Monday, December 16, 2013

"गंगा-जमुनी", "अमन की आशा", "सभी धर्म एक समान हैं"



रामेश्वरम मंदिर के लिए प्रसिद्ध तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के कई मुस्लिम बहुल गाँवों में स्थानीय पंचायतों ने फतवा जारी करके "बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश निषेध" का बोर्ड लगा दिया है.

अथियुत्हू, पुतुवालासी, पनईकुलम, सिथरकोटी जैसे कई मुस्लिम बहुल गाँवों में मुस्लिम जमात ताजुल इस्लाम संघ द्वारा नोटिस लगाया गया है कि, "इस गाँव में किसी भी प्रकार का पोस्टर-बैनर अथवा गाड़ियों के होर्न बगैर पंचायत की इजाज़त के नहीं लगाए जा सकेंगे, कोई भी गैर-इस्लामिक गतिविधि स्वीकार नहीं है". स्थानीय निवासी बताते हैं कि इस इलाके से पंचायत स्तर पर भी आज तक कभी कोई हिन्दू उम्मीदवार नहीं जीता. रामनाथपुरम के सांसद हैं मुस्लिम मुनेत्र कषगम (MMK) के एमएच जवाहिरुल्लाह.

पामबन गाँव के रहवासी कुप्पुरामू बताते हैं कि यहाँ कई गाँवों में लगभग ५०-६०% दुकानदार मुसलमान हैं, और हिन्दू को किसी व्यवसाय आरम्भ करने के लिए इनकी अनुमति लेनी होती है.... जिला कलेक्टर अथवा राज्य सरकार (चाहे DMK सरकार हो या AIDMK) को शिकायत करने पर मुस्लिम वोटों के लालच में आँखें मूँद ली जाती हैं.

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क्या कहा?? ये सब मैं आपको क्यों बता रहा हूँ?? अरे भाई, कहा था ना कि मैं एक "डाकिया" हूँ, मेरा काम है सूचना देना... बाकी आप लोग "गंगा-जमुनी", "अमन की आशा", "सभी धर्म एक समान हैं" जैसे सेक्यूलर तराने गाते रहिए न भाई,,, कौन रोक रहा है...

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