Monday, January 18, 2016

यजीदी महिलाओं के साथ ISIS ने पार की क्रूरता की हदें

उत्तरी इराक के शहर सिंजर में अगस्त 2014 में आईएसआईएस के आतंकियों ने हमला किया। शहर में आतंक और मारकाट के साथ उन्होंने 5000 से अधिक यजीदी महिलाओं और बच्चियों को बंधक बना लिया। बंधक बनाई इन महिलाओं और बच्चियों के साथ क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। इन्हें सेक्स गुलाम के तौर पर बेचा गया, जहां रेप, गुलामी और प्रताड़ना ही इनकी जिंदगी थी। मेल ऑनलाइन में प्रकाशित रिपोर्ट में एक पीड़ित महिला की कहानी...

21 साल की परला सिंजर शहर की यजीदी हैं। 10 महीने कैद में बिताने के बाद भागकर जान बचाने वाली परला ने अपनी रोंगटे खड़े करने वाली आपबीची बताई। उन्होंने कहा, 'आईएसआईएस वाले जब आए थे तो जान बचाने के लिए हम पहाड़ो पर छिप गए। लेकिन उन्होंने सबको वहां से निकाल लिया। शुरू में हमें कहा गया कि वो लोग हमें सुरक्षित जगह पर ले जा रहे हैं। हमें बस से सीरिया ले गए। मेरे साथ 400 और लड़कियां भी थीं।'

परला आगे कहती हैं, 'इसके बाद मेरी जिंदगी का सबसे काला पन्ना शुरू हुआ। मुझे लाने वाला आदमी बहुत गुस्से में था और उसने मेरी बुरी तरह से पिटाई की। साथ ही मुझे धमकी दी कि अगर मैंने उसकी बात नहीं मानी तो मुझे मार देगा। मैंने उससे कहा कि अगर उसने मेरे मां-बाप को मार दिया है तो मेरी भी हत्या कर दे। फिर हम सब लड़कियों को एक खेत में रखा गया, जहां आठ दिनों तक हमें खाने के लिए कुछ नहीं मिला। हर बार वो लोग 4-5 लड़कियों को वहां से उठाकर किसी को बेच देते थे। मुझे खरीदने वाला रक्का का था। शुरुआत में उसने मुझे और कुछ लड़कियों को जेल में रखा। हमें बुरी तरह से पीटा जाता था और इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर करते थे।'

सेक्स गुलाम के तौर पर बार-बार खरीदने-बेचने और भागने की असफल कोशिशों के बारे में परला ने बताया। उन्होंने कहा, 'वहां मुझे एक फ्रेंच युवक मिला जिसने मुझसे अरबी जाननेके बारे में पूछा। मैंने इनकार कर दिया। इसके बाद उसने मुझे सउदी अरब के एक वृद्ध को बेच दिया, जो अपनी जॉर्डन की पार्टनर के साथ रहता था। एक रोज मैं वहां से भाग गई। लेकिन पकड़ी गई और फिर ताल अफारा में करीब दो महीने रही। वहां मेरे साथ रह रही कई लड़कियों के नवजात बच्चे भी साथ में थे। बच्चे भूख के कारण रोते थे लेकिन उन्हें खाने के लिए सिर्फ एक अंडा ही दिया जाता था। वहां एक रात कुछ लड़कियों ने भागने की कोशिश की और पकड़ी गईं। हम सबकी उस रात बहुत पिटाई हुई। फिर मुझे सउदी अरब के एक शख्स ने खरीद लिया। 40 साल के उस आदमी से शादी से इनकार करने पर उसने मुझे पीटा और जान से मारने की धमकी दी।'

अपने साथ हुई अमानवीयता के बारे में परला कहती है, 'सउदी अरब के अपने मालिक के घर का सारा काम मुझे करना होता था। वह हर रात मेरे साथ रेप करता था। रेप के बाद कहता था कि तुम्हारे साथ सोकर तुम्हें मुस्लिम बना रहा हूं। हमें खाने के लिए बहुत कम भोजन देते थे। मालिकों का कहना था कि गुलामों को पेट भर खाने की आजादी नहीं है। इसके बाद आईएसआईएस के आतंकी आए और उन्होंने सभी गुलाम लड़कियों को इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया। वहां हमें पता चला कि आतंकियों ने हमारे गांव के मर्दों को चार ट्रक में भरकर मार दिया। मैंने ईश्वर से प्रार्थना करती थी कि मैं मर जाऊं या हमारे ऊपर कोई बम गिरा दे।'

परला ने अपनी बहन से अलग होने और फिर मिलने की कहानी बताई। उसने कहा, 'मेरी बहन को तीन दिनों के बाद बेच दिया गया। मेरे लिए वह क्षण बहुत दुखद था। कुछ दिनों बाद मैं अपनी बहन से फिर मिल सकी क्योंकि मुझे भी उसी शख्स ने खरीद लिया था। वहां हम करीब पांच महीने रहे। इस दौरान दिन में हमें एक कमरे में रखा जाता था और फिर कुछ लोग आते थे और हम लड़कियों में से चुनकर हरेक को रात के लिए लेकर जाते थे। हमें खाने के लिए पर्याप्त भोजन भी नहीं दिया जाता था। इसके बाद मुझे फिर बेच दिया गया। इस बार एक तजाकिस्तान के आदमी ने मुझे खरीदा लेकिन दो महीने बाद उसकी मौत हो गई और मेरा मालिक बदल गया। इस बार मुझे बेचा नहीं गया बल्कि तोहफे के रूप में दिया गया। वहां मेरा मालिक हर बार रेप करने के दौरान मेरे हाथ-पैर बांध देता था और मेरी पिटाई करता था।'

आईएसआईस की क्रूरता के बारे में परला ने बताया, 'ताल अफार में मुझे और कई लड़कियों को एक स्कूल में रखा गया। वहां हमें इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर किया जाता था। हमें कई-कई दिनों तक खाने के लिए कुछ नहीं मिलता था। पीने का पानी भी नहीं दिया जाता था। सउदी के मेरे मालिक ने कई बार मेरा रेप किया था और मैं प्रेगनेंट थी। उस हालत में भी मेरी पिटाई होती थी और मैं कई-कई दिनों तक भूखी रहती थी।'

परला ने बताया, 'आईएसआईएस के लोगों ने मुझे मोसुल जाने का हुक्म दिया। उन्होंने कहा कि अगर मैंने उनकी बात नहीं मानी तो वो लोग मेरे दोनों छोटे भाइयों को मार डालेंगे। मेरे पास कोई रास्ता नहीं था। मोसुल में मेरे मालिक के घर के सभी काम मैं करती थी। वह विवाहित था और उसकी पत्नी साथ में ही रहती थी लेकिन इसके बाद भी उसने कई बार मेरा रेप किया। आईएसआईएस के कब्जे में मेरे परिवार के पांच लोग अभी भी हैं और मुझे नहीं पता कि वो जिंदा भी हैं या नहीं।'


http://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/yazidi-sex-slaves-relive-their-torture-by-isis/articleshow/50633786.cms

Sunday, January 17, 2016

आईएस ने किया 300 लोगों का कत्ल, 400 को अगवा

आईएस ने किया 300 लोगों का कत्ल, 400 को अगवा


पूर्वी सीरिया के एक और शहर दीर अल-जोर पर हमला करके आतंकी संगठन आईएस ने 300 लोगों की हत्या कर दी है। महिलाओं को यौन गुलाम बनाने के लिए कुख्यात आईएस के लड़ाकों ने शनिवार को महिलाओं और बच्चों समेत 400 लोगों का अपहरण भी कर लिया। सीरियाई न्यूज एजेंसी ‘सना’ ने बताया कि मारे जाने वालों में अधिकतर बच्चे और महिलाएं हैं।

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक मारे गए लोगों में सैनिकों के परिवार भी शामिल हैं। सीरिया के हालात पर नजर रखने वाली ब्रिटेन स्थित मानवाधिकार संस्था सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने बताया कि शनिवार देर शाम करीब 135 लोगों की हत्या की गई।

इसमें करीब 80 लोग सरकार समर्थक लड़ाकुओं के परिजन थे। संस्था ने जानकारी दी कि आईएस ने कुछ लोगों को गोली मारी तो कुछ के गले भी रेते। वहीं, लेबनान स्थित अल-मयादीन टीवी ने भी आईएस द्वारा दर्जनों लोगों को मारने की पुष्टि की है। उसने ये भी कहा है कि आतंकी संगठन ने 400 लोगों का अपहरण भी किया है।

आईएस से जुड़ी न्यूज एजेंसी आमक ने भी दीर अल-जोर में बड़े स्तर पर कत्लेआम मचाने की बात कही है। उसने कहा है कि इसकी शुरुआत आत्मघाती हमले के साथ हुई। सीरिया के दीर अल-जोर प्रांत के काफी ज्यादा हिस्से पर आईएस का नियंत्रण है और आईएस ने ये कत्लेआम इसी नाम के शहर में मचाया।

आईएस सीरिया और इराक में अब तक हजारों लोगों को इस तरह से मौत के घाट उतार चुका है। आईएस सरकार समर्थक लड़ाकों के परिवारों को निशाना बना रहा है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने आतंकियों के घेरे वाले इलाकों में हालात खराब होने की चेतावनी दी है। इन इलाकों में लगभग दो लाख लोग फंसे हैं।

सीरिया की स्थानीय समिति ने कहा है कि सरकार के नियंत्रण वाले इलाकों पर आईएस का हमला शनिवार सुबह शुरू हुआ। हालांकि सरकारी बलों ने हवाई हमलों और गोलाबारी से आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है। उधर, रूस का कहना है कि वह इलाके में फंसे लोगों की मदद के लिए राहत सामग्री गिरा रहा है, पास के इलाकों में रूसी हवाई हमलों की भी खबरें हैं।

मारे गए लोगों में सैनिकों के परिजन भी शामिल

Sunday, November 30, 2014

हिन्दुस्तानी मुसलमान को अरबी लोग मुसलमान' नहीं मान


आज तक हिन्दुस्तानी मुसलमान को अरबी लोग मुसलमान' नहीं मानते. और ना मानेगे. जो मुसलमान' हिंदुस्तान के बटवारे के बाद पकिस्तान गए थे वे आजभी वह मुहाजिर कहलाते है. मतलब दोयम दर्जे के मुसलमान.

