जब आज तक कभी कोई मुस्लिम तुम्हारे शिव जी की शिवलिंग पर दूध या जल चढ़ाने नहीं आया , कभी तुम्हारे हनुमान जी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाने नहीं आया , कभी तुम्हारे विष्णु जी पर तुलसी-दल या असंख्यों मंदिरो में स्थापित मूर्तियो पर पुष्प चढ़ाने नहीं आया तो तुम किस मुंह से सडी हुयी लाशों के ऊपर बनी कब्रों,दरगाहों और मजारोंपर चादर चढ़ाने पहुच जाते हो ? शरम नहीं आती ... वो तुम्हारे भगवान को गालियादेते है , निंदा करते है , और दिन मे एक दो नहीं पाँच पाँच बार मस्जिद से साफ साफ चिल्लाते है कि एकमात्र ईश्वर अल्लाह है और कोई है ही नहीं ... तो तुम्हें सुनाई नहीं देता क्या ये , या फिर तुम्हारी ऐसी कौन सी इच्छा है जो कि हमारे परमकृपालु, दयालु,भक्तवत्सल भगवान पूरी कर ही नहीं सकते , उसे या तो सड़े हुये मुर्दे की हड्डिया पूरा कर सकती है , या फिर शिरडी मे जन्मा एक मुस्लिम फकीर साई
आखिर जाते क्यो हो? जब तुम्हारी प्यास भगवान रूपी ,गंगाजल से नहीं बुझ रही , तो दरगाह और साई रूपी कुए के पानी से कैसे बुझ जाएगी ? गंगाजल को छोडकर कीचड़ की और भागने वाले कितने महामूर्ख होते है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन अंधभक्तों को दुनिया भर के तर्क ,तथ्य ,प्रमाण तक दे दिये , यहा तक कि श्री कृष्ण भगवान द्वारा , गीता माता में इसी विषय पर कहा गया एक श्लोक तक दिखा दिया... पर इन धूर्तों की बुद्धि ,कलयुग के पाप ने इतनी कुंठित,और प्रदूषित कर दी है कि इन्हे समझ ही नहीं आता ...
गीता में श्री कृष्ण भगवान जी ने साफ साफ कहा हैकि जो जिसे पूजता है वो उसेही प्राप्त होता है ... यानि मरे हुये व्यक्तियों को सकाम भाव से पूजने वाला पिशाच योनि को प्राप्त होता है ... ये स्वयं श्री कृष्ण ने कहा , तो भी इन मूर्खो मे इतनी भी बुद्धि नहीं बची कि समझ जाये कि साई को पूजने वाले,मृत्युपर्यंत पिशाच बनकरही भटकेंगे ........
तुम चाहे कितना भी साई साई चिल्लाओ गला फाड़ फाड़ के,चाहे दरगाहों पर जाकर कितनी भी चादर चढालों , तुमश्री भगवान को तो क्या उनकी कृपा का एक अंश भी प्राप्त नहीं कर सकते ...... ये सत्य है ........
साई ने ऐसा क्या कर दिया थाजो कि तुम्हारा गला नहीं दुखता उसकी महिमा गाते गाते ?अरे पूरा भारत उस समयअंग्रेज़ो के डंडे खा रहा था , साई ने बचाया था क्या ? अगर वो भगवान था या संत था तो उसने गुलामी की बेड़ियो में जकड़ी भारत माता को स्वतन्त्रता दिलाने के लिए क्या किया था?उस समय श्री कृष्ण की प्रिय सर्वदेवमई गोमाताए काटी जाती थी उनके ऊपर साई कभी क्यो नहीं बोला? भगवान श्री कृष्ण थे , जब कंस के अनुचर गोमाताओ को ले जाने लगे तो , मार कर परलोग पाहुचा दिया था और एक ये साई था कि हजारो गोमाताए रोज कटती रही ये बचाना तो दूर उनके ऊपर कभी बोला तक नहीं ? काहे का भगवान या संत था ये ?
संत वही होता है जो लोगो कोभगवान से जोड़े , संत वो होता है जो जनता को भक्तिमार्ग की और ले जाये ,संत वो होता है जो समाज मे व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए पहल करे ... इस साई नाम के मुस्लिम पाखंडी फकीर ने जीवन भर तुम्हारे राम या कृष्ण का नाम तक नहीं लिया , और तुम इस साई की काल्पनिक महिमा की कहानियो को पढ़ के इसे भगवान मान रहे हो ... कितनी भयावह मूर्खता है ये....महान ज्ञानी ऋषि मुनियो के वंशज आज इतने मूर्ख और कलुषित बुद्धि के हो गए है कि उन्हे भगवान और एक साधारण से मुस्लिम फकीर में फर्क नहीं आता ?
क्या इस भूमि की सनातनी संताने इतनी बुद्धिहीन होगयी है कि जिसकी भी काल्पनिक महिमा के गपोड़ेसुन ले उसी को भगवान और महान मानकर भेडॉ की तरह उसके पीछे चल देती है ?
इसमे हमारा नहीं आपका ही फायदा है .... श्रद्धा और अंधश्रद्धा में फर्क होताहै, श्रद्धालु बनो .... भगवान को चुनो , राम और कृष्ण के बनो .... साई के बनाकर सिर्फ भूत प्रेत बनाकर ही भटकोगे ..... जय श्री राम कृष्ण ......... जय सनातन धर्म
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