Sunday, July 7, 2013

इशरत की माँ द्वारा 2004 में मीडिया के सबालो पर दिए गए जबाव पर एक नजर



वाह भाई वाह शमीमा चच्ची ...झूठ बोलना तो कोई तुमसे सीखे ..........!!!

चच्ची क्या सच में तेरी बेटी इशरत जहाँ बहुत मासूम और बेगुनाह थी ...???

आतंकवादी इशरत जहां के इनकाउंटर के बाद इशरत की माँ द्वारा 2004 में मीडिया के सबालो पर दिए गए जबाव पर एक नजर ........ 


प्रश्न: हमारे पास इन्फोर्मेशन है की वो दो तीन दफा बहार गई थी।

शमीमा बानू: ये दूसरी बार है। सर्विस लेने को इंटरव्यू देने गई थी।

प्रश्न: अच्छा अच्छा मतलब सर्विस करने के चक्कर में किसीने उसको फसाई हो ऐसा लगता है क्या ?

शमीमा बानू: वैसा ही लगता है। सर्विस करने के लिए जिसको बोला उसीने उसको फसाई।

प्रश्न: नहीं वो जावेद के साथ ही थी तो जावेदने फसाया हो ऐसा लगता है आपको ?

शमीमा बानू: कौन था वो मुझे नहीं मालूम। सर्विस के लिए कहती थी, अम्मी बोम्बे में ओफ़िस हे वहा मतलब बेठना है, कोम्प्यूटर पे बेठना है कोम्पुटर पे। कोम्प्युटर पे बेठना है वहा, और तीन हजार पगार मिलेंगा, तो मेने कहा ठीक है।

प्रश्न: कोम्प्युटर पे बेठके ही काम करना है तो मुम्बरासे मुम्बई जा के श्याम को वापस आ सकती है, तो चार-चार पांच पांच दीन तक कैसे बाहर रहेती है? कम्प्युटर पे बेठना है तो पूरे दिन बेठो और श्याम को वापस जाओ। चार पांच दिन के लिए गुम होने का तो सवाल नहीं होता। इसका मतलब ये है की ऐसा बोल के उसको और कही ले गए होंगे। इसका मतलब ऐसा ही होता है की बंबई में रहती तो वापस आ जाती। एक बार कम्प्युटरमें बैठती और मुम्बई में रहती तो शामको वापस आ जाती। नहीं आई इसका मतलब ये है की और कई जगा पर ले गए होंगे। कैसा मानना है?

शमीमा बानू: हम को ये सब मालूम नहीं हो सकता है। कोम्प्युटर के लिए गए होंगे। कम्प्युटर जानती है इसलिए। वही है ना की सर्विस के बारे में बोले थे। ठीक है सर्विस करने में ऐसी कोइ बात नहीं है।

प्रश्न: किसने बोला था ऐसा?

शमीमा बानू: वो क्या नाम है? वो क्या नाम आपने बताया?

प्रश्न: रशीद।

शमीमा बानू: हां रशीद।

शमीमा बानू: कह रहा था की ऐसी कोइ बात नहीं है, मतलब सब ओफ़िसमे बैठेंगे और ऐसा कुछ काम नहीं है।

प्रश्न: किसकी ओफ़िस में बेठना है ?

शमीमा बानू: वही जावेद की ओफ़िस है वहा बम्बईमे, वहा बेठना है।

प्रश्न: हां तो अब ये बताओ की कैसे हुआ? रशीदने क्या किया? कहां मिले थे? मुलाक़ात आपकी हुई थी ऐसा भी रशीदने बोला है। तो बताओ कैसे कहा मिले थे? क्या बात हुई?

शमीमा बानू: वो बोला। फ़ोन पे ये बात कराया था। फोन पे बात कराया था। रशीद के पास से। फ़ोन था। वही बात कराया था।

प्रश्न: किस के साथ?

शमीमा बानू: जावेद के साथ। आप आपनी लड़की को भेजती है? तो मेने बोला ठीक है ओफ़िसमें बेठना है तो कोइ बात नही। मैंने बोला क्या देंगे ये बताओ। उसने बोला तीन हजार देंगे।

प्रश्न: नहीं, लेकीन उसने चार चार दिन बीचमे आने का बंध कर दिया, तो फीर आपने सामने से पूछा होगाना जावेदसे की भाइ ये तो ओफ़िस में तो नहीं रहते हो, फीर ये चार चार दिन कैसे हो जाते?

