Thursday, February 7, 2013

भोजशाला के मस्जिद का सच


भोजशाला के मस्जिद का सच




आज से कुछ सौ साल पहले जब मुगलों का आतंक इस देश को रौंद रहा था, उससे बहुत पहले राजा भोज धेअरा नगरी के राजा थे| उनके पुर्वजो के काल से राजा भोज ने इक विश्वस्तरीय भारतीय वांग्मय धर्म संस्कृत का विश्विद्यालय धार नगरी मे खोला था, जहाँ देश-विदेश के विद्यार्थियों के रहने भोजन और ज्ञान प्राप्त करने की व्यबस्था थी साथ ही ये माँ सरस्वती का मंदिर था जिसमे सनातन धर्म से जुड़े सारे श्रोत और श्लोक खुदे हुए थे| राजा भोज बहुत प्रतापी राजा थे| उन्होंने दक्षिण तक अपना राज्य कायम किया था| दुष्ट राजाओ को हरा कर प्रजा को सुख दिया था| धार के विजय मन्दिर और विजय स्तंभ इसका प्रमाण है| मुगलों ने मालवा तक अपना आतंकी राज कायम कर लिया था परन्तु धार की तरफ आँख उठाने का उनका साहस ना था| तो सुल्तान मोहम्मद गजनवी ने चाल चली| उसने अपने एक गुप्तचर को फकीर के भेष मे धार नगरी भेजा| उसने बड़े ही मीठे और रूहानी अंदाज मे राजा भोज से कहा कि मैं हिंदू धर्म का सम्मान करता हूँ और मै आपके विश्वबिद्यालय मे संस्कृत भाषा सीखना चाहता हूँ (गौर तलब रहे की इस्लाम में झूट बोलना हराम है पर जहा ये निर्बल पड़ते हैं या हारते हैं वहां ये "तकैयाह" का उपयोग करते हैं सामने वाले को भ्रमित करने के लिए)|

हिंदू राजाओ की ये बहुत बड़ी कमजोरी रही है की वो मीठा बोलने वालो पर जल्दी विश्वास कर लेते थे क्युकी मुगलों जैसा कल-छपट हिन्दू राजाओ में नहीं था और ऐसा ही राजा भोज के साथ हुआ| रजा भोज ने उस फकीर को सच्चा समझ कर उसे विश्वबिद्यालय मे प्रवेश दे दिया और फकीर ने कहा की मै तो बुड्ढा हू मुझे इसी विद्यालय मे निवास की सुबिधा दे दी जाये| अब फकीर रूपी बहरुपिए ने अपना जाल फैलाना शुरू किया| उसने गंदे ताबीज, छुआ-छूत और उपरी बाधा का भ्रम फैला करके कुछ गरीब परेसान लोगो को तथा कुछ वहां के मुसलमानों को कुल मिला कर उस समय २००० मुरीद (शिष्य) बना लिए| इधर राजा को भी मीठे बोलो (फकीर हो कर भी तकैयाह) से अपने विश्वास मे लिया रहा|

statue of raja bhoj in upper lake Bhopal
गौरवशाली राजा भोज

एक दिन उसने अपने गुप्तचरों को सुल्तान मोहम्मद गजनवी के पास संदेश भेजा कि वो धार पर आक्रमण कर दे| इधर उसने राजा भोज को कुछ बिशेष गुप्त बात बताने के बहाने अकेले अपने निवास पर बुलाया जो की उसे रहा भोज ने ही दिया था रहने के लिए| उसने पहले से सारे २००० लोगो को जो उसके अपने मुरीद थे इधर उधर छुपा रखा था| कमरे मे घुस ते ही उसने राजा भोज को अपने बलीस्ठ मुरीदो से पकडवा के मुह मे कपड़ा ठूस के गला दबा करके मार् डाला और एक फकीर के भेष में तकैयाह करते हुए एक नेक दिल राजा को मारने के बाद भी वो फकीर यही नहीं रुका बल्कि उसने सारे नगर मे घोषणा कर दी कि राजा भोज ने इस्लाम स्वीकार कर लिया है, कलमा पढ लिया है, अल्लाह ने उस पर नेमत कर उसे जन्नत मे जगह दी दी है| उसी समय मुगलों ने अचानक मलवे की फ़ौज लेकर जो मांडव के पास थी पहले से ही ताक मे थी इस अराजकता की स्थिति का फायदा उठा कर हमला कर दिया|