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ISIS नहीं लड़ रहा पवित्र युद्ध, लड़ाके करते हैं रेप: अरीब मजीद

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारियों ने रविवार को बताया कि आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक ऐंड सीरिया (आईएसआईएस) के संदिग्ध सदस्य अरीब मजीद ने उन स्थानीय लोगों के नामों का खुलासा किया है, जिन्होंने इराक में जारी लड़ाई में हिस्सा लेने की खातिर संगठन में शामिल होने के लिए उसकी मदद की थी।

एनआईए के एक अधिकारी के सवाल के जवाब में मजीद ने कहा, 'वहां न तो कोई पवित्र युद्ध हो रहा है और न ही पवित्र किताबों में लिखी बातों का पालन किया जाता है। आईएसआईएस लड़ाकों ने वहां कई महिलाओं से बलात्कार भी किया है ।'

मजीद ने यह भी बताया कि आतंकवादी संगठन ने उसे किस तरह दरकिनार कर दिया। उसने बताया कि लड़ाई में हिस्सा लेने के लिए भेजे जाने के बजाय उससे शौचालयों की सफाई का काम कराया जाता था या जंग लड़ रहे लड़ाकों को पानी मुहैया कराने को कहा जाता था।

एनआईए के एक अधिकारी ने कहा, 'मजीद से रविवार को कई घंटों तक पूछताछ हुई। पूछताछ के दौरान उसने उन स्थानीय लोगों के नाम बताए, जिन्होंने उसमें और उसके तीन दोस्तों में कट्टरपंथी भावनाएं भड़काई और उन्हें इराक जाने में मदद की। हम उसके दावों की जांच कर रहे हैं और इन स्थानीय संपर्कों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।' हालांकि अधिकारी ने यह कहते हुए स्थानीय समर्थकों के नाम का खुलासा करने से इनकार कर दिया कि इससे जांच पटरी से उतर जाएगी ।

अरीब मजीद से यह पूछे जाने पर कि उसने कितने महीनों तक लड़ाई में हिस्सा लिया, मजीद ने कहा कि उसकी पूरी तरह अनदेखी की जाती थी और उससे शौचालय साफ करने या सुरक्षा बलों से लड़ रहे लड़ाकों के लिए पानी का इंतजाम करने को कहा जाता था। मजीद ने जांच अधिकारियों को बताया कि उसके वरिष्ठ सुपरवाइजर के अनुरोध के बावजूद आईएसआईएस कैडरों ने उसे लड़ाई में हिस्सा नहीं लेने दिया।

उसने बताया कि जंग में हिस्सा लेने का उसका इरादा उस वक्त कमजोर पड़ गया जब गोली लगने से जख्मी होने के बावजूद तीन दिनों तक उसका इलाज नहीं कराया गया और बाद में एक अस्पताल में ले जाया गया। मजीद ने जांच अधिकारियों को बताया, 'जब मैं काफी गिड़गिड़ाया तो मुझे अस्पताल ले जाया गया। मैं अपना इलाज खुद कर रहा था पर जख्म दिन-ब-दिन बदतर होता जा रहा था। शिविरों में उचित दवाएं और भोजन उपलब्ध नहीं था।'

Thursday, August 14, 2014

ISIS की सेक्स स्लेव बनने के लिए आ रहे फोन

उइगर लड़कियों को ISIS की सेक्स स्लेव बनने के लिए आ रहे फोनपीटीआई | Aug 14, 2014, 11.43AM IST


पेइचिंग
चीन पुलिस उन दावों की जांच कर रही है, जिनमें कहा जा रहा है कि इस्लामिक स्टेट(ISIS) के आतंकवादी शिनचियांग प्रांत की उइगर मुस्लियम समुदाय की लड़कियों को फोन करके बहला-फुसला रहे हैं। इन लड़कियों को 'सेक्स स्लेव' बनने के लिए कहा जा रहा है। इनसे कहा जा रहे है कि वे मिडल ईस्ट आकर जिहादियो से सेक्स करके उनकी सेवा करें।

सरकारी अखबार ग्लोबर टाइम्स ने ऑनलाइन पोस्ट्स के आधार पर दावा किया है कि इस्लामिक स्टेट के जिहादियों की तरफ से उइगर लड़कियों को लगातार फोन किए जा रहे हैं। ट्विटर की तरह की साइट साइना वीबो में दावा किया गया है कि शिनचियांग में हाई स्कूल की लड़कियों को ये कॉल्स आई हैं। उन्हें कहा गया है कि पढ़ाई छोड़कर इराक आओ और 'सेक्स स्लेव' बन जाओ।

इस तरह की कॉल्स आने के बारे में जानकारी रखने वाले शेंग नाम के एक शख्स का कहना है कि लड़कियों को बेनामी फोन आते हैं, जिनमें कहा जाता है कि वे इंडोनेशिया होते हुए सीरिया पहुंचें और जिहादियों की मदद करें। उनसे कहा जा रहा है कि खुद को जिहादियों को सौंप दें।

शेंग का कहना है कि कॉल्स लगातार आ रही हैं, लेकिन लड़कियों ने इस बारे में पुलिस को शिकायद नहीं दी है। शेंग के मुताबिक वे इसलिए शिकायत करने से झिझक रही हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि सभी मुस्लिम भाई-बहन है।

पुलिस का कहना है कि अभी किसी ने शिकायत तो नहीं की, लेकिन हो सकता है कि कॉल्स आई हों। एक अधिकारी ने बताया कि हाई स्कूल के बच्चे उतने समझदार नहीं होते। उन्हें बहलाना-फुसलाना बेहद आसान होता है। इसलिए हम सावधानी बरत रहे हैं।

चीन के कई हिस्सों में पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट की तरफ से आतंकी हमले हुए हैं। चीन सरकार के मुताबिक इस संगठन में युवा उइगर लड़के भी शामिल हैं। यह संगठन ISIS का साथ भी दे रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि वे उइगर लड़के ही इन लड़कियों को फोन कर रहे हैं।



Saturday, August 2, 2014

सहारनपुर के बलजीत सिंह जी की फेसबुक टाइमलाइन से:

सहारनपुर के बलजीत सिंह जी की फेसबुक टाइमलाइन
से:------------------------------------------
------------------------------------------अगर सहारनपुर
के # मुसलमानों को .............अपनी ईद मानने के लिए पैसे
चाहिए थे, .....तो हमको बता देते हम खुशी- खुशी उनके पर्व
में शामिल होते..... और अपने पैसे से भी उनकी पूरी मदद
करते...., मगर मुसलमानों के लिए जमीन का कोई
मुद्दा ही नहीं था .......उनको तो केवल हमारी दुकानें व घर
लुटकर .........अपनी ईद के लिए पैसा जमा करना था,....!!!
हम सरदारों का दिल बहुत बड़ा होता है .........यदि वो एक
बार कह देते ...कि हमको पैसे की जरुरत है ......तो हम
अपना सब कुछ खुशी- खुशी लुटा देते, ....मगर उन्होंने
ऐसा करके मेरे मन से इस्लाम के लिए रही- सही इज्जत
भी गवां दी...., खुद ....मेरे मुसलमान दोस्तों ने.....
दंगाईयों के साथ मिलकर मेरी दुकान व मेरा घर लुटा .....व
मेरी घर की महिलाओं के साथ बदसलूकी की,...खुद अपने
ही...... मुसलमान दोस्तों को ये सब करते देख...... मुझे
बड़ा अघात पहुँचा है,....!!!!!!! अब मैं कह सकता हूँ कि.....
कभी किसी मुसलमान की बातों का विश्वास मत करना....
वो भले ही ये कितना ही भाई- भाई क्यों न करे, ....क्योंकि ये
जात खुद...... अपने ही जात वालों 'SHIYAS' का आज
दुनिया भर में खून बहा रही है .....फिर ये जात कभी........
हम काफिरों के साथ सच्चा रिश्ता निभाएगी.. ये
सोचना भी बेकार है..!!!!

