आज के दैनिक जागरण में कुलदीप नैयर ने ओवैसी के भड़काऊ भाषणों पर एक एडिटोरियल लिखा है , पूरे एडिटोरियल में उन्होंने जमकर हिन्दू आतंकवाद को कोसा है , बकौल नैयर .......
##गुजरात में कांग्रेस द्वारा मुस्लिमों के खिलाफ दंगे का इशू ना बनाये जाने से मुस्लिमों काधक्का लगा ....
हिन्दू आतंकवाद का मुकाबला मुस्लिम नही कर सकते क्यूंकि वो हताशा में हिंसा करतेहैं जबकि विहिप , बजरंग दल , राम सेना उन्हें उकसाती है की वो हिंसा करें ......
बेक़सूर मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी बहुत बड़ी चिंता का विषय है , जो समय उनका जेल में बीत रहा है उसका इस्तेमाल वो पढाई , या अन्य उपयोगी कामों में कर सकते थे.....
साम्प्रदायिकता पर रोक नही लग रही , गुजरात दंगों के बाद आसाम में हुई हंसा इसका ताज़ा उदाहरण है......
न तो विवादित ढांचा गिराने वालों को सजा हुई है और ना ही नरेंद्र मोदी को ........##
पूरे एडिटोरियल में जहर उगलकर अंत में ओवैसी का नाम लेकर सिर्फ इतना कहा गया है की उसके भाषण पर में अचम्भित हूँ और भीड़ की तालियाँ सुनकरहैरान हूँ !!
इन्हें कभी साध्वी प्रज्ञा नहीं दिखाई देतीं ? किस तरह से सालों की पूछताछ के बाद भी उनपर कोई आरोप सिद्ध नही हो रहा , कैंसर से पीड़ित महिलाजो चल फिर सकने में भी लगभग अक्षम हो चुकी हैं , फिर भी हर तारिख पर कोर्ट आती हैं , जबकि ओवैसी को हर बार पूछताछ के नाम पर अस्पताल याद आ जाता है , अब कह रहा है की आवाज़ मेरी नही है ...जब खैरात लगी बँटने तो चादर लगी फटने ?? कौन डर रहा है कानून का सामना करने में ? गुजरात याद आता है , साबरमती एक्सप्रेस नही ? विवादित ढांचा नजर आता है जलते हुए बाकी धर्मस्थल नही ? घुसपैठिये नजर आते हैं , असाम में मारे गए अपने देशवासी नही?मोदी नजर आता है लेकिन हजारों सिक्खों के कत्ल के जिम्मेदार , फिर भी भारत के प्रधानमन्त्री और भारत रत्न राजीव गाँधी नही ?
सच है भारत को ओवैसी जैसी कट्टरपंथी ताकतों से खतरा नही है उससे तो देश का कानून निपट भी ले , खतरा तो ऐसी छद्म सेक्युलर ताकतों से है जो तुष्टिकरण के नाम पर बस एक वर्ग के तलवे चाटना जानती है , 65 सालों बाद भी अगर ये देश पन्थ निरपेक्ष नही बन पाया है तो ऐसे ही लोगों की वजह से !!
##गुजरात में कांग्रेस द्वारा मुस्लिमों के खिलाफ दंगे का इशू ना बनाये जाने से मुस्लिमों काधक्का लगा ....
हिन्दू आतंकवाद का मुकाबला मुस्लिम नही कर सकते क्यूंकि वो हताशा में हिंसा करतेहैं जबकि विहिप , बजरंग दल , राम सेना उन्हें उकसाती है की वो हिंसा करें ......
बेक़सूर मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी बहुत बड़ी चिंता का विषय है , जो समय उनका जेल में बीत रहा है उसका इस्तेमाल वो पढाई , या अन्य उपयोगी कामों में कर सकते थे.....
साम्प्रदायिकता पर रोक नही लग रही , गुजरात दंगों के बाद आसाम में हुई हंसा इसका ताज़ा उदाहरण है......
न तो विवादित ढांचा गिराने वालों को सजा हुई है और ना ही नरेंद्र मोदी को ........##
पूरे एडिटोरियल में जहर उगलकर अंत में ओवैसी का नाम लेकर सिर्फ इतना कहा गया है की उसके भाषण पर में अचम्भित हूँ और भीड़ की तालियाँ सुनकरहैरान हूँ !!
इन्हें कभी साध्वी प्रज्ञा नहीं दिखाई देतीं ? किस तरह से सालों की पूछताछ के बाद भी उनपर कोई आरोप सिद्ध नही हो रहा , कैंसर से पीड़ित महिलाजो चल फिर सकने में भी लगभग अक्षम हो चुकी हैं , फिर भी हर तारिख पर कोर्ट आती हैं , जबकि ओवैसी को हर बार पूछताछ के नाम पर अस्पताल याद आ जाता है , अब कह रहा है की आवाज़ मेरी नही है ...जब खैरात लगी बँटने तो चादर लगी फटने ?? कौन डर रहा है कानून का सामना करने में ? गुजरात याद आता है , साबरमती एक्सप्रेस नही ? विवादित ढांचा नजर आता है जलते हुए बाकी धर्मस्थल नही ? घुसपैठिये नजर आते हैं , असाम में मारे गए अपने देशवासी नही?मोदी नजर आता है लेकिन हजारों सिक्खों के कत्ल के जिम्मेदार , फिर भी भारत के प्रधानमन्त्री और भारत रत्न राजीव गाँधी नही ?
सच है भारत को ओवैसी जैसी कट्टरपंथी ताकतों से खतरा नही है उससे तो देश का कानून निपट भी ले , खतरा तो ऐसी छद्म सेक्युलर ताकतों से है जो तुष्टिकरण के नाम पर बस एक वर्ग के तलवे चाटना जानती है , 65 सालों बाद भी अगर ये देश पन्थ निरपेक्ष नही बन पाया है तो ऐसे ही लोगों की वजह से !!
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