही हो जिस पर चलकर भारत को लगभग हजार वर्षों की गुलामी के बाद प्राप्त होने वाली स्वतन्त्रता की पहली सुबह से पूर्व ही दो टुकड़ों में बाँट दिया गया था तो इसे भारत के सनातन अस्तित्व के दुर्भाग्य के अतिरिक्त और क्या कहा जाना चाहिए? इतिहास साक्षी है यदि स्वतन्त्रता पूर्व मुस्लिम तुष्टीकरण की विषवेल को सींचा न गया होता तो शायद देश विभाजन की त्रासदी से बच जाता। मुस्लिम आरक्षण तुष्टीकरण की उसी आत्मघाती परिपाटी का आज एक विस्फोटक रूप है जिसे कॉंग्रेस ने अपने जन्मकाल से पाला पोषा है। भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 14% होने के बाद भी मुसलमान भारत में अल्पसंख्यक है, भारत की ये अल्पसंख्यक परिभाषा से विश्व की किसी भी परिभाषा से अलग अपनी अनोखी परिभाषा है। वैचित्र्य यह है कि मुसलमान देश के उन हिस्सों में भी अल्पसंख्यक ही है जहां उसकी आबादी 50-60-70% अथवा उससे भी अधिक है तथा बढ़ती जनसंख्या के साथ मुसलमानो को मिलने वाले स्पेशल पैकेज व सहूलियतें भी बढ़ती जाती हैं। देश के नेताओं व राजनैतिक पार्टियों को ताल ठोंकर ये कहने में भी शर्म नहीं आती कि अल्पसंख्यक आरक्षण अथवा अन्य सहूलियतों में मुसलमानों के अतिरिक्त किसी और का हक नहीं देने दिया जाएगा।
4.5% मुस्लिम आरक्षण के साथ एक ऐसे राक्षस को जन्म दिया गया है जिसका आकार और भूंख दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जाएगी जब तक एक और दारुल इस्लाम इस देश से अलग न कर लिया जाए, इतिहास स्वयं इसका पुष्ट प्रमाण है। आरक्षण के इस दैत्य ने पैदा होते ही अपना मुंह फैलाना आरम्भ कर दिया है और 9%, 13% से होते हुये 18% की दावेदारी तक जा पहुंचा है। लालची कुतर्कों की नींव पर फैलता तुष्टीकरण आरक्षण के पक्ष में मुसलमानों के पिछड़ेपन की बात करता है तथा साथ ही एक और निर्लज्ज तर्क देने का दुष्प्रयास किया जाता है कि इस देश में मुसलमान बहुसंख्यक हिंदुओं के द्वारा भेदभाव का शिकार है। प्रश्न यह है कि जिस समुदाय ने देश पर 700 वर्षों तक मनमाने तरीके से शासन किया हो वह आज भी क्यों पिछड़ा हुआ है? संविधान में आरक्षण की व्यवस्था उस वर्ग के लिए की गयी थी जिसे सामाजिक रूढ़ियों, जिनमें अधिकाश मध्यकाल में पैदा हुई थीं, के कारण सामाजिक भेदभाव व अन्याय का शिकार होना पड़ा था। लंबे समय तक शोषित रहे वर्ग के लिए दी गयी सुविधाओं पर लंबे समय तक शासन करने वाले वर्ग को डाका कैसे डालने दिया जा सकता है? यदि 700 वर्षों तक हिंदुओं पर मनमानी करते हुए देश पर बादशाहत करने के बाद भी यदि मुसलमान पिछड़ा और गरीब है तो इसका प्रतिफल देश का हिन्दू क्यों भुगते?