Tuesday, July 22, 2014

मस्जिद में मौलाना ने किया एक 10 वर्षीय बच्ची से रेप

काबुल। उत्तरी अफगानिस्तान में बलात्कार पीड़ित एक 10 वर्षीय बच्ची पर ऑनर किलिंग का खतरा मंडरा रहा है। बीते 1 मई को कुंदूज शहर में 45 वर्षीय मौलाना ने मस्जिद परिसर में बच्ची का रेप किया था। स्थानीय प्रशासन के अनुसार, अब बच्ची के परिजन 'सम्मान की खातिर' उसकी हत्या (ऑनर किलिंग) करना चाहते हैं। पिछले हफ्ते मंगलवार को एक स्थानीय पुलिसकर्मी ने बच्ची को शेल्टर होम से गायब करके उसके घरवालों को सौंप दिया था। 
 
मानवाधिकार संस्था 'वुमन फॉर अफगान वुमन' की प्रमुख डॉक्टर हसीना सरवारी कई बार बच्ची की जान को खतरे का अंदेशा जता चुकी हैं और प्रशासन से सख्ती की अपील कर चुकी हैं। इस घटना के बाद से बच्ची की देख-रेख कर रही हसीना सरवारी को बीते दिनों एक आतंकी संगठन के कमांडर ने जान से मारने  और बच्ची को उसके परिजन को लौटाने की धमकी दी थी। जान के खतरे को देखते हुए डॉक्टर हसीना सरवारी अब अफगानिस्तान छोड़ना चाहती हैं।  
 
अफगानिस्तान में कट्टरपंथी मानसिकता का खौफ इतना ज्यादा है कि कुंदूज में महिला मामलों की प्रमुख नेदेरा गेयाह ने 21 मई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। नेदेरा इस घटना में आरोपी को सजा दिलाए जाने के पक्ष में हुए प्रदर्शनों में हिस्सा ले चुकी हैं। इस्तीफे के बाद नेदेरा अफगानिस्तान के किसी दूसरे शहर में शिफ्ट हो गई हैं।  
 
इस घटना के बाद से ज्यादातर कट्टरपंथी संगठनों और लोगों का ध्यान आरोपी के बजाय महिला कार्यकर्ताओं और शेल्टर होम्स पर केंद्रित हो गया है। गौरतलब है कि 'वुमन फॉर अफगान वुमन' के अफगानिस्तान में सात शेल्टर्स हैं, जो अमेरिकी मदद से चलाए जा रहे हैं। इन्हें अमेरिकी सरकार व प्राइवेट डोनेटर्स की मदद से चलाया जा रहा है। 
 
इस संगठन की प्रमुख डॉक्टर हसीना सरवारी ने बताया, 'लोग मानते हैं कि यह अमेरिकी संस्था है, जबकि यहां एक भी अमेरिकी काम नहीं करता।'
 
इस मामले में संगठन की एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर मनीजा नादेरी ने बताया, 'यह संगठन अमेरिका नहीं चलाता। यहां का हर स्टाफ मेंबर अफगानी है। हमारी कोशिश रहती है कि यहां रहने वाली महिलाएं और बच्चियां सुरक्षित रहें और उन्हें न्याय मिले।'
 
क्या है मामला
 
1 मई को कुंदूज शहर के 45 वर्षीय मौलाना मोहम्मद अमीनुल्लाह ने मस्जिद के क्लासरूम में 10 वर्षीय बच्ची का रेप किया था। पीड़ित बच्ची को उसके परिजन ने कुरान पढ़ने के लिए मौलाना के पास भेजा था। घटना के बाद आरोपी मौलाना को गिरफ्तार कर लिया गया। मौलाना का दावा था कि बच्ची की उम्र 17 साल है और उसकी सहमति के बाद ही उससे संबंध स्थापित किए। वहीं दूसरी ओर, पीड़ित के परिजन के अनुसार, बच्ची की उम्र 10 साल है। 
 
अस्पताल में महिला कार्यकर्ता हसीना सरवारी द्वारा खींची गई तस्वीरों में साफ नजर आता है कि पीड़िता की उम्र काफी कम है। मेडिकल जांच करने वाले डॉक्टर के मुताबिक, बच्ची का वजन मात्र 18 किलोग्राम है और अभी उसका मासिक चक्र भी शुरू नहीं हुआ है। 

पीड़ित बच्ची का बयान
 
"वो मुझे जबर्दस्ती मस्जिद के बाहर ले गए और मेरे हाथ-पांव बांध दिए। उन्होंने मेरे मुंह को भी बंद कर दिया। मैंने उन्हें खुदा का वास्ता दिया, लेकिन वो मेरे साथ गलत काम करते रहे।"
 
'वुमन फॉर अफगान वुमन' की कार्यकर्ता और पुलिस के सामने दिए बयान में बच्ची ने रोते हुए बताया कि मौलाना अमीनुल्लाह ने रेप के बाद जान से मारने की धमकी दी। उसने बताया, 'अगर तुम इस बारे में अपने घरवालों को बताओगी तो मैं उन्हें मार डालूंगा।'
 
कुंदूज में महिला मामलों की प्रमुख रह चुकी नेदेरा गेयाह ने बताया, 'जब बच्ची को अस्पताल लाया गया तो मैं वहां पहुंची। मैं बच्ची के बिस्तर के पास बैठी थी। तब मैंने उसकी मां और चाची को बात करते सुना। वे बात कर रहे थे कि गांव के बड़े-बुजुर्ग बच्ची की हत्या करने के लिए दबाव बना रहे हैं। उनका कहना है कि यह घटना उनके लिए शर्मनाक है और इससे उनके गांव का नाम खराब हुआ है।'
 

Wednesday, June 18, 2014

हे अल्लाह क्या यही है तेरी शिक्षा दीक्षा

हे अल्लाह क्या यही है तेरी शिक्षा दीक्षा। की सिर्फ तेरे नाम को लेकर ये काफिर किसी की भी जान ले लेतें है और बाद में अल्लाह हु अकबर बोल कर ख़ुशी मनाते हैं। आखिर ऐसा क्यों है की हर तरफ चाहे सीरिया हो , मिस्र हो इराक हो , अंगोला हो , सोमालिया हो सूडान हो इस्लामिक आतंकी क्यों पनप रहे हैं। क्यों नहीं सऊदी अरब , इण्डोनेशिआ , मलेशिआ, ईरान और भारत आदि के मुस्लमान इन सबकी घोर निंदा करते है। कहीं के मुसलमानों की मौन स्वीकृति तो नहीं ? ये दरिंदे आखिर क्यों लहू के प्यासे बने हुए।

क्यों चैन से नहीं रहते हैं???????????????

Tuesday, April 22, 2014

शाजिया इल्मी ने कहा, कम्यूनल बनें मुसलमान


शाजिया इल्मी ने कहा, कम्यूनल बनें मुसलमान

23 Apr 2014, 0052 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम  
अब शाजिया इल्मी ने मुसलमानो से कहा, कम्यूनल बनो
 
अब शाजिया इल्मी ने मुसलमानो से कहा, कम्यूनल बनो
Photos 1
नई दिल्ली
​आम आदमी पार्टी की नेता शाजिया इल्मी का एक विडियो सामने आया है जिसमें वह मुसलमानों से कम्यूनल होने की अपील करती दिख रही हैं। इस विडियो के सामने आने के बाद आम आदमी पार्टी बैकफुट पर आ गई है। पार्टी ने कहा है कि वह इस तरह की राजनीति का समर्थन नहीं करती है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस विडियो में शाजिया इल्मी कुछ मुसलमान व्यक्तियों के साथ बातचीत कर रही हैं। अनौपचारिक तौर पर हो रही इस बातचीत में वह आम आदमी पार्टी के लिए वोट देने की सिफारिश कर रही हैं।

इस बातचीत में शाजिया कहती हैं, 'मैं तो मुसलमानों से कहूंगी...इतने सेक्यूलर न बनिए।'

उन्हें बीच में रोकते हुए एक व्यक्ति कहता है कि हमें बनना पड़ेगा और इस्लाम के लिए काम करना पड़ेगा।

बातचीत आगे बढ़ती है तो शाजिया कहती हैं, 'मैं तो उलटा कहती हूं, मुसलमान बहुत सेक्युलर है। मुसलमानों को कम्यूनल होना पड़ेगा। मुसलमान कम्यूनल नहीं है, अपनों को नहीं देता है वोट। अरविंद केजरीवाल आपके अपने हैं। हम तो कहते हैं, सेक्युलर बहुत हो गया मुसलमान। आप कांग्रेस को जिता रहे हैं या किसी और को, जो आपका नुकसान कर रहे हैं। आप लोग इतने सेक्युलर न बनें। आप अपने घर का देखिए हिसाब-किताब।'

ऐसा लगता है कि शाजिया इल्मी को अहसास भी है कि वह एक विवादास्पद बात कह रही हैं। इसलिए वह कहती हैं, 'बहुत कॉन्ट्रॉवर्शल बात है, लेकिन जरूरी बात है। हम खुलकर कहेंगे।'

अब सवाल उठता है कि क्या चुनाव आयोग इस विडियो को देखकर शाजिया इल्मी के खिलाफ कार्रवाई करेगा। ऐसे ही बयान देने पर आजम खान, अमित शाह और कई अन्य नेताओं के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। वैसे, शाजिया इल्मी ने इसे 'प्ले ऑफ वर्ड्स' करार दिया है। उन्होंने सफाई दी है कि वह शब्दों से खेलने की कोशिश कर रही थीं।

आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया
इस बीच शाजिया इल्मी के इस विडियो पर आम आदमी पार्टी ने कहा है कि हम न तो इस तरह की राजनीति में यकीन रखते हैं न ही इसका समर्थन करते हैं। पार्टी ने ट्वीट किया है कि हमारे प्रतिनिधियों को शब्दों का चुनाव सावधानी से करना चाहिए, ताकि किसी तरह की गलतफहमी की गुंजाइश न रहे।

'द रियल कम्यूनल फेस ऑफ द आम आदमी पार्टी' टाइटल से डाले गए इस विडियो को लेकर ट्विटर पर शाजिया इल्मी की जमकर आलोचना हो रही है। वहां #arrestshazia नाम से हैशटैग चल रहा है। पढ़िए, कुछ ट्वीट्स -



Sumit Kashyap So,if RSS says all Hindus shud vote for BJP, it is communal but when Shazia says all Muslim should be communal, its sarcasm. #ArrestShazia

नंदीता ठाकुर ‏@nanditathhakur after watching Sazia Ilmi asking Muslims to be communal i feel her candidature should be cancelled .. #ArrestShazia

Avinash Bhat ‏@avinashbhat01 There is no point in just #ArrestShazia She is just taking message of her boss Kejriwal to the ppl.So it shud be #ArrestKejriwal instead!

