Sunday, October 13, 2013

कुरबानी जायज़ कैसे हुवी




इक दिन इब्राहीम की परीक्षा लेने के कारण

अलाह में इब्राहीम को अपनी सब से प्यारी चीज़ कुराबान करने कहा जिस से अलाह खुश हो जाए
---इब्राहीम ने पहले दिन १ ० ० ऊंट की कुर्बानी दी
----------अलाह खुश नहीं हुवा
फिर---
---इब्राहीम ने दुसरे दिन फिर से १ ० ० ऊंट की कुर्बानी दी
----------अलाह खुश नहीं हुवा
फिर---
---इब्राहीम ने तीसरे दिन फिर से १ ० ० ऊंट की कुर्बानी दी
----------अलाह खुश नहीं हुवा

**इसी से पता चलता है
**इसे से ही पता चलता है अलाह कितना जालिम है
**अलाह इब्राहीम को रोक सकता था
**जब के मुसलमान ही कहते ही की अलाह सब कुछ जाननेवाला है
**जो सब कुछ जाननेवाला है उसे क्यों पता नहीं चला की के इब्राहीम निर्दोष और बेजुबान जानवरों की हत्या कर देगा
**और उस तिन दिन की कुर्बानी अलाह खुश भी नहीं होगा तो कुर्बानी तो कुछ काम नहीं आयी

**फिर चोथे दिन इब्राहीम ने अपने बेटे इस्माइल की बलि देने को सोचा
**जब छुरी चलाने की कोशिश की तब अलाह ने छुरी से बात कर के छूरी को चलने से मना कर दिया
**हा हा हा हा हा
**अलाह छूरी से बात कर रहा था

**फिर अलाह ने इस्माइल के जगह पे इक दुम्बा (मेंढा) रख दिया और उसकी कुर्बानी हो गई
**और अलाह खुश हो गया के इब्राहीम मेरे लिए अपने बेटे तक की कुरबानी दे सकता है

**तो सवाल ये है की गाय बकरी को क्यों काटते हो
**अलाह को खुश करना है तो अपने अपने बेटो की गर्दने क्यों नहीं काटते

**दूसरा सवाल ये है की अगत अलाह छूरी से बात करके उसे रोक सकता था
तो
**तिन दिन जब इब्राहीम ऊंट काट रहा था तब क्या अलाह सो रहा था
**जब अलाह खुश नहीं होने वाला था तो उस वक़्त भी छुरी को क्यों नहीं रोका

**उन ऊँटो का पाप किस पे जाएगा इब्राहीम पे या अलाह पे

**सवाल ये भी परीक्षा इब्राहीम की थी तो अलाह खुश हुवा ना
**तो उसे रिवाज़ बनाकर क्यों जानवरों की ह्त्या करते आ रहे हो

**मुस्ल्मान कहते है कुरबानी अपने महनेट की पैसे की होनी चाहिए
**इब्राहीम कोनसी महेनत कर लाया था दुम्बा
**तो फिर कुरबानी जायज़ कैसे हुवी

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