जिन हिन्दुओं ने सदियों तक खूनी अत्याचार झेलने और इस्लाम के नाम पर देश के टुकड़े किए जाने के बाद भी मुसलमानों को देशभाई के रूप में स्वीकार किया उन्हीं हिन्दुओं पर मुसलमानों के साथ भेदभाव का आरोप निर्लज्जता की पराकाष्ठा के साथ-साथ सनातन संस्कृति की महान उदारता को एक घृणित गाली है। सच तो यह है कि हिन्दुओं की इस महान उदारता व सहनशीलता का इस्लाम ने सदैव अनुचित लाभ उठाया है। 1947 में मुसलमानों ने हिन्दू-मुसलमान के नाम पर देश का विभाजन करा लिया, कश्मीर समस्या भी दारुल इस्लाम की भूंख के कारण ही पैदा की गयी क्योंकि सीमा के उस पार के षड्यन्त्रों को इस्लामी एकता के नाम पर इधर से पूरी शह मिलती है, कश्मीरी पण्डितों को भगाये जाने के बाद भी भारत मौन है और जनमत संग्रह की पाकिस्तानी बलबलाहट के सामने मुंह छिपाना पड़ता है। मुस्लिम जनसंख्या बढ्ने के साथ ही आज केरल जैसे दक्षिणी राज्य व बंगाल के कुछ भाग उसी कगार पर खड़े हैं। बंगाल और असम में बढ़ती मुस्लिम आक्रामकता ने कई स्थानों पर हिन्दुओं का जीना दूभर कर दिया है। ईदगाह पर तिरंगे को इजाजत नहीं मिलती है और एक हिन्दू सन्त स्वामी पुण्यानंद को सरे आम पेंड़ से बांधकर पीटा जाता है। आंध्र प्रदेश हैदराबाद में प्रशिद्ध भाग्यलक्ष्मी मन्दिर में मुसलमानों ने मिलकर घण्टी बजाने पर रोक लगवा दी क्योंकि बगल में मस्जिद होने के कारण उन्हे इस पर आपत्ति थी। साथ ही मजलिस पार्टी के एक मुस्लिम नेता अकबरुद्दीन ने प्रशासन से रामनवमी शोभायात्रा बन्द किए जाने की मांग की है। केरल में मंदिरों पर अतिक्रमण, मंदिरों के सामने मांस की दुकाने खोलना, मन्दिर के सामने गाय काटना और मन्दिर की आरती में भैंसे का सिर लटका देना कोई बड़े घटनाक्रम नहीं रह गए हैं। कर्नाटक में यदि करोड़ों हिन्दुओं की आस्थाओं व सनातन भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए भाजपा सरकार गोहत्या निरोधक कानून बनाती है तो मुसलमान संगठन इसे फासीवादी कदम बताते हुए अपने हक के नाम पर खुले विरोध पर उतर आते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चाहे चाहे मुरादाबाद रामपुर अलीगढ़ हो या पूर्वांचल में आजमगढ़, कहीं सिमी की जन्मभूमि है तो कहीं इंडियन मुजाहिद्दीन का गढ़! अंतर्राष्ट्रीय स्तर से संचालित एक संगठन ने shariah4hind.com नामक वैबसाइट के माध्यम से हिन्दू देवताओं की तोड़ी गयी मूर्तियों की तस्वीरों के साथ भारत को दारुल-इस्लाम बनाने की घोषणा भी कर दी है। इस संगठन ने 3 मार्च को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम की भी घोषणा कर दी थी जिस पर अभी दिल्ली हाइकोर्ट ने रोक लगाने का आदेश दिया है। क्या ऐसे बड़े-बड़े षड्यन्त्र भारतीय मुसलमानों के सहयोग के बिना ही चल रहे हैं? इन सबके बाद भी हिन्दू अभी तक शांत है अथवा सुप्त, भले ही निर्धारित करना कठिन हो किन्तु क्या हिन्दुओं की