शमीमा बानू: वो बोले की मतलब ओफ़िस के काम से जानेका होता है तो उसने बोला के थोडा काम निकलता है तो बाहर जानेका है। लोगो को बताना पडता है की ये चीज कैसे काम आता है। जैसे सेल्समेन आता है ना?

प्रश्न: किसने बोला ऐसा?

शमीमा बानू: जावेदने।

प्रश्न: बाहर जाना पडता है तो कितनी दफा बाहर गयी बता दो। देखो हमारे पास पता है वो कितनी दफा बाहर गयी थी। पहले आपने बताया की एक दफा बाहर गयी थी। लेकिन ज्यादा दफा बाहर गयी थी।

शमीमा बानू: तीन दफा। ये तीसरी दफा था।

प्रश्न: पहली बार?

शमीमा बानू: शायद एक हप्ते के लिये।

प्रश्न: पहली दफा एक हप्ते के लिए, फिर दूसरी दफा?

शमीमा बानू: दूसरी दफा चार-पांच दिन के लिये।

प्रश्न: चार-पांच दिन के लिए, और ये तीसरी दफा थी और आपने पूछा होगा की कहां कहां जाके आई। हफ्ते भर के लिए कहां रहकर आई? माँ पूछती है ये तो बट नेचरल है!

शमीमा बानू: उसने कहा, वो कहा, लखनौ उसके रिश्तेदार थे।

प्रश्न: वो पैसे किसने दिए थे?

शमीमा बानू: जावेदने वहीने दिए थे.

प्रश्न: आप को दिए थे की?

शमीमा बानू: नहीं लड़की के हाथ में दिए थे।

प्रश्न: जावेद के फ़ोन कहा आते थे?

शमीमा बानू: कभी नीचे , कभी ऊपर। वहां एसटीडी पे बहोत कम आते थे। ज्यादातर रशीद आ के बोलता था, बताता था। नहीं रशीद के पास वो फ़ोन था ना ? मोबाईल।

प्रश्न:जब जब बाहर जाना था तब तब कौन छोडने जाता था?

शमीमा बानू: रशीद ले जाता था।

प्रश्न: रशीद ले के जाता था तो कैसे लेके जाता था?

शमीमा बानू: रीक्षामे ले जाता था। शनिवार को नहीं गइ थी। जुम्मा के दिन ही गयी थी सुबह।

प्रश्न: जुम्मा के दिन सुबह गयी थी, कितने बजे गइ थी?

शमीमा बानू: सुबह छ बजे।

प्रश्न: उसके पास मेसेज किसने दिया? कैसे पता चला की जाने का है?

शमीमा बानू: फोन आया था।

प्रश्न: नहीं मतलब कहां जाती हु नहीं लेकिन फिर जाती हु, मतलब कहां? जावेदने बुलाया है ऐसा कुछ?

शमीमा बानू: हां।

प्रश्न: हां तो इतना तो पक्का है की तुम्हे पता था की वो रशीद के साथ, जावेद के साथ गई थी। इतना पक्का है। जावेद के साथ गई थी और जावेद के वहा नोकरी करती थी। दो दफा लखनौ जा के आई थी जावेद के साथ तो लखनौ क्या काम के लिए गयी थी? वो कुछ बोला था? वहा क्या काम किया उसने जावेद के साथ?

शमीमा बानू: जावेद के साथ गई थी और आई तो बोली अम्मी हमने पूछा क्या काम से गईथी, तो बोले सामान ले जाने का और सेल्समेन कैसे करते है ऐसा करते है।

प्रश्न: और कीतनी बार इशरत बाहर गयी?

शमीमा बानू: ये तीसरी बार है।

प्रश्न: लखनौ के बाजू में कही गई थी?

शमीमा बानू: हां उसके रिश्तेदार थे वहा पर मगर जगह का नाम नहीं मालूम।

प्रश्न: किसके रिश्तेदार थे?

शमीमा बानू: वो जावेद का वो बता रही थी मुझे मालूम नहीं वो कोन था, क्या था। उनके रिश्तेदार थे वो बता रही थी। उनकी बीवी का भाई था, उनके रिश्तेदार थे, भाई थे।

***पवन अवस्थी***

संचार साभार .....http://deshgujarat.com/2013/07/06/shamima-kausar-on-ishrat-jahan-from-the-old-files-of-2004/

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