पुरे शहर मे कई दिनों तक हमारी हिन्दू माता-बहिनों के साथ निर्मम बलात्कार करते रहे ये मुग़ल आतताई| कमजोर और कायर लोगो को मुसलमान बनाया गया| सारे मंदिरों को मस्जिदों मे बदला गया| जो लोग मुकाबला ना कर सके वो मुगलों को अपने धन को देकर प्राण बचा सके| सुंदर लड़कियों को मुसलमान सरदार अपने आरामगाह मे ले गए, जो उन सुन्दर लडकियों से सरदारों की हवास पूरी होने के बाद काबुल के बाजारों मे महज २-४ रूपये मे बेच दी गयी क्युकी व्यभिचारी मुग़ल सरदारों का तो शौक पूरा हो चूका था और इनको इनके जैसा कायर नहीं बल्कि हिंदुवो सामान वीर और प्रतापी योद्धा चाहिए था इस लिए ..... |

आज भी धार की उस ज्ञानवापी मस्जिद, भोज शाला को मैं अपनी आँखों से देख कर आया हूँ वहां "ओम् नमः शिवाय", गणेश, देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, संस्कृत में लिखे शिला लेख, श्लोक, श्रोत, शंख चक्र गदा पद्म, सर्प, स्वास्तिक, काल यन्त्र और भी नाना प्रकार के सनातन सस्कृति के यन्त्र देख कर आया हू| पर क्या इतनी चीजे हमारे देश की सरकार को नहीं दिखती हैं और आज भी उस पवित्र सरस्वती मंदिर को मस्जिद के रूप में दिखाया जा रहा है| वो तो भला हो हमारे हिंदूवादी संगठनो और कुछ हिंदुवो का जैसे की नरेन्द्र मोदी, साध्वी उमा भारती और सुब्रमनियन स्वामी जी की कोर्ट को वहां मंगलवार को हिंदुवो को हनुमान चालीसा का पाठ करने की छूट देनी पड़ी पर इसी अधिकार को पाने के लिए स्वतंत्र भारत मे ३२ हिन्दुओ को अपनी जान को बलिदान करना पड़ा|

माँ सरस्वती की मूर्ति जो की इंग्लैंड के संग्रहालय में रखी है

मगर आज भी माँ सरस्वती की मूर्ती जो अंगेज अपने साथ ले गए और अपने यहाँ संग्रहालय में रखा है उसे पाने का प्रयास जारी है पर इतना भी संभव हो पाया नरेन्द्र मोदी जी के कारण जिन्होंने इसके लिए आवाज उठाई सबसे पहले और भारत सरकार नहीं बल्कि सुब्रमनियन स्वामी जी ने इंग्लैंड के कोर्ट में केस दर्ज किया माँ सरस्वती की मूर्ति को वापस लाने के लिए|

मंदिर के बहार लगा सुचना पट्ट


मगर इतने सामने दिख रहे साक्ष्यों के बाद आज भी उस नगर के कट्टर पंथी जो उस समय अपने कायरता के चलते मुस्लमान बने थे उस मंदिर को सोपने तैयार नहीं है| बोट बैक की राजनीती हमारे धर्म स्थानों की रक्षा नहीं कर पाई| भोज शाला पर पुरातत्ब बिभाग का कब्जा बना हुआ है|

अब एक आज के दौर के असल मामले की तरफ आपका ध्यान खींचना चाहूँगा मै, मंगलवार को हिन्दू फ्री मे जा सकते है भोजशाला में, शुक्रवार को वहां नवाज होती है| मंगलवार जिस दिन वहां हनुमान चालीसा होती है उस दिन वहा केवल ४०-५० हिन्दू पहुंचाते हैं लेकिन शुक्रवार को जब नमाज होती है तो नमाज में ३००० लोग आते है| हम हिंदुवो के इसी उपेक्षा के चलते कुछ लोग वहां पर हिंदुवो के धर्म से जुड़े साक्ष्यों को मिटने में पुर्णतः लगे हुए हैं और अनवरत इस काम को किये जा रहे हैं ताकि वो मंदिर हमारा न हो पाए| साक्ष्यों को मिटाने की बात को लेकर फिर से कुछ हिंदूवादी संगठन आगे आए तब जा कर प्रशासन जागी और वहां सभी लोगों की चेकिंग करके अन्दर भेजा जाता है पर एक ही समय में ३००० लोगो की चेकिंग करना जब ये कट्टरपंथी जूतमपैजार किये रहते हैं अन्दर जाने के लिए क्युकी इनके इरादे नेक तो होते नहीं हैं इनको तो हमारे मंदिर के साक्ष्यों को मिटाने का जूनून स्वर होता है तब चेकिंग कितना सार्थक हो पाता होगा वो हम अंदाजा ही लगा सकते हैं