Mohit Sethi ‏@mohit_sethi23 33m Iam a proud Modi Supporter and I want both Togadia and Shazia to be arrested.. #ArrestShazia

Friday, April 18, 2014

सैंडल पर ॐ छापकर



दोगले पाकिस्तानी मुल्ले अब नीचता की हद करने लगे ..पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के शहर मीरपुर ख़ास में सैंडल पर ॐ छापकर बेचा जा रहा है ... 

और भारत का विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद पाकिस्तान के नेताओ को बिरयानी पर दावत देता है

Sunday, April 6, 2014

धर्मनिरपेक्षता के बहाने आम हिंदुओ का पैसा...

आज सबूतों के साथ देखिये की किस तरह धर्मनिरपेक्षता के बहाने आम हिंदुओ का पैसा कांग्रेस और उसके सहयोगी जैसे राष्ट्रवादी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस मुसलमानों में बाट रही है ताकि उसका वोट बैंक और मजबूत हो सके और सेक्युलर हिंदू आज भी अनजान है और गुलामो की तरह कांग्रेस, समाजवादी पार्टी जैसी देशद्रोही पार्टियों कों वोट दे रहा है !
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1) Subsidy for Haj Pilgrims
http://article.wn.com/view/WNAT413778122370bd3b91d6603ab1ab5889/
http://www.hindujagruti.org/news/3414.html

Tax on Amarnath Yatra
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/6069187.cms
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2) Subsidy for Cow slaughter house, but tax on Gaushala
http://timesofindia.indiatimes.com/india/Beef-exports-up-44-in-4-years-India-is-top-seller/articleshow/19314449.cms
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/02/130222_beef_global_india_da.shtml
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3) Free electricity to mosques, Funds for Madarsas
http://www.hindustantimes.com/india-news/mumbai/maharashtra-govt-scheme-to-provide-aid-to-madrasas-takes-off/article1-1135253.aspx
http://www.indianexpress.com/news/muslim-body-asks-govt-to-provide-land-to-build-more-mosques/946285/
http://zeenews.india.com/election09/story.aspx?aid=684052
http://www.indianexpress.com/news/jama-masjid-runs-up-rs-4cr-power-bill-spat-over-dues-has-area-in-dark/1007397
http://www.jagran.com/uttar-pradesh/pilibhit-10482123.html

but Tax on Temples http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2011-05-27/varanasi/29590887_1_water-tax-vnn-varanasi-nagar-nigam
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-03-16/india/37766404_1_worship-tax-exemption-income-tax
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4) Ban on DJs in Navratri and Crackers in Diwali
http://www.hindustantimes.com/India-news/Mumbai/No-bursting-crackers-on-roads-this-Diwali/Article1-615228.aspx
http://tinyurl.com/mcc4h6n
http://www.dnaindia.com/ahmedabad/report-people-cant-be-deprived-of-navratri-celebrations-hc-1898277

Loudspeakers allowed for Namaz
http://khabar.ibnlive.in.com/news/76272/3/21
http://www.haindavakeralam.com/HKPage.aspx?PageID=12402
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5) Voter cards for Bangladeshi Muslims
http://www.rediff.com/news/1998/jul/29bang1.htm
http://hindi.business-standard.com/storypage_hin.php?autono=81302
http://www.bhaskar.com/article/RAJ-JAI-bangladeshis-pakistanis-trying-to-build-the-ration-card-the-congress-mlas-3518261.html

not for Pakistani Hindus
http://tinyurl.com/l5o82hj
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
6) Rs.30,000 scholarship for Muslim girls
http://hindi.in.com/latest-news/News/Sp-Govt-Launch-Scheme-For-Only-Muslim-Girls-1725032.html
http://ibnlive.in.com/news/up-akhilesh-yadav-launches-girl-education-aid-scheme-bjp-slams-move/309845-3-242.html
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
7) 24/7 electricity during Ramzan;
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2011-07-18/hyderabad/29786562_1_uninterrupted-power-power-supply-areas
http://www.khaskhabar.com/hindi-news/no-load-shedding-in-ramzan-in-up-072011311123404812.html

Power cuts in Diwali
http://navbharattimes.indiatimes.com/faridabad/--/articleshow/6843011.cms
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2011-10-23/mumbai/30312966_1_extra-power-power-cuts-mw
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2012-11-08/madurai/34993892_1_unscheduled-power-power-cuts-power-failure
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8) Reservation for Muslims & not for Poor Hindus
http://www.siasat.com/english/news/muslim-reservation-cong-achievement-not-ysrs-ma-shabbir
http://abpnews.newsbullet.in/ind/34-more/40401-2012-12-17-09-34-44
http://tinyurl.com/l8awtry
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2010-03-26/india/28121377_1_exclusive-quota-muslim-castes-muslims-and-christians

Cheap loans for Muslims
http://khabar.ibnlive.in.com/news/72883/3/19
http://www.jagran.com/bihar/kaimoor-10463554.html
http://navbharattimes.indiatimes.com/other-news-mumbai/--/articleshow/6246679.cms
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9) VIP jail for Abu Salem & other Terrorists
http://www.mid-day.com/news/2010/jul/270710-arthur-road-jail-abu-salem-underworld-don-luxury-items-ramesh-bagwe.htm
http://ibnlive.in.com/news/abu-salem-lived-like-a-vip-in-jail-minister/127524-3.html

Torture for Sadhvi Pragya
http://www.dnaindia.com/mumbai/1607207/report-african-drug-peddlers-tormenting-me-in-jail-sadhvi
http://www.speakingtree.in/spiritual-blogs/seekers/self-improvement/sadhvi-pragya-at-least-be-human-to-her
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10) Rs.50,000 for Muslim girls marriage but not for poor Hindu girls
http://bit.ly/1lxAOuM

http://timesofindia.indiatimes.com/city/bangalore/Congress-gifts-Nikah-Bhagya-ahead-of-LS-polls/articleshow/24224212.cms
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11) Allowance for Imams of Mosques but not for Priests of Temple
http://khabar.ibnlive.in.com/news/72883/3/19
http://post.jagran.com/Mamata-Banerjee-announces-Rs-2500-monthly-stipend-for-imams-1333533792
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12) Pension for Pakistani Terrorists
http://www.youtube.com/watch?v=j8DKwLE2Emw&noredirect=1

Indian Army bankrupt
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2012-03-29/india/31253747_1_air-defence-defence-secretary-army
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Hindus pay Electricity bill, Property tax, Income tax, Amarnath Yatra tax and Congress gives it to Muslims in the name of SECULARISM

