हज यात्रा 2013 में केंद्र सरकार द्वारा हज यात्रियों पर तीन फ़ीसदी का टैक्स लगाने के बाद मुस्लिम समाज में विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं। इस टैक्स के विरोध में मुस्लिम संस्थाओं और उलेमा ने अपनी आवाज़ बुलन्द कर दी है। जनता का मानना है कि इस तरह के टैक्स लगा कर केंद्र सरकार मज़हबी आज़ादी छीनने की कोशश कर रही है। मुफ़्ती शहर( अहले सुन्नत) मुदस्सिर खान क़ादरी ने कहा कि केंद्र सरकार का हज यात्रा से अनुदान ख़तम किये जाने के फैसले का पूरे मुल्क की मुसलमानों ने स्वागत किया था। क्योंकि हज क़र्ज़ से नहीं किया जा सकता, हुकुमत से मिलने वाला अनुदान एक क़र्ज़ होता है। अब केंद्र सरकार ने हज यात्रियों पर तीन फ़ीसदी टैक्स लगा दिया है, सरकार का ये फैसला बर्दाश्त की लायक नहीं है। इस फ़ैसले के बाद अपने मुल्क में मज़हबी आज़ादी के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि मै इस फैसले की निंदा करने के साथ साथ हुकुमत को इस फैसले को वापस लेने की सलाह देता हूं। हाजी पठान ने हज पर टैक्स के विषय में कहा कि हुकुमत आज वह सब कर रही है जो मुगलों के वक़्त में हुआ था, उस वक़्त जजिया कानून बनाया गया था। आज सरकार हज यात्रियों पर तीन फ़ीसदी टैक्स लगा रही है। हाजी हाफ़िज़ ज़मीर सलीमी ने कहा कि पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान एक ऐसा मुल्क था जो हज यात्रियों को हज की लिए अनुदान देता था। गत वर्ष उस अनुदान को हुकुमत ने बन्द कर दिया। 90 फ़ीसदी मुसलमानों ने इस फैसले को सही कहा था। लेकिन आज जो फ़ैसला सरकार ने किया वह पूरी तरह गलत है।
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