Friday, March 15, 2013

वीरगति को प्राप्त 5 जवानों के बारे मे




क्या आप सभी मे से कोई भी उन वीरगति को प्राप्त 5 जवानों के बारे मे जानता है ??

नहीं न .... जानेंगे भी कैसे ?? अजी मीडिया आपको दिखाती कहाँ है ....

ये रहे उन 5 हुतात्माओं के नाम

1. हुतात्मा कांस्टेबल ओम प्रकाश निवासी सिहोर, मध्य प्रदेश
2. हुतात्मा कांस्टेबल पेरुमल निवासी मधुरा, तमिलनाडु
3. हुतात्मा कांस्टेबल सुभाष सौरव निवासी रांची, झारखंड
4. हुतात्मा कांस्टेबल सतीसा निवासी मंदिया, कर्नाटक
5. हुतात्मा एएसआइ एबी सिंह निवासी उज्जैन, मध्य प्रदेश


1.कांस्‍टेबल ओम प्रकाश सिंह मरदानिया

गांव शाहपुरा जिला सीहोर एमपी

शहीद ओम प्रकाश सीहोर जिले के इछावर के पास शहपुर गांव के रहने वाले हैं। खबर मिलते ही शहीद की पत्नी कोमलबाई बेहोश हो गईं। ओमप्रकाश का 7 साल का बेटा और 5 साल की एक बच्ची है।

गरीबी में भी मां मैना बाई ने अपने बच्चों को पढ़ाया और पढ़ लिखकर जब बड़ा बेटा देश सेवा के लिए सेना में भर्ती हुआ तो वह बहुत खुश हुई थी। दो साल पहले छोटा बेटा ओम प्रकाश भी देश सेवा के लिए सेना में भर्ती हो गया और आंतकियों से लड़ते हुए शहीद हो गया।

बुधवार को ब्लाक के शाहपुरा गांव में जब प्रशासन का अमला गांव पहुंचा और शहीद ओम प्रकाश मरदानिया की शहादत की खबर परिजनों को सुनाई तो मां मैना बाई व पत्नी कोमल बाई बेहोश हो गर्ईं। वहीं तीनों भाई बदहवास होकर जोर-जोर से रोने लगे। आधे घंटे पहले तक इस अनहोनी से अंजान मैना बाई अपनी बहुओं और बेटे देवी सिंह, विनोद व बहू कोमल बाई के साथ कच्चे मकान की दीवारें उठा रही थी। शहीद की मां ने बताया कि उसने मूंडला तालाब में मजदूरी करके अपने बेटों को पढ़ाया है। दोनों बेटों को सेना में भेजा। हम गांव में मेहनत मजदूरी करते हैं। बड़ा बेटा देवी सिंह 12 साल पहले सेना में भर्ती हुआ था और वर्ष 2010 में छोटे बेटे ओम प्रकाश ने भी सेना में भर्ती होने की इच्छा जताई तो पूरे परिवार ने खुशी-खुशी सेना में जाने की इजाजत दे दी थी।

बच्चे थे अनजान

शहीद ओम प्रकाश का 7 वर्षीय बेटा राज मरदानिया व 5 वर्षीय पुत्री सानिया मिट्टïी के घरोंदे बनाने में लगे हुए थे। भाई देवी सिंह ने बताया कि ओम प्रकाश एएसएफ की कोबरा रेजीमेंट में हैं और 6 माह पहले पिता जी के निधन पर आया था। इसके बाद से ही ओम प्रकाश डयूटी पर है, लेकिन उसके फोन एक-दो दिन में आ जाते हैं। मैना बाई का बड़ा पुत्र बंशीलाल उससे छोटा देवी सिंह व सबसे छोटा पुत्र विनोद गांव में रही कर मेहनत मजदूरी करते हैं। सेना में भर्ती रामनारायण व ओम प्रकाश के अलावा पांचों बेटों से बड़ी दो बेटियों रेशम बाई व राम सभा बाई हैं।
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2.कांस्‍टेबल एल पेरुमल स्‍वामी