Friday, April 4, 2014

10 सवाल,जिसका उत्तर अल्लाह के पास भी नहीं

10 सवाल,जिसका उत्तर अल्लाह के पास भी नहीं

१. अगर एक नमाज़ पढ़ते हुए शिया को आत्मघाती हमले में एक सुन्नी बम्ब से मार डाले तो दोनों में से जन्नत कौन जायेगा और दोज़ख में किसे प्रवेश मिलेगा ?? 
२. अल्लाह का एक नाम रहीम हैं अर्थात रहम करने वाला, यह बताओ की अल्लाह को क्यूँ रहम नहीं आता की जो ईद के दिन अपनी खुशामद के लिए लाखों निरपराध प्राणियों की गर्दन पर तलवार चलवा देता हैं ?? 
३. अगर कुरान के अनुसार अल्लाह ने सभी जानवरों को भोजन के लिए बनाया हैं तो फिर क्यूँ गर्दन काटते समय सभी जानवर चिल्लाते हैं, रोते हैं और उन्हें दर्द होता हैं, क्यूँ अपनी प्राण रक्षा करने के लिए प्रयास करते हैं, अल्लाह की बनाई हुई सृष्टी में कोई दोष नहीं हैं फिर यह दोष क्यूँ ?? 
४. विकासवाद को अधर बनाकर मुस्लिम लोग कहते हैं की वेद पुराने समय के लिए थे आज के लिए कुरान हैं, चलो एक बार विकासवाद को भी मान लेते हैं फिर यह बताओ की कुरान के आने के बाद मनुष्य का विकास क्यूँ रुक गया ?? 
५. माँस खाने के पीछे कुतर्क देते हैं की अगर जानवरों को नहीं खायेगे तो वे इतने बढ़ जायेगे की धरती पर स्थान नहीं बचेगा, कल को मनुष्य की जनसँख्या का भी यही समाधान आप लोगो ने ढूंढा हैं क्या ?? 
६. ओसामा बिन लादेन की लाश को मरने के बाद समुद्र में फैक दिया गया और उसकी लाश को मछलियाँ खा गई, अब यह बताओ कयामत के दिन किस कब्र से उसकी रूह हिसाब किताब देने के लिए निकलेगी ?? मतलब ओसामा बिन लादेन को न जन्नत मिली न दोज़ख... 
७. अगर एक १ वर्ष का बच्चा अकाल मृत्यु से मर जाये तो जन्नत में जाकर वह जवान ७२ हूरों की क्या गोदी में खेलेगा ?? अगर हाँ तो उन हूरों की प्यास कौन बुझायेगा ?? 
८. इस्लाम को मानने वालो के अनुसार मुहम्मद साहिब बड़े-बड़े चमत्कार दिखाते थे जैसे चाँद के दो टुकड़े करना इत्यादि, जब मुहम्मद साहब के नवजात लड़के की अकाल मृत्यु हो गई तब वह क्यूँ फुट-फुट कर रोये, अपने बच्चे को चमत्कार से वापिस जिन्दा क्यूँ नहीं कर दिया ?? 
९. मुहम्मद साहिब ने ३२ निकाह स्वयं किये और अनेक गुलाम बंदियाँ को पनाह दी मगर उन्होंने एक पाक मुस्लमान के लिए ४ ही निकाह क्यूँ बताये ??
१०. गुलाम बनाने की कुप्रथा विश्व में केवल और केवल इस्लाम मत की धर्म पुस्तक और इतिहास में मिलती हैं, मानवाधिकार के तराजू में इस कुप्रथा को किस आधार पर सही ठहराया जा सकता हैं ??


Saturday, January 18, 2014

कश्मीर में क्या-क्या बदल गया और क्या बदलने वाला है

अब श्रीनगर कहलायेगा "शहर-ए-खास" तो अनंतनाग बनेगा '"इस्लामाबाद"' जरूर पढ़े यह Report कश्मीर में क्या-क्या बदल गया और क्या बदलने वाला है :--

1. श्री नगर में गोपाद्री पहाड़ी है। कश्मीर की यात्रा के समय आधशंकराचार्य ने इस पहाड़ी पर वर्षोँ तक तपस्या की थी। अतः लोगो ने सैंकड़ो वर्ष ही इस पहाड़ी का नाम शंकराचार्य पहाड़ी रख दिया था जो सरकारी दस्तावेजो में भी मौजुद है। लेकिन अब इस पहाड़ी का नाम 'सुलेमान टापु' रख दिया गया है। हैरानी की बात यह है कि भारत सरकार के ASI ने भी अब वहां बोर्ड बदल दिया है जिस पर लिखा हुआ है - सुलेमान टॉपु।

2. श्रीनगर में हरि पर्वत है। अब इसका नाम बदलकर "कोह महारन" रख दिया गया है।

3. कश्मीर घाटी में एक अनंतनाग जिला है। वहां के लोग अब अनंतनाग को इस्लामाबाद कहने लगे हैं।वे लोग अपने दुकानो के उपर इस्लामाबाद लिखने लगे है।नाम बदलने के लिये वहां के लोग आंदोलन कर रहे हैं। सरकारी आश्वासन भी मिल चुका है।

4. अनंतनाग जिले में एक प्रसिद्ध तिर्थस्थान है- उमानगरी। इसका भी नाम बदलकर 'शेखपुरा' कर दिया गया है।

5. जम्मुकश्मीर सरकार को अब श्रीनगर नाम भी हजम नही हो रहा है। राज्य सरकार श्रीनगर का नाम "शहर-ए खास" रखने पर कई बार विचार कर चुकी है।

6. श्रीनगर में जिस चौक पर जामा मस्जिद स्थित है उस चौक का हिंदू नाम से बदलकर इस्लामीक नाम 'मदीना चौक' रख दिया गया है।

7. घाटी में बहने वाली किशनगंगा नदी को अब "दरिया-ए-नीलम कहा जाने लगा है। ये इस्लामिक कट्टरपंथियों की विकृत मानसिकता का एक नमूना भर है।यहाँ हर दिन होने वाले हिन्दू विरोधी दंगेकी तो चर्चा तक नहीँ करता कोई

Wednesday, January 8, 2014

'धर्म-निरपेक्ष'' बोलीवुड

''धर्म-निरपेक्ष'' बोलीवुड"

सलमान खान मुजफ्फनगर दंगा पीडि़तों की मदद के लिए एक चैरिटी शो करेंगे। उन्‍होंने कहा कि इस शो से आने वाला पैसा मुजफ्फरनगर दंगा पीडि़तों के बच्‍चों की सहायता के लिए दिया जाएगा। सलमान इससे पहले भी मुजफ्फरनगर दंगा पीडि़तों के लिए अपनी संवेदना व्‍यक्‍त कर चुके हैं। ऐसा ही शो शाहरुख खान ने पाकिस्तान बाढ़ पीड़ितों के लिए किया था

अच्छी बात है कुछ भला होगा दंगा पीड़ितों का लेकिन मुझे याद नहीं आता कि ऐसा कोई चैरिटी शो उन्होंने उत्तराखंड त्रासदी में पीड़ित जनता के लिए भी किया था, किसी को याद हो तो कृपया मुझे बताये और वैसे तो खरबपति हिन्दू नायकों को भी शर्म आनी चाहिए जो अपने पीड़ित लोगों के लिए कुछ नहीं करते ....

''वन्दे मातरम्''

Saturday, January 4, 2014

क़ुतुब मीनार घूमते हुए इस पत्थर पर नजर पड़ गई।

मुजफ्फरनगर दंगे: मुस्लिम नेताओं से केस वापसी की तैयारी?

मुजफ्फरनगर दंगे: मुस्लिम नेताओं से केस वापसी की तैयारी?
नवभारतटाइम्स.कॉम | Jan 5, 2014, 09.22AM IST


कादिर राणा

नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहे हैं यूपी की समाजवादी सरकार जीत के लिए हर संभव हथकंडा अपनाने में लग गई है। खबर है कि यूपी सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान भड़काउ भाषणों के जरिए हिंसा भड़काने के संबंध में मुस्लिम नेताओं के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने की तैयारी कर ली है। न्यूज चैनलों के मुताबिक यूपी के मुख्यमंत्री ने इस संदर्भ में मुजफ्फरनगर के डीएम को चिट्ठी भी लिखी है। हालांकि, सरकार की तरफ से इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

खबर है कि अखिलेश सरकार ने मुजफ्फरनगर के डीएम को भड़काउ भाषण देकर हिंसा भड़काने के संबंध में नेताओं के खिलाफ दायर मामले वापस लेने से जुड़ी रिपोर्ट सौंपने को कहा है। इसमें शामिल सभी नेता मुस्लिम समुदाय के हैं। हालांकि, ये नेता सभी पार्टियों से जुड़े हुए हैं।

गौरतलब है कि इस संबंध में बीएसपी सांसद कादिर राणा, विधायक नूर सलीम और मौलाना जमील अहमद, पूर्व कांग्रेस मंत्री सईदुज्जमां और उनके बेटे सलमान सईद, समुदाय के नेता असद जमा, नौशाद कुरैशी, एक व्यापारी अहसान, वकील सुलतान मशीर सहित विभिन्न लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है।

स्थानीय अदालत ने इस मामले में इन सब के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया था। सईदुज्जमां और 3 अन्य लोगों को छोड़कर कादिर राणा सहित अन्य सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर हैं। एसआईटी इस मामले की जांच कर रही, लेकिन अभी तक इसमें कोई आरोप पत्र दायर नहीं किया गया है।

इस मामले पर दंगा भड़काने के एक आरोपी और बीजेपी विधायक सुरेश राणा ने कहा कि यूपी सरकार की इन्हीं नीतियों के कारण प्रदेश में दंगा भड़का था। अखिलेश सरकार के इस कदम साफ पता चलता है कि सरकार एक खास समुदाय की तुष्टीकरण के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।

वहीं, इस मुद्दे पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री सईदुज्जमां ने कहा कि दंगों के भड़कने में हमारा कोई हाथ नहीं है। हमें जानबूझकर फंसाया गया था।

Saturday, December 28, 2013

इस्‍लाम के क्रूर पक्ष का नाम है वहाबियत

राजनीतिक इस्‍लाम के क्रूर पक्ष का नाम है वहाबियत

खुर्शीद अनवर। जनसत्ता। हालांकि पहले भी आतंकवाद पर कोई बहस या बातचीत आम जन के दिमाग को सीधे इस्लाम की तरफ खींच ले जाती थी। लेकिन विश्व व्यापार केंद्र पर हमले और उसके बाद दो नारों ‘आंतकवाद के खिलाफ  जंग’ और ‘दो सभ्यताओं के बीच टकराव’ ने ऐसी मानसिकता बनाई कि दुनिया भर में आम इंसानों के बीच एक खतरनाक विचार पैठ बनाने लगा कि ‘सारे मुसलमान आतंकवादी होते हैं’।

