Saturday, January 19, 2013

कश्मीर में ''इस्लामिक फतह'' की बरसी पर एक विचार




‎===========कश्मीर में ''इस्लामिक फतह'' की बरसी पर एक विचार ==========



कश्मीर से विस्थापित हुए हिन्दुओं की स्थिति सोच सोच कर मन बड़ा विचलित हो जाता है और सोचने पर मजबूर होती हूँ की क्यों उन विस्थापितों की लाख कोशिशों के इतने वर्षों बाद भी कोई राष्ट्रव्यापी बड़ा आन्दोलन खड़ा नहीं हो सका है.. और इस्लामिक आतंकवाद आज भी वहां 'मानवाधिकार' प्राप्त किये बैठा है ??

अपनी अल्प बुद्धि से एक वजह मुझे यह भी लगती है की..

कश्मीरी 'पंडित' कह कर तो मीडिया फिर भी आसानी से विचार विमर्श कर लेगी पर कश्मीरी ''हिन्दू'' नहीं ...

क्यों ........ सोचिये ?

''कश्मीरी हिन्दू'' के GENOCIDE की बात यदि कही, तब ही सीधा आरोप 'इस्लामिक शक्तियों' पर जाएगा न.. !!

और हाँ.. 'हिन्दू' कहेंगे तो बाकी देश के लोगों को अपने ऊपर भी आती विपत्ति 'शीघ्र' समझ आने लगेगी.........

ऐसी स्थिति में फिर कश्मीरी विस्थापितों के लिए 'राष्ट्रव्यापी आन्दोलन' भी संभवतः बड़ा रूप शीघ्र ले सके..

पर नहीं .. मीडिया ''कश्मीरी हिन्दू'' शब्द के प्रयोग से बचेगी ..

कश्मीरी पंडितों को ही ये शब्द प्रयुक्त करना होगा.. क्यूंकि उनकी भी असल पहचान ''हिन्दू'' ही है.. :) ... 'सनातन' ही है .. ''माँ भारती'' ही हैं !!

'सब इकट्ठे'' हो जाइये... वरना दुश्मनों के एजेंटों द्वारा लीपा-पोती ही चलती रहेगी ..

जय माँ भारती !

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