Monday, February 18, 2013

क्या वहाँ के मुस्लिम अलग टाइप के हैं??


अभी न्यूज देखी उसमे बता रहे थे कि ""विश्वरूपम"" मलेशिया में,जो कि एक मुस्लिम देश है, एक ब्लॉकबस्टर हिट बनने जा रही है.....

क्या वहाँ के मुस्लिम अलग टाइप के हैं??

क्या मलेशिया के मुस्लिमो का रसूल कोई अलग प्रजाति का है ?

हमारे देश में जहां ९९% मुस्लिम कन्वर्टेड हैं वहाँ इस फिल्म का विरोध क्यों ??

अफगानिस्तान में क्या तुम्हारे बाप दादे हैं जो वहाँ का कुछ दिखाकर तुम लोगों को पीड़ा होती है ?

एक आतंकवादी देश के बारे में कुछ भी दिखाएँ तुमको इससे क्या ??

हमारे देश के मुस्लिमों की भावनाए एक्स्ट्रा संवेदनशील क्यों हैं ??

सालोँ अपनी भावनाओँ पर डेटॉल क्योँ नहीँ लगाते हो, हर महिने दो महिने मेँ आहत होती रहती हैँ तुम्हारी भावनाएँ,

या फिर भारत का गुनाह ये है कि ये एक
शर्मनिरपेक्ष या सिकुलर देश है ??

पहले तो खुद को अल्पसंख्यक कहना बंद करो किसी भी देश की आबादी का २०% हिस्सा कभी भी अल्पसंख्यक नहीं हो सकता..बेचारे नहीं हो सालोँ

आखिर खुद को आतंकवाद से जोडते ही क्यो हो?

अगर इनसे ज्यादा ही कुछ कहो तो एक ही जबाब होता है कि हर मुस्लिम आतंकी नही होता

फिर क्योँ तुम लोगो की जल उठी विश्वरुपम को देखकर

बुन्देलखण्ड मेँ एक कहाबत है कि
"पढोँ या फिर पिँजरा खाली करो"

ये मुल्लोँ पर एक दम सटीक बैठती है या तो तुम भी भारत छोडकर चले जाओ या फिर चुपचाप रहो ।

साला अफगानिस्तान के मुल्लोँ को दिखाया फिल्म मेँ उनका बिरोध नही आया लेकिन भारत के मुल्लोँ के पिछवाड़े मेँ चुल्ल मची है

सालोँ जब खुद को आतंकवादी नहीँ समझते हो तो फिल्म से क्योँ डर रहे हो, क्या कहा? कही पोल ना खुल जाए

हा हा हा हा

शर्मनिरपेक्षता मुर्दाबाद
अभी न्यूज देखी उसमे बता रहे थे कि ""विश्वरूपम"" मलेशिया में,जो कि एक मुस्लिम देश है, एक ब्लॉकबस्टर हिट बनने जा रही है.....

क्या वहाँ के मुस्लिम अलग टाइप के हैं??

क्या मलेशिया के मुस्लिमो का रसूल कोई अलग प्रजाति का है ?

हमारे देश में जहां ९९% मुस्लिम कन्वर्टेड हैं वहाँ इस फिल्म का विरोध क्यों ??

अफगानिस्तान में क्या तुम्हारे बाप दादे हैं जो वहाँ का कुछ दिखाकर तुम लोगों को पीड़ा होती है ?

एक आतंकवादी देश के बारे में कुछ भी दिखाएँ तुमको इससे क्या ??

हमारे देश के मुस्लिमों की भावनाए एक्स्ट्रा संवेदनशील क्यों हैं ??

सालोँ अपनी भावनाओँ पर डेटॉल क्योँ नहीँ लगाते हो, हर महिने दो महिने मेँ आहत होती रहती हैँ तुम्हारी भावनाएँ,

या फिर भारत का गुनाह ये है कि ये एक
शर्मनिरपेक्ष या सिकुलर देश है ??

पहले तो खुद को अल्पसंख्यक कहना बंद करो किसी भी देश की आबादी का २०% हिस्सा कभी भी अल्पसंख्यक नहीं हो सकता..बेचारे नहीं हो सालोँ

आखिर खुद को आतंकवाद से जोडते ही क्यो हो?

अगर इनसे ज्यादा ही कुछ कहो तो एक ही जबाब होता है कि हर मुस्लिम आतंकी नही होता

फिर क्योँ तुम लोगो की जल उठी विश्वरुपम को देखकर 

बुन्देलखण्ड मेँ एक कहाबत है कि
"पढोँ या फिर पिँजरा खाली करो"

ये मुल्लोँ पर एक दम सटीक बैठती है या तो तुम भी भारत छोडकर चले जाओ या फिर चुपचाप रहो ।

साला अफगानिस्तान के मुल्लोँ को दिखाया फिल्म मेँ उनका बिरोध नही आया लेकिन भारत के मुल्लोँ के पिछवाड़े मेँ चुल्ल मची है

सालोँ जब खुद को आतंकवादी नहीँ समझते हो तो फिल्म से क्योँ डर रहे हो, क्या कहा? कही पोल ना खुल जाए 

हा हा हा हा

शर्मनिरपेक्षता मुर्दाबाद

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