Thursday, March 7, 2013

थू है ऐसी दोगली सरकार और मीडिया पर

एक डीएसपी मर गया तो पूरा उप्र उमड गया ,दिल्ली से शाही ईमाम आ गया,

1 करोड रुपये उसकी बीबी माँग रही है ।
उसकी बीबी और घर बालोँ को नौकरी मिल रही है ।
ये बिकाऊ मीडिया गुणगान कर रहा उसका और बिशेष कार्यक्रम दिखाकर संबेदनायेँ व्यक्त कर रहा है और राजा भैया को गिरफ्तार करने की मांग कर रही है .

लेकिन किसी को हिन्दू युवा वाहिनी के नेता रामबाबू गुप्ता की हत्या की कोई फिक्र नहीं है .कोई मीडिया वाला उनकी हत्या की खबर नहीं दिखा रहा है .यहाँ तक की अखिलेश सरकार ने अभी तक वहां जा कर शोक भी नहीं जताया और उनके हत्यारे विधायक अज़ीमुल हक को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया .

थू है ऐसी दोगली सरकार और मीडिया पर जिसे सिर्फ मुस्लिमो की हत्या ही नज़र आती और हिन्दुओ की हत्या नहीं .


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आपसे एक सवाल करता हू बड़े दुखी मन से---

१. ये साला कटुवा dsp ज्यादा बड़ा था जा हमारे देश के वो सैनिक वो अपना सर कटवा के शहीद हुआ???

२. ज्यादा दर्दनाक मौत किसकी थी---- इस सूअर की या हमारे देश के सैनिको की????

३. किसने जिनदगी में कभी घूस नहीं ली होगी.... कतुवे ने या देश के सैनिको ने ??


आप जवाब दे.....

और अब मै अपसे शालीनता की उम्मीद नहीं कर रहा हू...जी भर कर गलिया दे कर जवाब दे.....

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कसाब को जिन्दा पकड़ने वाले "असली शहीद" तुकाराम ओम्बले की बेटी वैशाली को पुलिस विभाग में क्लर्क की नौकरी दी गई है, और परिवार का खर्चा चलाने के लिए वह ट्यूशन पढाती है...

-- छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के हाथों घेर कर मारे गए ७६ CRPF के जवानों में से किसी के भी परिवार के सदस्य को नौकरी नहीं मिली है...

-- संसद और सांसदों को बचाने वाले पुलिस वालों के परिवार वालों को ७ साल तक एडियाँ रगड़ने और धक्के खाने के बाद ही एक अदद पेट्रोल पम्प मिल सका था...

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हालांकि सेकुलर लोग "अर्ज" करने लायक हैं तो नहीं, फिर भी अर्ज करता हूँ कि यह बातें जाकर अखिलेश नाम के "युवा"(?) और अलीगढ़-आजमगढ़ में प्रदर्शन कर रहे "शांतिदूतों" को बताएं...

और हाँ... भगवान के लिए "शहीद" शब्द का अपमान बंद करो...

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आज की ताज़ा ख़बर
जामा मस्जिद के शाही इमाम बुखारी का कहना है की डीएसपी जि़या उल हक की हत्या मुसलमानों में बहुत रोष है। प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को इस शर्मनाक घटना के लिए इस्तीफा दे देना चाहिये और यदि वो इस्तीफा नहीं देते तो उनको इस पद से हटा दिया जाना चाहिए।

इस्तीफ़ा माँगा ये बात तो समझ में आती है पर इस आलू बुखारे का समाज के लिए दर्द तब कहाँ चला जाता है जब हिन्दुओं की हत्या होती है

(बुखारी "साहेब", मुसलमानों में रोष तो अफज़ल को लटकाने को लेकर भी है। कहो तो प्रधानमंत्री से इस्तीफ़ा दिलवा दें?)

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कितना बढ़िया है ना---- 

पति मरवाओ...पचास लाख पाओ....आठ नौकरी पाओ...मजे उड़ाओ....बस पति मरवाओ...


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अरब देशों और पाकिस्तान में "डेथ मनी" का प्रावधान है...

जिसके अनुसार यदि हत्या हुई है तो "उचित" मुआवजा ले-देकर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है...

"उप्र का शरीयत क़ानून" एक करोड़ रूपए और पाँच (या आठ) नौकरी मांगकर रफा-दफा करना चाहता है...

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फिलहाल तो भाषण और उपदेश पिलाने वाले सारे "सेकुलरों" के मुँह में दही, हाथों में मेहंदी और पैरों में लाली लगी हुई है... सब के सब ऐसे बुर्के में छिपे बैठे हैं, मानो.......


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राजाभईया के खिलाफ मुस्लिम लाम बंद होकर विकराल प्रदर्शन कर रहे है! याद रखिये ठीक ये वही मुस्लिम है जो दिल्ली गैंग रेप पर खामोश थे, असम, बंगाल के नरसंहार मे शान्त रहे। और तो और ओवैसी के बताये 25 करोड़ के पक्ष मे मौन स्वीकृति देते रहे...

पर आज शहीद जिया उल हक की मौत पर ये सड़क पर आयें है।

हिन्दुओं अब आपको राजाभईया के पक्ष मे आना होगा क्यूंकि ये मुद्दा बेवजह धार्मिक बनाया जा रहा है।

“राजा भईया दोषी है या नही ये फैसला हम नही कोर्ट करेगा..

1 comment:

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