मित्रों, कल किसी काम से घर के नजदीक स्थित किताबों की एक बड़ी दुकान पर जाना हुआ। वहां मेरी नज़र छोटे बच्चो के लिए एक किताब "ऐतिहसिक दिल्ली की कहानियां" पर पड़ी। बचपन से ही मुझे इतिहास से कुछ विशेष लगाव रहा है अतः मैंने वह किताब पढने को निकाली। किताब की विषय-वस्तु पर उडती नज़र डाली तो उसमें रंगीन चित्रों से लबरेज़ कुल 13 पाठ थे-
1. दिल्ली चलो
2. क़ुतुब मीनार
3. सीरी फोर्ट
4. निजामुद्दीन
... 5. तुगलकाबाद
6. हौज़ खास
7. लोदी गार्डन
8. हुमायूँ का मकबरा
9. लाल किला
10. चांदनी चौक
11. सफदरजंग का मकबरा
12. नई दिल्ली
13. टाइम लाइन ऑफ़ दिल्ली
एक पल के लिए मैं सोच में पड़ गया। दिल्ली का इतिहास क्या 5000 वर्ष पुराना नहीं? दिल्ली का इतिहास क्या 800-1000 साल पुराना है? क्या मुगलों और इस्लाम के अलावा दिल्ली का कोई इतिहासनहीं? क्या कुतुबुदीन से पहले दिल्ली की कोई सभ्यतासंस्कृति नहीं? बंजर एवं उजाड़ क्षेत्र को अपने लगन एवं मेहनत के बल पर इन्द्रप्रस्त बनाने वाले पांडव क्या दिल्ली का इतिहास नहीं? मुहम्मद गौरी को परास्त करने के बाद भी उसे जीवनदान देने वाला पृथ्वीराज चौहान दिल्ली का इतिहास नहीं? इस्लामी आतताइयों का विरोध करते हुए, धर्म की रक्षा हेतु अपना शीश कटवाने वाले"हिन्द दी चादर" गुरु तेग बहादुर दिल्ली काइतिहास नहीं? फिर इतिहास के नाम पर हम अपने बच्चो को क्या पढ़ा रहे हैं? मेरा मानना है की यदि हम अपने बच्चे को गाँधी दर्शन पढ़ाते हैं तो साथ-साथ "गाँधी-वध जरुरी क्यों" भी पढ़ाना चाहिए ताकि बच्चा सिक्के के दोनों पहलु से वाकिफ हो सके ना की सिर्फ"विजेता द्वारा रचित इतिहास" से।
काफी देर तक दिमाग इसी उधेड़बुन में लगा रहा। कोई जवाब ना सुझा तो मैंने वह किताब जहाँ से उठाई थी वापस वही रख दी।
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