Monday, March 11, 2013

"दोगले की दुनिया"


होली खेलने से पानी की बर्बादी होती है।
*श्रावण महीने में और शिवरात्रि में भगवान्
शिव
को दूध चढाने से दूध की बर्बादी होती है।
*गणपति और दुर्गा माँ की मूर्ति विसर्जन से
जल प्रदुषण होता है।
*दिवाली पर फटाके जलाने से वायु और
ध्वनि प्रदुषण होता है।
*नवरात्री में गरबा से वायु प्रदुषण होता है।
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*हररोज सुबह शाम मस्जिदों से अल्लाह हूँ
अकबर की जो भूतिया आवाज़े आती है उससे
वातावरण में पवित्रता फैलती है।
*पहले तो ईद और बकरीद पर आज कल तो हर
पंद्रह-बीस दिन में किसी न किसी बहाने
जो जुलुस निकलते है उसमे लगाये गए हाई
डेंसिटी साउंड सिस्टम से आपके कान की सुनने
की क्षमता बढती है।
*धर्म के नाम पर बेजुबान जानवरों को मारने
पर
मरते वक़्त इन जानवरों के मूंह से निकली हुई चीखे
वातवरण में सकारत्मक उर्जा फैलाती है।
*साल में लाखो करोडो गाय, भेंस और
बकरियो के मारने से दूध के स्त्रोत में
बढौती होती है।
*देश में लोगो को भले दो वक़्त की रोटी नसीब

हो मगर मांस तैयार करने के लिए जितना अनाज
और पानी खर्च होते है वो तो व्यर्थ ही होते है।
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मैं बहुत छोटा था तब दूरदर्शन में एक सीरियल
आता था "वागले की दुनिया"
आज सेक्युलारिस्म के नाम पर जो कुछ भी हमारे
देश में चल रहा है उसका नाम है "दोगले
की दुनिया"

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