उदारता और सहनशीलता में भी सन्देह होना चाहिए? स्वतन्त्रता के 64 वर्षों में मुसलमान बढ़कर दो गुना हो गया क्या ये हिन्दुओं के भेदभाव के रहते हो पाया है? मुसलमानों में पिछड़े व दलित वर्ग के आधार पर आरक्षण मांगने वाले मुल्लाओं को यह भी बताना चाहिए कि इस्लाम में समानता एकता के बाद भी वे सदियों बाद तक वे पिछड़े कैसे रह गए? सच तो यह है इस्लाम की जन्मभूमि सऊदी अरब ने भी अन्य मुसलमानों को बराबरी का स्थान नहीं दिया है और अशरफ और अजलफ में बांट रखा है।
700 वर्षों की निर्मम लूट के बाद भी स्वतन्त्रता प्राप्ति के पहले दिन से ही समानता के नाम पर मुसलमानों का तुष्टीकरण प्रारम्भ हो गया था, चाहे वह गांधी द्वारा कंगाली की हालत में भी पाकिस्तान को 56 अरब रुपये की सहायता के लिए भारत सरकार पर डाला गया दबाब हो अथवा नाजुक मुस्लिम आस्थाओं की चिन्ता में दिल्ली की जामा मस्जिद में शरण लिए हिन्दुओं को सर्दियों की आधी में बाहर निकाल फिकवाने की जिद या फिर नेहरू की तुष्टीकरण की अनवरत नीतियाँ.! बहुसंख्यक जनता की खून-पसीने की कमाई से प्रतिवर्ष लाखों मुसलमानों को हजयात्रा कराई जाती है जिसे कि 1959 में पहली बार नेहरू के द्वारा प्रारम्भ किया गया था। आज प्रति मुसलमान लगभग 60000-70000 रु. हज सब्सिडी के नाम पर खर्च किए जा रह हैं, 2011 में इस सुविधा पर 125000 मुसलमानों को हजयात्रा कराई गयी। इन्दिरा गांधी ने भी नेहरू की तुष्टीकरण परम्परा का पूर्णतः पालन किया तथा मुसलमानों के लिए 20 सूत्री योजना का सूत्रपात किया। आज कॉंग्रेस सरकार की 15 सूत्री प्रधानमन्त्री अल्पसंख्यक कल्याण योजना उसी का एक स्वरूप है। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक संबन्धित मंत्रालय को अपने कुल बजट का 15% अल्पसंख्यक योजनाओं के लिए देना होता है। इस 15 सूत्री कार्यक्रम का 1 बिन्दु बाल विकास पर, 2 बिन्दु आवास सुविधा पर, 3 बिन्दु साम्प्रदायिक दंगों में अल्पसंख्यकों को एकतरफा तरीके से पीड़ित मानते हुए उनकी क्षतिपूर्ति आदि पर, 4 बिन्दु रोजगार पर व 5 बिन्दु शिक्षा पर हैं। इसके अतिरिक्त मौलाना आज़ाद एजुकेशन फ़ाउंडेशन जैसी संस्थाओं के माध्यम से मुसलमानों के लिए अरबों रुपये स्कॉलर्शिप व NGOs के नाम पर आवंटित होते हैं। दारुल-उलूम-देओवंद, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, जामिया हमदर्द एवं जामिया मिल्लिया इस्लामिया जैसे बड़े शिक्षण संस्थान अल्पसंख्यक संस्थान के रूप में आरक्षित हैं। राज्यों द्वारा अलग से अल्पसंख्यक कल्याण के नाम पर सैकड़ों योजनाएँ चलाई जा रही हैं। NUEPA की रिपोर्ट के अनुसार प्राथमिक शिक्षा में सतत भागीदारी बढ़ाते हुए मुस्लिमों बच्चो का प्रवेश प्रतिशत 13.48 हो गया जोकि मुस्लिम आबादी के लगभग बराबर है। किन्तु क्या इस सब के बाद भी कहा जाना चाहिए इस देश में मुसलमान उपेक्षित और भेदभाव का शिकार है.??
