"आज हम पच्चीस करोड़ हैं, पर हज़ार साल पहले हम एक करोड़ भी नहीं थे, तब भी इस मुल्क का हर पंडित और पुजारी हमारे दरबारों में झुककर सलाम अर्ज़ करता था"
मुसलमानों पे अत्याचारों की दुहाई देते हुए मुंबई बम धमाकों को उचित ठहराता है। ऐ हिन्दुस्तान .. यदि मुसलमानों पे ज़ुल्म नहीं होते तो मुंबई में धमाके नहीं होते ... हम जायेंगे तो ताज , क़ुतुब मीनार सब ले जायेंगे ... बचेगा क्या .. अयोध्या का वो टूटा फूटा मंदिर बचेगा
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