गुजरात के दंगो पर मोदी को कोसने वाले सेकुलरों यह दृश्य देख लो ,यह लाशें देश के विभाजन के समय नोवाखली में मारे गए उन बदनसीब हिन्दुओं की हैं जिन्होंने महात्मा गाँधी जैसे सेकुलरों पर भरोसा किया था.इन्हें इस तरह काटा गया की कोई लाश उठाने वाला तक नहीं बचा.चील कौवे इन्हें नोच- नोच कर खा गए.मोदी जैसे नेता न हों आज भी दंगों में हिन्दुओं का यही हाल हो.
गाँधी के कारण ही नोआखोली व मालाबार मे हिन्दुओँ का भयँकर नरसँहार हुआ था । मोपला पढेँ । तब सब समझ आजायेगा ।
महात्मा गाँधी ने “खिलाफत आन्दोलन” का समर्थन करके इस्लामी उग्रवाद को पनपाने का काम नहीं किया था ?
प्रथम विश्व युद्ध मैं जब स्थिति बदली तो तुर्की अंग्रेजों के विरुद्ध और जर्मनी के पछ मैं हो गया | विश्व युद्ध मैं जर्मनी की पराजय के पश्चात अंग्रेजों ने तुर्की को मजा चखने के लिए तुर्की को विघटित कर दिया | अंग्रेज तुर्की के खलीफा के विरोद मैं सामने आ गए | मुसलमान खलीफा को अपना नेता मानते थे | उनमे अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह की लहर दौड़ गई |
भारत के मुस्लिम नेताओं ने इस मामले को लेकर अंग्रेजों के विरुद्ध सन १९२१ मैं “खिलाफत आन्दोलन” शुरू किया | मुस्लिम नेताओं तथा भारतीय मुसलमानों को खुश करने के लिए गाँधी जी ने मोतीलाल नेहरु के सुझाव पर कांग्रेस की ओर से खिलाफत आन्दोलन के समर्थन की घोषणा की | श्री विपिन चन्द्र पाल, डा. एनी बेसेंट, सी. ऍफ़ अन्द्रूज आदि नेताओं ने कांग्रेस की बैठक मैं खिलाफत के समर्थन का विरोध किया , किन्तु इस प्रश्न पर हुए मतदान मैं गाँधी जीत गए | गाँधी जी खिलाफत आन्दोलन के खलीफा ही बन गए | मुसलमानों व कांग्रेस ने जगह जगह प्रदर्शन किये | ‘अल्लाह हो अकबर’ जैसे नारे लगाकर मुस्लिमो की भावनाएं भड़काई गयी| महामना मदनमोहन मालवीय जी तहत कुछ एनी नेताओं ने चेतावनी दी की खिलाफत आन्दोलन की आड़ मैं मुस्लिम भावनाएं भड़काकर भविष्य के लिए खतरा पैदा किया जा रहा है किन्तु गांधीजी ने कहा ‘ मैं मुसलमान भाईओं के इस आन्दोलन को स्वराज से भी ज्यादा महत्वा देता हूँ ‘भले ही भारतीय मुसलमान खिलाफत आन्दोलन करने के वावजूद अंगेजों का बाल बांका नहीं कर पाए किन्तु उन्होंने पुरे भारत मैं मृतप्राय मुस्लिम कट्टरपंथ को जहरीले सर्प की तरह जिन्दा कर डाला आन्दोलन की की असफलता से चिढ़े मुसलमानों ने पुरे देश मैं दंगे करने शुरू कर दिए
मालावार छेत्र मैं मुस्लिम मोपलाओं ने वहां के हिन्दुओं पे जो अत्याचार ढाए, उनकी जिस बर्बरता से हत्या की उसे पढ़कर हरदे दहल जाता है | हिन्दू महासभा के नेता स्वातंत्रवीर सावरकर जी ने आगे चलकर मालावार छेत्र का भर्मद कर वहां के अत्याचारों व हत्याकांड की प्रस्थ्भूमि पर ‘मोपला’ नामक उपन्यास लिखा था |
खिलाफा आन्दोलन का समर्थ कर गाँधी जी तथा कांग्रेस ने मुस्लिम कट्टरवाद तथा अलगावबाद को बढ़ावा दिया था | मोपलाओं द्वारा हिन्दुओं की निर्संस हत्या का जब आर्य समाज तथा हिन्दू महासभा ने विरोध किया तब भी गाँधी जी मोपलाओं को ‘शांति का दूत’ बताने से नहीं चुके |
महात्मा गाँधी कांग्रेसी मुसलमानों को तुष्ट करने के लिए मोपला विद्रोह को अग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह बताकर आततायिओं को स्वाधीनता सेनानी सिद्ध करने का प्रयास कर रहे थे जबकि मोपला मैं लाखों हिदों की न्रिशंश हत्या की गयी और २०, ००० हिन्दुओं को धर्मान्तरित कर मुस्लिम बनाया गया.मोपलाओं द्वारा किये गए जघन्य अत्याचारों पर डा. बाबा साहेब अम्बेडकर ने अपनी पुस्तक ‘भारत का बिभाजन ‘ के प्रष्ठ १८७ पर गाँधी जी पर प्रहार करते हुए लिखा था :
‘गाँधी जी हिंसा की प्रत्येक घटना की निंदा करने मैं चुकते नहीं थे किन्तु गाँधी जी ने ऐसी हत्याओं का कभी विरोध नहीं किया | उन्होंने चुप्पी साढ़े राखी | ऐसी मानसिकता का केवल इस तर्क पर ही विश्लेषित की जा सकती है की गाँधी जी हिन्दू- मुस्लिम एकता के लिए व्यग्र थे और इस उद्देश्य की पूर्ती के लिए कुछ हिन्दुओं की हत्या से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता था
