Sunday, November 3, 2013

सूफी सन्तोँ को महिमामण्डित


मित्रो,गत कुछ दशकोँ से छद्म सेकुलरवादियोँ द्वारा सूफी सन्तोँ को महिमामण्डित करने का जोरदार अभियान देश मेँ चल रहा है। इन कथित सूफी सन्तोँ के वार्षिक उर्सो पर राष्ट्रपति से प्रधानमत्रीँ तक भाग ले रहे है। इनकी दरगाहोँ के विस्तार एवं सौदर्यीकरण पर देश के शासकोँ ने अरबोँ रूपये खर्च किये। इन्हेँ धार्मिक भेदभाओँ से ऊपर उठकर सच्चा मानववादी बताया जाता है।खास बात यह है कि इनके मजारोँ पर हाजिरी देने वाले 80% लोग हिन्दू होते हैँ। मीडिया भी उन्हेँ राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप मेँ प्रस्तुत करता है।
परन्तु मित्रोँ, ऐतिहासिक तथ्योँ के अनुसार देश के अधिकांश तथाकथित सूफी सन्त इस्लाम के जोशीले प्रचारक थे।
हिन्दुओँ के धर्मान्तरण एवं उनके उपासना स्थलोँ को नष्ट करनेँ मेँ उन्होनेँ जोर शोर से भाग लिया था।
अजमेर के बहुचर्चित 'सूफी' ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को भला कौन नहीँ जानता! 'सिरत अल् कुतुब' के अनुसार उसने सात लाख हिन्दुओँ को मुसलमान बनाया था। 'मजलिस सूफिया' नामक ग्रन्थ के अनुसार जब वह मक्का मेँ हज करने के लिए गया था,तो उसे यह निर्देश दिया गया था कि वह हिन्दुस्तान जाये और वहाँ पर कुफ्र के अन्धकार को
दूर करके इस्लाम का प्रचार करे।
'मराकत इसरार' नामक एक ग्रन्थ के अनुसार उसने तीसरी शादी एक हिन्दू लड़की का जबरन् धर्मान्तरण करके की थी। यह बेबस महिता एक राजा की पुत्री थी,जो कि युद्ध मेँ चिश्ती मियाँ के हाथ लगी थी। उसने इसका नाम उम्मत अल्लाह रखा, जिससे एक पुत्री बीबी हाफिज जमाल पैदा हुई. जिसका मजार इसकी दरगाह मेँ मौजूद है।
'तारीख-ए-औलिया' के अनुसार ख्वाजा ने अजमेर के तत्कालीन शासक पृथ्वीराज को उनके गुरू अजीतपाल जोगी के माध्यम से मुसलमान बनने की दावत दी थी, जिसे उन्होनेँ ठुकरा दिया था।
इस पर ख्वाजा ने तैश मेँ आकर मुस्लिम शासक मुहम्मद गोरी को भारत पर हमला करने के लिए उकसाया था।

हमारे प्रश्न- मित्रो, मैँ पूछना चाहता हूँ कि यदि चिश्ती वास्तव मेँ सन्त था और सभी धर्मो को एक समान मानता था, तो उसे सात लाख हिन्दुओँ को मुसलमान बनाने की क्या जरूरत थी?
क्या यह मानवता है कि युद्ध मेँ पराजित एक किशोरी का बलात् धर्मान्तरण कर निकाह किया जाये?
यदि वह सर्व धर्म की एकता मेँ विश्वास रखता था, तो फिर उसने मोहम्मद गोरी को भारत पर हमला करने और हिन्दू मन्दिरोँ को ध्वस्त करने लिए क्योँ प्रेरित किया था?

मित्रोँ, ये प्रश्न ऐसे हैँ,जिन पर उन लोगोँ को गम्भीरता से विचार करना चाहिए जो कि ख्वाजा को एक सेकुलर 'सन्त' के रूप मेँ महिमामण्डित करने का जोरदार अभियान चला रहेँ हैँ। और विशेषत: हमारे हिन्दू भाई जरूर सत्य को पहचाने।
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