लोहे के खम्भे जैसे साँची के स्तूप में बने हैं

मेरा आप सभी हिन्दू बन्धुवों से अनुरोध है की आप लोग स्वयं भोजशाला जा कर सही स्थिति का अवलोकन करें|

जागो, उठो और अपना स्वाभिमान पाओ||


 — with Mayank Deco SinghAtul Singh Parihar,Mohammad Imran SaudagarRamesh Kumar RipuNarendra Singh TomarShivraj Singh ChauhanRakesh SharmaRavin Singh PariharDheerendra GuptaRamakant ChaturvediBjp Saurabh Nayakरमाशंकर शर्माRss Kumar GauravSanjay Shukla,Vishnukant TripathiAnshuman SrivastavBharat MataVashu M MishraRajesh DhamiKuldeep SharmaGanesh TiwariNarayan TripathiVishant Kumar Tyagi,Bhagwat Sharan MathurVishwatara DoosareSunder Lal TiwariKamlesh Chaubey,Sanjay PayasiAchla SharmaSanjay ShahAshutosh GuptaYogesh Tamrakar,Rajdeep SinghSanjay GautamJayram ShuklaAjeet SinghpatelSudhir Singh TomarNiranjan SharmaAbhishek Pandey AbvpAnurag ShuklaRavendra Singh,Ghanshyam MishraKripashankar TrivediSanjay LohaniSukhlal KushwahaAtul Gautam Dabbu NagodArvind TiwariGagnendra Singh and Anil Kumar Patel.
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  • Venktesh Pandit एक मंदिर भोजशाला जो की राजा भोज के द्वारा इन्दोर के समीप धार में बनाया गया था जो की एक विद्यालय भी था| आज ये मंदिर नहीं बल्कि एक मस्जिद में तब्दील हो चूका है पर इतने के बावजूद इसके प्रान्गड़ में मौजूद चबूतरो पर श्लोक लिखे हुए हैं| पर इतने के बावजूद इस मंदिर का नाम बदल कर भोजशाला कमाल मौला मस्जिद कर दिया गया| यहाँ से देवी माँ सरस्वती की प्रतिमा को अंगरेज ले कर गए और अपने संग्रहालय में रखा है| अंगरेजो के संग्रहालय से माँ की मूर्ति को लाने के लिए सुब्रमनियन स्वामी जी ने इंग्लैंड के कोर्ट में पेटिसन डाला है| ज्ञात रहे की इस मुद्दे को लेकर नरेन्द्र मोदी जी ने भी आवाज उठाई थी पर इन आवाजो को कांग्रेस ने अभी हाल में २९ जनवरी २०१२ को ये कह कर दबा दिया की RSS और BJP अयोध्या के दंगे जैसा दंगा करना चाहते हैं|
    4 hours ago · Like · 2
  • Venktesh Pandit जिस मंदिर में आज भी चबूतरो और दिवालो पर श्लोक खुदे हुए हैं वो एक मस्जिद कैसे हो सकती है?अपनी चीजो को वापस लेना गुनाह कब से हो गया?क्या भारत सरकार को ये नहीं दिख रहा है की जो मूर्ति अंगरेज लेकर गए उस मंदिर जिसे कोई भी भारत की सरकार वापस नहीं ला पाई वो किसकी मूर्ति है?
    4 hours ago · Like · 1
  • Venktesh Pandit जब इतना कुछ है तो ये आज के अन्दर से मरे हुए सेकुलरो को ये क्यों नहीं दीखता है?क्या भारत में ऐसे ही चलता रहेगा की हमारी चीजो पर ये मुसलमान आ कर पालथी मार कर बैठ जाएँ और हम कुछ न कर सके?की हम इतने कायर हो चुके हैं हमारे अन्दर हमारी ही चीजो को वापस लेने का मद्दा नहीं रहा अब?या हम गूंगे या अंधे हो चुके हैं और शायद बहरे भी की हम न तो कुछ देख पा रहे हैं न सुन पा रहे हैं और न ही आवाज कोई आवाज ही उठा पा रहे हैं?क्या हमारे मंदिरों पर इन अतातइयो के कब्ज़ा करने को लेकर आज भी हमारी गुलामी नहीं दिखती है जिसे ये मुसलमान आज भी दिखाते हैं की १००० साल से तुम्हे गुलाम बनाया है और आगे भी हम इनके गुलाम ही रहेंगे?आखिर कब तक?