.इस दौरान तलवार के दम पर हजारो हिन्दुओं को मुस्लमान बनाया गया.यह देश का दुर्भाग्य रहा है की कांग्रेस ने इस्लामी आतंकवाद के विरुद्ध एक भी शब्द नहीं बोला | जब आर्य समाज, हिन्दू महासभा और अन्य हिन्दू संगठनो ने हिन्दुओं की स्वधर्म वापसी के लिए शुद्धिकरण . अभियान चलाया तो यह लोग कट्टरपंथियों की नजरों मैं काँटा बन गए| स्वामी श्रद्धानंद जी शिक्षाविद तथा आर्य प्रचारक के साथ साथ कांग्रेस के नेता भी थे | वह कांग्रेस कार्यकारिणी के सदस्य भी थे | स्वामी जी ने और लाला लाजपत राय ने यह महसूस किया की अगर मुस्लिमो और इसाईओं को हिन्दुओं के निर्बाध धर्मान्तरण की छूट मिलती रही तो यह हिंदुस्तान की एकता के लिए भारी खतरा सिद्ध होगा | स्वामी श्रद्धानंद जी , लाला लाजपत राय जी और महात्मा हंसराज जी ने धरम परिवर्तन करने वाले हिन्दुओं को पुन: वैदिक धरम मैं वापस करने का अभियान शुरू किया |
कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं ने इनके द्वारा चलाये जा रहे शुद्धि आन्दोलन का विरोध शुरू कर दिया | कहा गया की यह आन्दोलन हिन्दू मुस्लिम एकता को कमजोर कर रहा है . गाँधी जी के निर्देश पर कांग्रेस ने स्वामी जी को आदेश दिया की वे इस अभियान मैं भाग न लें | स्वामी जीने उत्तर दिया, ‘मुस्लिम मौलवी’ हिन्दुओं के धरमांतरण का अभियान तबलीग चला रहे हैं ! क्या कांग्रेस उसे भी बंद कराने का प्रयास करेगी ? कांग्रेस मुस्लिमों को तुष्ट करने के लिए शुद्धि अभियान का विरोध करती रही लेकिन गांधीजी और कांग्रेस ने ‘तबलीग अभियान ‘ के विरुद्ध एक भी शब्द नहीं कहा | स्वामी श्रधानंद जी ने कांग्रेस से सम्बन्ध तोड़ लिया |स्वामी श्रधानंद जी शुद्धि अभियान मैं पुरे जोर शोर से सक्रिय हो गए | हजारों धर्मान्तरित मुसलमानों को वैदिक (हिन्दू) धर्म मैं दीक्षित किया गया | उन्मादी मुसलमान शुद्धि अभियान को सहन नहीं कर पाए | पहले तो उन्हें धमकियां दी गयीं, अंत मैं २२ दिसम्बर १९२६ को दिल्ली मैं अब्दुल रशीद नामक एक मजहबी उन्मादी ने उनकी गोली मारकर हत्या कर डाली |
स्वामी श्रद्धानंद जी की इस निर्मम हत्या ने सारे देश को व्यथित कर डाला परन्तु गाँधी जी ने यंग इंडिया मैं लिखा , ” मैं भैया अब्दुल रशीद नामक मुसलमान, जिसने श्रद्धानंद की हत्या की है , का पक्ष लेकर कहना चाहता हूँ , की इस हत्या का दोष हमारा है | अब्दुल रशीद जिस धर्मोन्माद से पीड़ित था, उसका उत्तरदायित्व हम लोगों पर है | देशाग्नी भड़काने के लिए केबल मुसलमान ही नहीं, हिन्दू भी दोषी हैं | ”स्वातंत्रवीर सावरकर जी ने उन्हीं दिनों २० जनवरी १९२७ के ‘श्रधानंद’ के अंक मैं अपने लेख मैं गाँधी जी द्वारा हत्यारे अब्दुल रशीद की तरफदारी की कड़ी आलोचना करते हुए लिखा – गाँधी जी ने अपने को , ‘महात्मा’ तथा निस्पछ सिद्ध करने के लिए एक मजहवी उन्मादी हत्यारे के प्रति सुहानुभूति व्यक्त की है | मालाबार के मोपला हत्यारों के प्रति वे पहले ही ऐसी सुहानुभूति दिखा चुके हैं |
गाँधी जी ने स्वयं ‘हरिजन’ तथा अन्य पत्रों मैं लेख लिखकर स्वामी श्रधानंद जी तथा आर्य समाज के ‘शुधि आन्दोलन ” की कड़ी निंदा की | दूसरी ओर जगह जगह हिन्दुओं के बलात धरमांतरण के विरुद्ध उन्होंने एक भी शब्द कहने का साहस नहीं दिखाया |
गाँधी तो वास्तव मे बहुत दुष्ट , झूठा , दोगला व मुँह मे राम बगल मे छुरी रखने वाला था ।
सईदुल खुदरी ने लिखा रसूल ने कहा कत्ल,बलात्कार इस्लाम मे जायज है
ReplyDeleteबुखारी जिल्द 6 किताब 60 हदीस 139
"रसूल ने कहा कि मैंने दहशत और बलात्कार से लोगों को डराया इस्लाम को मजबूत किया बुखारी जिल्द 4 किताब 85 हदीस 220
https://sanatangyanpeeth.in/most-dangerous-quran-ayats