कुछ ‘नर्मदिल’ रियायत बरतते हुए इसे ‘हर आतंकवादी मुसलमान होता है’ कहने लगे। था तो यह राजनीतिक षड्यंत्र, लेकिन आम लोग हर मुद्दे की तह में जाकर पड़ताल करके समझ बनाएं यह मुमकिन नहीं। मान्यताएं उनमें ठूंसी जाती हैं। जिसे ‘इस्लामी आतंकवाद’ कहा गया, वह दरअसल है क्या? यह आतंकवाद सचमुच इस्लामी है या कुछ और? अगर इस्लाम ही है तो इसकी जड़ें कहां हैं? इस तथ्य का खुलासा करने के लिए एक शब्द का उल्लेख और उसका आशय समझ कर ही आगे बात की जा सकती है: ‘जिहाद’! आखिर जिहाद है क्या? इसकी उत्पत्ति कहां से हुई और आशय क्या था?
जिहाद की कुरान में पहली ही व्याख्या ‘जिहाद अल-नफस’ यानी खुद की बुराइयों के खिलाफ जंग है। जब ऐसा है तो फिर अचानक वह जिहाद कहां से आया जो इंसानों का, यहां तक कि मासूम बच्चों का खून बहाना इस्लाम का हिस्सा बन गया। दुनिया भर में ‘इस्लामी’ आतंकवाद खतरा बन मंडराने लगा। पर कहां से आया यह खतरा?
इस्लाम जैसे-जैसे परवान चढ़ा, अन्य धर्मों की तरह इसके भी फिरके बनते गए। एक रूप इस्लाम का शुरू से ही रहा और वह था राजनीतिक इस्लाम। जाहिर है कि सत्ता के लिए न जाने कितनी जंग लड़ी गर्इं और खुद मोहम्मद ने जंग-ए-बदर लड़ी। आसानी से कहा जा सकता है कि यह जंग भी मजहब को विस्तार देने के लिए लड़ी गई। मगर असली उद्देश्‍य था सत्ता और इस्लामी सत्ता। जंग-ए-बदर में सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा किसी जंग में होता है, पर जिहाद की कुरान में दी गई परिभाषा फिर भी जस की तस रही।
वर्ष 1299 में राजनीतिक इस्लाम ने पहला बड़ा कदम उठाया और ऑटोमन साम्राज्य या सल्तनत-ए-उस्मानिया की स्थापना हुई।  (1299-1922)। आम धारणा कि यह जिहाद के नाम पर हुआ, मात्र मनगढ़ंत है। सत्ता की भूख इसकी मुख्य वजह थी।
जिहाद की नई परिभाषा गढ़ी अठारहवीं शताब्दी में मोहम्मद इब्न-अब्दुल-वहाब ने, जिसके नाम से इस्लाम ने एक नया मोड़ लिया, जिसमें जिहाद अपने विकृत रूप में सामने आया। नज्त में जन्मे इसी मोहम्मद इब्न-अब्दुल-वहाब (1703-1792) से चलने वाला सिलसिला आज वहाबी इस्लाम कहलाता है, जो सारी दुनिया को आग और खून में डुबो देना चाहता है।
मोहम्मद इब्न-अब्दुल-वहाब के आने से बहुत पहले सूफी सिलसिला मोहब्बत का पैगाम देने और इंसानों को इंसानों से जोड़ने के लिए आ चुका था। इसका प्रसार बहुत तेजी से तुर्की, ईरान, अरब और दक्षिण एशिया में हो चुका था। सूफी सिलसिले से जो कर्मकांड जुड़ गए वह अलग मसला है, मगर हकीकत है कि सूफी सिलसिले ने इस्लाम को बिल्कुल नया आयाम दे दिया और वह संकीर्णता की जंजीरें तोड़ता हुआ इस्लाम की हदें भी पार कर गया।
सल्तनत-ए-उस्मानिया से लेकर फारस और अरब तक सूफी सिलसिलों ने जो दो बेहद महत्त्वपूर्ण काम अंजाम दिए वे थे गुलाम रखने की परंपरा खत्म करना और स्त्री मुक्ति का द्वार खोलना। फारस में मौलाना रूमी के अनुयायियों द्वारा मेवलेविया सिलसिले ने तेरहवीं सदी में औरतों के लिए इस सूफी सिलसिले के दरवाजे न सिर्फ खोले बल्कि उनको बराबर का दर्जा दिया। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सूफियों के संगीतमय वज्दाना नृत्य (सेमा) में पुरुषों और महिलाओं की बराबर की हिस्सेदारी होने लगी। मौलाना रूमी की मुख्य शिष्या फख्रंनिसां थी। उनका रुतबा इतना था कि उनके मरने के सात सौ साल बाद मेवलेविया सिलसिले के उस समय के प्रमुख शेख सुलेमान ने अपनी निगरानी में उनका मकबरा बनवाया।
महान सूफी शेख इब्न-अल-अरबी (1165-1240) खुद सूफी खातून फातिमा बिन्त-ए-इब्न-अल-मुथन्ना के शागिर्द थे। शेख इब्न-अल-अरबी ने खुद अपने हाथों से फातिमा बिन्त-ए-इब्न-अल-मुथन्ना के लिए झोपड़ी तैयार की थी, जिसमें उन्होंने जिंदगी बसर की और वहीं दम तोड़ा।
मोहम्मद इब्न-अब्दुल-वहाब ने एक-एक कर इस्लाम में विकसित होती खूबसूरत और प्रगतिशील परंपराओं को ध्वस्त करना शुरू किया और उसे इतना संकीर्ण रूप दे दिया कि उसमें किसी तरह की आजादी, खुलेपन, सहिष्णुता और आपसी मेलजोल की गुंजाइश ही न रहे। कुरान और हदीस से बाहर जो भी है उसको नेस्तनाबूद करने का बीड़ा उसने उठाया। अब तक का इस्लाम कई शाखाओं में बंट चुका था। अहमदिया समुदाय अब्दुल-वहाब के काफी बाद उन्नीसवीं सदी में आया लेकिन शिया, हनफी, मुलायिकी, सफई, जाफरिया, बाकरिया, बशरिया, खुलफिया हंबली, जाहिरी, अशरी, मुन्तजिली, मुर्जिया, मतरुदी, इस्माइली, बोहरा जैसी अनेक आस्थाओं ने इस्लाम के अंदर रहते हुए अपनी अलग पहचान बना ली थी और उनकी पहचान को इस्लामी दायरे में स्वीकृति बाकायदा बनी हुई थी।
इनके अलावा सूफी मत तो दुनिया भर में फैल ही चुका था और अधिकतर पहचानें सूफी मत से रिश्ता भी बनाए हुए थीं। लेकिन मोहम्मद इब्न-अब्दुल-वहाब की आमद और प्रभाव ने इन सभी पहचानों पर तलवार उठा ली। ‘मुख्तसर सीरत-उल-रसूल’ नाम से अपनी किताब में खुद मोहम्मद इब्न-अब्दुल-वहाब ने लिखा ‘जो किसी कब्र, मजार के सामने इबादत करे या अल्लाह के अलावा किसी और से रिश्ता रखे वह मुशरिक (एकेश्वरवाद विरोधी) है और हर मुशरिक का खून बहाना और उसकी संपत्ति हड़पना हलाल और जायज है।’
यहीं से शुरू हुआ मोहम्मद इब्न-अब्दुल-वहाब का असली जिहाद, जिसने छह सौ लोगों की एक सेना तैयार की और हर तरफ घोड़े दौड़ा दिए। तमाम तरह की इस्लामी आस्थाओं के लोगों को उसने मौत के घाट उतारना शुरू किया। सिर्फ अपनी विचारधारा का प्रचार करता रहा और जिसने उसे मानने से इनकार किया उसे मौत मिली और उसकी संपत्ति लूटी गई। मशहूर इस्लामी विचारक जैद इब्न अल-खत्ताब के मकबरे पर उसने निजी तौर पर हमला किया और खुद उसे गिराया।
मजारों और सूफी सिलसिले पर हमले का एक नया अध्याय शुरू हुआ। इसी दौरान उसने मोहम्मद इब्ने सांद के साथ समझौता किया। मोहम्मद इब्ने सांद दिरिया का शासक था और धन और सेना दोनों उसके पास थे। दोनों ने मिलकर तलवारों के साथ-साथ आधुनिक असलहों का भी इस्तेमाल शुरू किया। इन दोनों के समझौते से दूरदराज के इलाकों में पहुंच कर अपनी विचारधारा को थोपना और खुलेआम अन्य आस्थाओं को तबाह करना आसान हो गया। अन्य आस्थाओं से जुड़ी तमाम किताबों को जलाना मोहम्मद इब्न-अब्दुल-वहाब का शौक-सा बन गया। इसके साथ ही उसने एक और घिनौना हुक्म जारी किया और वह यह था कि जितनी सूफी मजारें, मकबरे या कब्रें हैं उन्हें तोड़ कर वहीं मूत्रालय बनाए जाएं।
सऊदी अरब जो कि घोषित रूप से वहाबी आस्था पर आधारित राष्ट्र है, उसने मोहम्मद इब्न-अब्दुल-वहाब की परंपरा को जारी रखा। बात यहां तक पहुंच गई कि 1952 में बुतपरस्ती का नाम देकर उस पूरी कब्रगाह को समतल बना दिया गया जहां मोहम्मद के पूरे खानदान और साथियों को दफन किया गया था। ऐसा इसलिए किया गया कि लोग जियारत के लिए इन कब्रगाहों पर जाकर मोहम्मद और उनके परिवार को याद करते थे।
अक्टूबर 1996 में काबा के एक हिस्से अल्मुकर्रमा को भी इन्हीं कारणों से गिराया गया। काबा के दरवाजे से पूर्व स्थित अल-मुल्ताजम जो कि काबा का यमनी हिस्सा है, उसके खूबसूरत पत्थरों को तोड़ कर वहां प्लाइवुड लगा दिया गया, जिससे कि लोग पत्थरों को चूमें नहीं, क्योंकि ऐसा करने पर वहाबी इस्लाम के नजदीक यह मूर्तिपूजा हो जाती है। अभी हाल में ‘द इंडिपेंडेंट’ की एक रिपोर्ट के अनुसार मक्का के पीछे के हिस्से में जिन खंभों पर मोहम्मद की जिंदगी के महत्त्वपूर्ण हिस्सों को पत्थरों पर नक्काशी करके दर्ज किया गया था, उन खंभों को भी गिरा दिया गया। इन खंभों पर की गई नक्काशी में एक जगह अरबी में यह भी दर्ज था कि मोहम्मद किस तरह से मेराज (इस्लामी मान्यता के अनुसार मुहम्मद का खुदा से मिलने जाना) पर गए।
वहाबियत इस्लाम के पूरे इतिहास, मान्यताओं, परस्पर सौहार्द और पहचानों के सह-अस्तित्व के साथ खिलवाड़ करता आया है। एक ही पहचान, एक ही तरह के लोग, एक जैसी किताब और नस्ली शुद्धता का नारा हिटलर ने तो बहुत बाद में दिया, इसकी बुनियाद तो वहाबियत ने उन्नीसवीं शताब्दी में ही इस्लाम के अंदर रख दी थी।
अरब से लेकर दक्षिण एशिया तक वहाबियत ने अपनी इस शुद्धता का तांडव बहुत पहले से दिखाना शुरू कर दिया था, लेकिन पिछले कुछ दशकों में इसने अपना घिनौना और क्रूर रूप और भी साफ कर दिया। जहां एक तरफ मेवलेविया सिलसिले ने तेरहवीं सदी में औरतों के लिए सिलसिले के दरवाजे न सिर्फ खोले बल्कि उनको बराबर का दर्जा दिया था, वहीं दूसरी तरफ वहाबी इस्लाम ने औरतों को जिंदा दफन करना शुरू कर दिया। बेपर्दगी के नाम पर औरतों के चेहरों के हिस्से बदनुमा करने और औरतों पर व्यभिचार का इल्जाम लगा कर उन पर संगसारी करके मार देने को इस्लामी रवायत बना दिया।
वहाबियत पर विश्वास न रखने वाले मुसलमानों को इस्लाम के दायरे से खारिज करके उन्हें सरेआम कत्ल करना जायज और हलाल बताया जाने लगा। यह मात्र इस्लाम के अनुयायियों के साथ सलूक की बात है। अन्य धर्मों पर कुफ्र का इल्जाम लगा कर उन्हें खत्म करना, संपत्ति लूटना, उनकी औरतों को जबर्दस्ती वहाबियत पर धर्मांतरण करवाना इनके लिए एक आम बात बन चुकी है।
वहाबियत या वहाबी इस्लाम लगातार पूरी दुनिया के लिए खतरा बनता जा रहा है। मौत के इन सौदागरों की करतूत को आमतौर पर इस्लामी आतंकवाद का नाम दिया जाता है, जिसकी साजिश वाशिंगटन और लंदन में रची जाती है और कार्यनीति सऊदी अरब से लेकर दक्षिण एशिया तक तैयार की जाती है। अल-कायदा, तालिबान, सिपाह-ए-सहबा, जमात-उद-दावा, अल-खिदमत फाउंडेशन, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन इस साजिश को अंजाम देकर लगातार खूनी खेल खेल रहे हैं।
दक्षिण एशिया में वहाबी इस्लाम की जड़ों को मजबूत करने का काम मौलाना मौदूदी ने अंजाम दिया। हकूमत-ए-इलाहिया इसी साजिश का हिस्सा है जिसके तहत गैर-वहाबी आस्थाओं को, चाहे वह इस्लाम के अंदर की आस्थाएं हों या गैर-इस्लामी, जड़ से उखाड़ फेंकने और उनकी जगह एक ऐसा निजाम खड़ा करने की योजना है जिसमें हिटलर जैसा वहाबी परचम लहराया जा सके। किससे छिपा है कि सऊदी अरब का हर कदम अमेरिका की जानकारी में उठता है। क्या अमेरिका को इसका इल्म नहीं कि सऊदी अरब अपने देश से लेकर पाकिस्तान और बांग्लादेश तक इन संगठनों की तमाम तरह से मदद कर रहा है और इसकी छाया हिंदुस्तान पर भी मंडरा रही है।
आज की वहाबी आस्था के पास केवल तलवार और राइफलें नहीं हैं बल्कि इनके हाथों बेहद खतरनाक आधुनिकतम हथियार लग चुके हैं। इनकी नजरें पाकिस्तान में मौजूद परमाणु हथियारों पर भी हैं। आस्था जब पागलपन बन जाए तो वह तमाम हदें पार कर सकती है। जो लोग ईद के दिन मस्जिदों में घुसकर लाशों के अंबार लगा सकते हैं वे मौका मिलने पर क्या कुछ नहीं कर गुजर सकते। वहाबियत का खतरा इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए। इस खतरे की चपेट में हर वह शख्स है जो इस दरिंदगी के खिलाफ खड़ा है।