गांव थुम्‍मनायक्‍कनपट्टी जिला मदुरै (तमिलनाडु)

31 साल के पे‍रुमल के घ्रर में उसकी शादी की तैयारी चल रही थी कि उसके शहीद होने की खबर आई। शादी के लिए वह अप्रैल में अपने पैतृक गांव आने वाले थे। उनकी तीन महीने की छुट्टी भी मंजूर हो गई थी। उनके भाई ज्ञानप्रकाशम का कहना है कि पेरुमल से आखिरी बार बीते सोमवार को फोन पर बात हुई थी। ऑटो ड्राइवर आर लिंगम के पांच बच्‍चों में पेरुमल सबसे बड़े थे।
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3. कांस्‍टेबल सुभाष सुरव बारला
पता : टमटाटोली, कांटाटोली, रांची (झारखंड)

हजारीबाग स्थित हुड़हूडु के मूल निवासी सुभाष पतरस (21) भी आतंकी हमले में शहीद हो गए। पिता पतरस बारला ने कहा कि उन्हें गर्व है कि बेटा वतन के काम आया। 17 जनवरी को सुभाष पहली छुट्टी पर घर आए थे। वे रांची के कांटाटोली स्थित चाचा एमन बारला के घर पर भी कई दिनों तक रहे थे। एक माह की छुट्टी के बाद 18 फरवरी को जम्मू लौटे थे। परिजनों ने बताया कि सुभाष संतकोलंबा कॉलेज में पार्ट टू की पढ़ाई कर रहा था, तभी पिछले साल सीआरपीएफ में भर्ती हो गए। केरल में ट्रेनिंग कर वह पहली पोस्टिंग पर जम्मू गए थे।
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4. कांस्‍टेबल सतीश शेट्टी

गांव अलम्‍बडी जिला मंड्या (कर्नाटक)

मंड्या से 70 किलोमीटर दूर स्थित के आर पेट तालुका के अलम्‍बडी गांव के मूल निवासी सतीश भी आतंकी हमले में शहीद हो गए। 27 साल के सतीश ने के आर पेट आईटीआई से डिप्‍लोमा कोर्स करने के बाद सीआरपीएफ ज्‍वाइन किया था।

नारायण शेट्टी और सावित्रम्‍मा के बेटे सतीश को सेना की नौकरी करना बचपन से ही पसंद था। सतीश के बड़े भाई हरीश भी आर्मी में हैं और इस वक्‍त हिमाचल में तैनात हैं। सतीश के माता-पिता को अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। राज्‍यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने सतीश के परिजनों को दो लाख रुपये का चेक दिया है।
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5.ए एस आई अवध बिहारी सिंह

पता : विनोद मिल की चाल, उज्‍जैन (एमपी)

आतंकवादी हमले में यूपी में जालौन के मूल निवासी अवध बिहारी पिता रामकुमार सिंह परिहार (45) भी शहीद हुए हैं। परिहार ने उज्‍जैन के विनोद मिल की चाल में नाना महादेव सिंह के यहां रहकर करीब पांच वर्षों तक निजी संस्थाओं में काम किया था। उन्होंने यहां के मिल में भी काम किया है। उनके चाचा लक्ष्मण सिंह परिहार चिमनगंज थाने के प्रधान आरक्षक ने बताया कि 1988 में वे यहीं से सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे।

जालौन के कुठौंद बुजुर्ग गांव में मोहल्ला चुर्खीवाल निवासी रामकुमार बताते हैं कि अवध बिहारी 15 दिन पहले ही वे अवकाश पर घर आए थे। अवध बिहारी ने सीआरपीएफ की 24 साल की सर्विस में कई बार मोर्चो पर राष्ट्र विरोधी शक्तियों से लोहा लिया लेकिन कभी विचलित नहीं हुए। छुट्टी से वापस जाते समय उन्होंने कहा था कि अगर आतंकवादियों से उनका आमना सामना कश्मीर घाटी में हो गया तो वे उन्हें मार गिराएंगे।
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उन जवानों को शत शत नमन और श्रद्धांजलि
 

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