मुस्लिम आरक्षण को इस्लाम के शरीयती शिकंजे में भारत को पुनः दबोचने के स्वप्न के लिए एक हथियार के रूप में प्रयोग करने का प्रयास है। आज मुस्लिम आरक्षण एक मांग न होकर एक धमकी बन चुका है और इस बीज को मजहब की जिस जमीन पर बोया गया है उसमें पाँचवी-छठी से लेकर सत्रहवीं-अठारवी शताब्दी तक की धर्मांध इस्लामी भूंख अभी भी जिंदा है। यह वस्तुतः मुसलमानों का विकास नहीं बल्कि उस रूढ इस्लाम का पोषण है जो विश्व पर केवल शरीयत का शासन देखना चाहता है। मिश्र और ईरान जैसे राष्ट्र अपना अतीत इसी अन्धेरे में खो चुके हैं। विश्व की महाशक्ति सोवियत रूस भी अपने आपको टुकड़े-टुकड़े होने से नहीं बचा पाया था क्योंकि उसकी अपनी ही जमीन पर ऐसी विचारधारा मजबूत हो चुकी थी जिसकी आस्थाएं कहीं दूर रेगिस्तान में अपने मूल को खोज रहीं थीं। मजबूत चीन भी अपने उरुगई क्षेत्र में उसी अन्धेरे से घिरा है सुदूर में जिससे अमेरिका ब्रिटेन और फ्रांस लड़ रहे हैं। वही विचारधारा आजादी के समय पाकिस्तानी आबादी का 20% रखने वाले हिन्दुओं को आज वहाँ 2% पर सिमेट देती है और बांग्लादेश में, जहां 1971 में पाक सेना के सामने हिन्दू-मुसलमान एक होकर बांग्ला के नाम पर लड़ रहे थे, हिन्दुओं की दुर्गति पर ‘लज्जा’ जैसी किताबें लिखवा देती है। कश्मीर से लेकर पूरे भारत में फैले जिहादी आतंकवाद के खूनी छींटे हमारे सामने प्रत्यक्ष गवाह हैं किन्तु दुर्भाग्य से हम फिर भी देखना नहीं चाहते! यदि विशेष सहूलियतों से मुसलमानों का विकास सम्भव होता तो अफगानिस्तान-पाकिस्तान से लेकर सोमालिया तक तमाम मुस्लिम देश आज भयंकर दुर्गति में न जी रहे होते जहां सारी सहूलियतें मुसलमानों के लिए ही आरक्षित हैं! तेल की अकूत संपत्ति पर पल रहे अरब, लीबिया, सीरिया जैसे देश भी शान्ति स्थिरता को नहीं पा सके क्योंकि प्रगतिशील विश्व के साथ रूढ बेड़ियाँ उन्हें कदम नहीं मिलाने देती हैं, इसके लिए भारतीय उलेमा और राजनेता किसे दोषी ठहराएँगे?
आरक्षण से न भारत का ही भला होने वाला है और न मुसलमानों का उल्टे यह धारा 370 की भांति गले की फांस ही बनकर रह जाएगा। यदि मुसलमानों का वास्तविक हित देश के उलेमा और नेता करना चाहते हैं तो मदरसों और आरक्षण के नाम पर जहरीली खुराक देने के स्थान पर नयी पीढ़ी को शिक्षा की मूलधारा और राष्ट्रीय संस्कृति से जोड़ना होगा अन्यथा एक ओर भाईचारे की खोखली दलीलें यूं ही चलती रहेंगी और दूसरी ओर इस्लामी उम्मह का पाठ पढ़ाने वाली जिहादी नर्सरी अरब के पैसों व पाकिस्तानी आतंकी ढांचे की साँठ-गांठ से भारत की धरती को लहूलुहान करते रहेंगे, एक दिन जब हमारी आँखें खुलेंगी तब हम भारत माँ को एक और विभाजन की दहलीज पर खड़ा पाएंगे। यदि किसी को यह सच अतिशयोक्ति लगे तो उसे भारत और विश्व के अतीत और वर्तमान को एक बार पढ़ने की आवश्यकता है। शिकारी को सामने देखकर शुतुरमुर्ग रेत में चोंच घुसेडकर यह सोचता है कि अब उसे कोई नहीं देख रहा, वह सुरक्षित है और मारा जाता है। सत्य को पहचानना और उसे स्वीकारना ही एकमात्र मार्ग है।