सारे मुसलमान हिन्दु हैं – मौलाना मुफ्ती अब्दुल कयूम

सारे मुसलमान हिन्दु हैं , अल्लाह नामकी चीज कोई
नहीं है . सब गढ़ा हुआ है,
इसे पढ़े —–

स्व0 मौलाना मुफ्ती अब्दुल कयूम
जालंधरी संस्कृत ,हिंदी,उर्दू ,फारसी व अंग्रेजी के
जाने-माने विद्वान् थे।
अपनी पुस्तक “गीता और कुरआन “में उन्होंने निशंकोच
स्वीकार किया है कि, “कुरआन”की सैकड़ों आयतें
गीता व उपनिषदों पर आधारित हैं।
मोलाना ने मुसलमानों के पूर्वजों पर भी काफी कुछ
लिखा है ।
उनका कहना है कि इरानी “कुरुष ” ,”कौरुष “व
अरबी कुरैश मूलत : महाभारत के युद्ध के बाद भारत से
लापता उन २४१६५कौरव सैनिकों के वंसज हैं, जो मरने से
बच गए थे।
अरब में कुरैशों के अतिरिक्त “केदार”व “कुरुछेत्र”
कबीलों का इतिहास भी इसी तथ्य को प्रमाणित
करता है।
कुरैश वंशीय खलीफा मामुनुर्र्शीद(८१३-८३५) के
शाशनकाल में निर्मित खलीफा का हरे रंग
का चंद्रांकित झंडा भी इसी बात को सिद्ध
करता है।
कौरव चंद्रवंशी थे और कौरव अपने आदि पुरुष के रूप में
चंद्रमा को मानते थे। यहाँ यह तथ्य भी उल्लेखनीय है
कि इस्लामी झंडे में चंद्रमां के ऊपर“अल्लुज़ा”अर्ताथ
शुक्र तारे का चिन्ह,अरबों के कुलगुरू“शुक्राच
ार्य“का प्रतीक ही है।
भारत के कौरवों का सम्बन्ध शुक्राचार्य से
छुपा नहीं है।
इसी प्रकार कुरआन में “आद“जाती का वर्णन है,वास्तव में
द्वारिका के जलमग्न होने पर जो यादववंशी अरब में बस
गए थे,वे ही कालान्तर में “आद” कोम हुई।
अरब इतिहास के विश्वविख्यात विद्वान् प्रो०
फिलिप के अनुसार२४वी सदी ईसा पूर्व
में“हिजाज़” (मक्का-मदीना) पर जग्गिसा (जगदीश)
का शासन था।
२३५०ईसा पूर्व में शर्स्किन ने जग्गीसा को हराकर अंगेद
नाम से राजधानी बनाई।
शर्स्किन वास्तव में नारामसिन अर्थार्त नरसिंह
का ही बिगड़ा रूप है।
१००० ईसा पूर्व अन्गेद पर गणेश नामक राजा का राज्य
था।
६ वी शताब्दी ईसा पूर्व हिजाज पर हारिस
अथवा हरीस का शासन था।
१४वी सदी के विख्यात अरब इतिहासकार
“अब्दुर्रहमान इब्ने खलदून ” की ४०से अधिक भाषा में
अनुवादित पुस्तक “खलदून का मुकदमा” में लिखा है
कि ६६० इ०से १२५८ इ० तक “दमिश्क” व
“बग़दाद”की हजारों मस्जिदों के निर्माण में
मिश्री,यूनानी व भारतीय वातुविदों ने सहयोग
किया था।
परम्परागत सपाट छतवाली मस्जिदों के स्थान पर
शिवपिंडी कि आकृति के गुम्बदों व उस पर अष्ट दल कमल
कि उलट उत्कीर्ण शैली इस्लाम को भारतीय
वास्तुविदों की देन है।
इन्ही भारतीय वास्तुविदों ने“बैतूल हिक्मा” जैसे
ग्रन्थाकार का निर्माण भी किया था।
अत: यदि इस्लाम वास्तव में यदि अपनी पहचान
कि खोंज करना चाहता है तो उसे
इसी धरा ,संस्कृति व प्रागैतिहासिक ग्रंथों में स्वं
को खोजना पड़ेगा.
जय हिंदु

Thursday, December 26, 2013

भारतीय मुसलमानों का सच

Muslim places matrimonial

An Indian Muslim places matrimonial
advt for a " SECOND WIFE " as a backup
bride, but insists she must be a VIRGIN.
What a HYPOCRITE !

