Saturday, May 4, 2013

गद्दार गिलानी ने सरबजीत का शव लौटाने के लिये की पाक की सराहना




गद्दार गिलानी ने सरबजीत का शव लौटाने के लिये की पाक की सराहना

जहां पुरा देश सरबजीत सिंह के प्रति पाकिस्तान के अमानवीय व्यवहार के लिये आक्रोशित है वही अलगाववादी नेता सईद अली गिलानी को लगता है कि सरबजीत का शव भारत को सौंपकर पाकिस्तान ने उदारता का उदाहरण पेश किया है। सरबजीत की पाकिस्तान की एक जेल में बर्बरता हत्या कर दी गयी।

भारत के प्रति अपनी अनिष्ठा की सारी सीमाए पार करते हुए हुरियत कॉन्फ़रंस के अध्यक्ष ने कहा कि सरबजीत का शव भारत को सौंपकर पाकिस्तान ने उदारता का दिखायी है और भारत को पाकिस्तान से सीख लेते हुए अफ़झल गुरु के शव को उसके परिजनों को सौंप देने चाहिये।

उन्होंने कहा, “सरबजीत का शव भारत को सौंपकर पाकिस्तान ने अपना उदार दृष्टिकोण दिखाया है। भारत सरकार को पाकिस्तान का अनुकरण करते हुए अपना अड़ियल रुख छोड़कर शहिद भट और शहिद गुरु के शव वापस सौंप देने चाहिये।”

बेशरम पाकिस्तान समर्थक नेता यही नही रुके। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान मानवता का काम करते हुए उपनिवेशवादी भारत सरकार पर नैतिक जीत हासिल की है।”

गुरुवार को जारी किये एक बयान में उन्होंने कहा, “ इसके विपरित भारत सरकार ने अफ़झल गुरु का शव उसके परिजनों को सौंपने से इंकार किया।”

भारत सरकार पर कड़ा हमला बोलते हुए गिलानी ने कहा, “विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का भारत का दावा झूठा साबित हुआ है। वही अनेक संकटों के बावजूद सरबजीत का शव सौंप कर पाकिस्तान ने बहुत मानवीय व्यावहार किया।”

सईद अली गिलानी भारत में पाकिस्तान का वेतनभोगी दलाल?

ये पहली बार नही जब सईद अली गिलानी ने भारत के बारे में आग उगली है। अलगाववादी नेताओं में सबसे ज्यादा मुंहफ़ट नेता के रुप में उनकी पहचान है। गिलानी ने कई बार सार्वजनिक स्तर पर पाकिस्तान का खुला समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा है और भारत ने उसपर अवैध कब्जा किया है। उन्होंने कश्मीर में आतंकवाद का जोरदार समर्थन किया है और उनका मानना है कि घाटी में आतंकवाद ने ही भारत सरकार को उनकी मांग पर ध्यान देने के लिये मजबूर किया है।

गिलानी कश्मीर में भारतीय सेना की शांति मुहिम का विरोधी रहे है। जुलाई 2010 में सरकार ने युद्धविराम की घोषणा की और उसे नकारने में हुरियत नेताओं में गिलानी सबसे आये थे।

अक्तुबर 2010 में दिल्ली में आयोजित एक सम्मेलन में भारत विरोधी बयानबाजी करने के लिये उनकी काफ़ी आलोचना हुई थी। जुलाई 2012 में नैशनल कॉंन्फ़रन्स के एक नेता ने आरोप लगाया था कि गिलानी आईएसआई के वेतनभोगी दलाल है। उनपर 2010 में कश्मीर में हुई हिंसा को बढ़ाने का भी आरोप है।

कौन लगायेगा गिलानी पर लगाम?

भारत के विरोध में गिलानी की बगावत के बावजूद आज वो खुले आम घुम रहा है और अपनी जहरीली जुबान से लोगों की भावनाओं को भड़का रहा है। लेकिन ऐसा लगता है कि भारत की एकता को नुकसान पहुंचाने वाले गिलानी की तरफ़ ओमर अब्दुल्ला सरकार ने आंखें मूंद ली है।

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