मित्रो .....जय श्री राम
मैंने कभी किसी ईसाई को मंदिर या मस्जिद में जाते नहीं देखा
कभी किसी मुस्लिम को मंदिर या गिरिजाघर में जाते नहीं देखा
कभी भी किसी मुस्लिम को सर पर तिलक या जय श्री राम कहते नहीं सुना
किसी ईसाई या मुस्लिम के घर पर दिवाली के दीपक जलते नहीं देखे
अगर सर्व धर्म समभाव है ..
तो क्या सिर्फ हिन्दुओ के लिए ही सर्व धर्म समभाव है !
क्यूँ हम लोग हैप्पी क्रिसमस और ईद मुबारक कहते है ....?
क्या हिन्दू धर्म में त्योहारों की कमी है ?
सेक्युलर नहीं सनातनी हिन्दू बनो
शायद हिन्दू कुछ ज्यादा ही इमोशनल होते है ...उसी का फायदा आज ईसाई और मुस्लिम उठा रहे है
आप क्या सोचते हे की "सांता" नाम का जोकर आप के घर आएगा और आप की इच्छापूर्ति करेगा ......
.. अगर सांता वास्तव में होता तो ईसामसी सूली पर नहीं चढाया जाता और दुराचारियो की सजा देता ......
वेसे भी ईसाई लोग दुनिया को बेवकूफ बनाने में माहिर हे इसीलिए "सांता" नामक अंटा लोगो के दिमाग में घूमता हे ...........
मेरा मानना हे शायद आप तो बेवकूफ नहीं हे ...
मुझे एक बात अभी तक समझ नहीं आई कि........
ना तो WISH करने वाला ईसाई.... ना ही जिसको WISH किया जा रहा है.... वो ईसाई है.....
फिर, ""बेगानी शादी में अब्दुल्ला बेगाना"" की तर्ज पर ......
हिन्दू आपस में ही ""मेरी क्रिसमस और तुम्हारी क्रिसमस"""
जैसी फालतू की नौटंकी कर ......
खुद को ज्यादा सभ्य (????)... साबित करने में क्यों जुटे हैं....???????
ऐसे लोगों को ......
अपनी जन्माष्टमी, भैया दूज या राम नवमी .....
जैसे पवित्र पर्व ना तो याद रहते हैं.....
ना ही ये अपने खुद के वैज्ञानिक और हर्षो उल्लास के पर्व पर.....
अपने सम्बन्धियों अथवा मित्रों को
शुभकामनाएं देने की जरुरत महसूस करते हैं........
लेकिन मजे की बात है कि.....
ऐसे मनहूस .... क्रिसमस , ईसाईयों का नया साल ......
या फिर ईद की मुबारकवाद देना कभी नहीं भूलते हैं...!
शायद....
ऐसे लोगों की रगों में किसी हिन्दू का नहीं....
बल्कि.... किसी ईसाई या मुस्लिम का खून दौड़ रहा है......
या फिर, इनके पूर्वजों पर अंग्रेजों और मुगलों ने इतने अहसान किये हैं कि......
ये ऐसी शुभकामनाएं देकर ....
अभी तक उनके नमक का कर्ज अदा कर रहे हैं...!
ऐसे सेक्यूलर मानसिकता के लोग.....
हमारे समाज में एक कोढ़ के समान हैं....
जो, हमारे गौरवशाली हिन्दू धर्म को....
दीमक की तरह अन्दर ही अन्दर खोखला किये जा रहे हैं...!
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