    4 hours ago · Like · 1
  • Venktesh Pandit ग्रंथों के अनुसार राजा भोज माँ सरस्वती के उपासक थे। उनके काल में सरस्वती की आराधना का विशेष महत्व था। ऐसा कहा जाता है कि उनके काल में जनसाधारण तक संस्कृत का विद्वान हुआ करता था। इसलिए धार संस्कृत और संस्कृति का महत्वपूर्ण केंद्र रहा। भोज सरस्वती की कृपा से ही योग, सांख्य, न्याय, ज्योतिष, धर्म, वास्तुशास्त्र, राज-व्यवहार शास्त्र सहित कई शास्त्रों के ज्ञाता रहे।
    4 hours ago · Like · 1
  • Venktesh Pandit उनके द्वारा लिखे गए ग्रंथ आज भी प्रासंगिक हैं। इतिहास के पन्नों में यह बात दर्ज है कि परमार वंश के सबसे महान अधिपति राजा भोज का धार में 1000 ईसवीं से 1055 ईसवीं तक प्रभाव रहा, जिससे कि यहाँ की कीर्ति दूर-दूर तक पहुँची। राजा भोज के विद्वानों के आश्रयदाता थे। उन्होंने धार में एक महाविद्यालय की स्थापना की थी, जो बाद में भोजशाला के नाम से विख्यात हुई। जहाँ सुंदर तथा निकट स्थानों से विद्यार्थी अपनी ज्ञान पिपासा शांत करने के लिए आते थे। उस काल के साहित्य में इस नगर का उल्लेख धार तथा उसके शासक का यशोगान ही किया गया है।
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  • Venktesh Pandit राजा भोज के काल में सरस्वती की आराधना का विशेष महत्व था। जनसाधारण तक संस्कृत का विद्वान हुआ करता था। भोज सरस्वती की कृपा से ही योग, सांख्य, न्याय, ज्योतिष, धर्म, वास्तुशास्त्र, राज-व्यवहार शास्त्र सहित कई शास्त्रों के ज्ञाता रहे।
    4 hours ago · Like · 1
  • Venktesh Pandit भोजशाला एक बड़े खुले प्रांगण में बनी है तथा सामने एक मुख्य मंडल और पार्श्व में स्तंभों की श्रंखला तथा पीछे की ओर एक विशाल प्रार्थना घर है। नक्काशीदार स्तंभ तथा प्रार्थना गृह की उत्कृष्ट नक्काशीदार छत भोजशाला की विशिष्ट पहचान है। दीवारों में लगे उत्कीर्णित शिला पट्टों से बहुमूल्य कृतियाँ प्राप्त हुई हैं। वास्तु के लिए बेजोड़ इस स्थान पर दो शिलालेख विशाल काले पत्थर के हैं। इन शिलालेखों पर क्लासिकी संस्कृत में नाटक उत्कीर्णित है। इसे अर्जुन वर्मा देव के शासनकाल में उत्कीर्णित किया गया था।
    4 hours ago · Like · 2
  • Venktesh Pandit इस काव्यबद्घ नाटक की रचना राजगुरु मदन द्वारा की गई थी। जो विख्यात जैन विद्वान आशाधर का शिष्य था, जिन्होंने परमारों के राज दरबार को सुशोभित किया था और मदन को संस्कृत काव्य शिक्षा दी थी। इस नाटक का नायक पूर्रमंजरी है। यह धार के बसंतोत्सव में अभिनीत किए जाने के लिए लिखा गया था। भोजशाला में स्तंभों पर धातु प्रत्यय माला व वर्णमाला अंकित है।
    4 hours ago · Like · 1
  • Venktesh Pandit भारतीय जनता पार्टी २०१४ के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर हिंदुत्व का मुद्दा उछालकर केंद्र में सत्तासीन होने का सपना देख रही है.भोजशाला का मुद्दा इस पार्टी के लिए एक परीक्षा है,इसकी मुक्ति की मांग कर हिन्दू राम के नाम हिन्दुओं को गुमराह करने वाली भाजपा की परीक्षा ले सकते हैं.

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