Friday, December 20, 2013

मुस्लिम‬ मित्रों से एक छोटा सा सवाल

‎मुस्लिम‬ मित्रों से एक छोटा सा सवाल :-

हाल ही में हुए मुज्जफरनगर दंगों पर सभी आहत हैं चाहें वे हिन्दू हो या मुसलमान, पर ज्यादातर मुस्लिम समुदाय इसके लिए राजनैतिक पार्टिओं को कोस रहा है.. हो सकता है उन दंगों को भड़काने में राजनैतिक पार्टिओं का भी हाथ हो, पर जिस मुज्जफरनगर में आज़ादी से पहले से आजतक कोई साम्प्रदायिक दंगा नहीं हुआ था वहाँ पहली बार २०१३ में दंगा हुआ..

दंगा क्यों हुआ और किस समुदाय ने इसकी शुरुवात की वो भी सबको पता है बताने की जरुरत नहीं है, तो यहाँ सवाल ये पैदा होता है कि कई दशकों से चली आ रही है हिन्दू- मुसलमानों की एकता को वहाँ भंग करने का काम किसने शुरू किया ? और केवल वहीँ नहीं दुनिया के हरेक कोने में सबसे पहले मार- काट दंगे कौन शुरु करता है बताने की जरुरत नहीं है.. फिर जब गैर मुस्लिम इसका जवाब देते हैं तो मुस्लिम समुदाय रोना क्यों शुरू कर देता है ?

जीवन का नियम है कि क्रिया की प्रतिक्रिया हमेशा होती है.. चाहें बड़ी हो या छोटी हो..

गुजरात दंगे किसने शुरू किए थे ? बर्मा दंगे क्यों शुरू हुए थे ? अमेरिका ने पाकिस्तान वा अफगानिस्तान पर हमले क्यों शुरू किए थे ? इजरायल के साथ युद्ध ना करने के दस्तावेजों पर साइन करने के बाद पहले लड़ाई की पहल कौन करता है.. ? भारत से पाकिस्तान को अलग काटने की माँग की पहल किसने शुरू की थी ? ऐसे बहुत से सवाल हैं जहाँ पर आपको ऐसे हरेक मामले में शुरूवात करने वाला पक्ष मुस्लिम समुदाय ही मिलेगा..

फिर ऐसे में दुसरे पक्ष यदि अपनी आत्मरक्षा में कुछ कदम उठाता है तो क्या वो गलत है ? मुज्जफरनगर दंगों में क्या सपा, ‪#‎मोदी‬ या अमित शाह या किसी अन्य पार्टी ने कहा था कि जाओ और जाकर जाटों की लड़की को छेड़ो ? और जब उनके भाई इसके विरोध में आयें तो उन दोनों को जान से मार दो ?

राजनैतिक पार्टियाँ अपने लाभ के लिए किसी दंगे को बड़ा कर सकती हैं पर पैदा नहीं कर सकती हैं.. यदि हिन्दू साम्प्रदायिक होते हैं और मोदी या संघ या राजनैतिक पार्टियाँ आदि हिन्दुओं को भड़काती हैं तो हिमाचल प्रदेश में तो करीब 98% से ज्यादा हिन्दू हैं और हर साल वहाँ पर सरकारें बदलती हैं भाजपा भी सत्ता में आती है फिर भी वहाँ अभी तक हिन्दू- मुसलमानों का एक भी साम्प्रदायिक दंगा क्यों नहीं हुआ ?

इसका केवल एक ही कारण है क्योंकि हिन्दू वहाँ अभी बहुमत में हैं और मुस्लिम समुदाय अल्पमत में.. और दुनिया के किसी भी कोने में देख लीजिये जहाँ- जहाँ पर मुस्लिम बहुमत में हैं वहाँ पर गैर मुसलमानों के साथ आये दिन मुसलमानों के साथ टकराव आम बात होती है..

तो क्या गैरमुसलमानों का अपने बचाव में कोई कदम उठाना गलत है वो भी जब- जब कि हमेशा हर दंगे मार- काट की शुरुवात मुस्लिम समुदाय ही करता है..

मुस्लिम मित्रों से जवाब की आश रहेगी....

मुस्लिम कब समझेंगे की उन्हें विकास चाहिए ना की धार्मिक कट्टरता

‪‎मुजफ्फरनगर‬ ,शामली से विस्थापित हुए मुस्लिम केम्पों में अब तक 60 से ज्यादा वृद्ध और बच्चे ‪‎ठण्ड‬ से अपनी जान गँवा चुके .....

1000 से ज्यादा लोग निमोनिया से ग्रस्त हैं , और मूलभूत सुविधायों के अभाव से लगभग सभी ग्रस्त हैं

इस देश के मुस्लिम कब समझेंगे की उन्हें विकास चाहिए ना की धार्मिक कट्टरता ,,,,,

‪‎मुस्लिमों‬ के रहनुमा बनने वाली केंद्र सरकार में बैठी ‪‎कोंग्रेस‬ हो ...

‪‎मुल्ला‬ टोपी पहनकर आतंकियों की पैरोकार करने वाली समाजवादी पार्टी हो

या अभी अभी नवजात मुस्लिम पैरोकार का दावा करने वाली ‪‎आप‬ हो ...
इनमे से कोई भी पार्टी ने अभी तक रिलीफ केम्पों में सुविधाओं के लिए कोई कदम उठाना तो दूर बल्कि इनके लिए कोई चर्चा करना भी मुनासिब नहीं समझा .....

क्या कोंग्रेस के पास इनके लिए फंड की कमी है ? ???????

क्या समाजवादी पार्टी की सरकार होते हुए इनके पास प्रशासन या पैसे की कमी है ????????

क्या देश हित में चंदा इकटठा करने वाली आ आ पा के पास इतना भी पैसा नहीं की वो इन रिलीफ केम्पों को कुछ राहत सामग्री भिजवा सके ???

असल में मुस्लिमों को ये बात समझनी होगी की कब तक वो धर्म के नाम पर दिखाए जा रहे इस डर को दिल में पाल कर रखेगी ? .......कब तक वो वोट बैंक की घटिया राजनीति का शिकार होती रहेगी??????? .....हिंसा बिल के जरिये मुसलमानों का कुछ भला नहीं होना बल्कि हिन्दू- मुस्लिम के बीच खाई को और बढाया जाना है जिसके दुस्प्रभाव ही होंगे आपके लिए

अंत में बता दूँ की रिलीफ केम्पों में कुछ लोकल हिन्दू ही इन्हें कम्बल आदि मुहेया करवा रहें हैं लेकिन वो नाकाफी हैं क्यूंकि जब तक मुस्लिम अपने धार्मिक कट्टरपन और इस्तेमाल होने की प्रवर्ति नहीं छोड़ेंगे , तब तक हिन्दुओं में पूर्ण विश्वास नहीं जागेगा आपके प्रति .....

Tuesday, December 17, 2013

अगर ये गुजरात में हुआ होता ?





अगर ये गुजरात में हुआ होता ?

सऊदी अरब में अल-सलाम नामक जगह में एक सीवर ड्रेनेज से पचास कुरआन बरामद की गईं। एक बच्चे ने खेलते-खेलते इन्हें देखा और पुलिस को बुलाया और सीवर खुलवाने से यह पता चला। सऊदी अरब में यह पहली बार नहीं हुआ है और इस वर्ष के आरम्भ में भी कुरआन के अपमान का एक मामला सामने आया था, लेकिन उसे दबा दिया गया। इस घटना ने समूची मुस्लिम दुनिया में गहरी चिंता व्याप्त कर दी है। ताज्जुब है कि अभी तक अपने देश में इसके विरोध में 'शांतिदूतों' द्वारा कोई 'आज़ाद मैदान' नहीं किया गया । अरे इनको तो पाकिस्तान से लेकर अफगानिस्तान, ईरान से लेकर किर्गिस्तान, लीबिया से लेकर इथोपिया और इराक से लेकर सूडान तक में होने वाली जरा जरा सी घटनाओं की चिंता रहती है, भले ही कश्मीर और आसाम के हिंदुओं के दुःख दर्द, बांग्लादेशियों की बढ़ती घुसपैठ और अपने ही पड़ोस के किसी मकान में रह रहे आतंकियों पर नजर कभी ना जाये। क्या खबर नहीं मिली अभी तक शांतिदूतों को इस घटना की या इनकी सोच में कुछ सुधार आया है, सोचने वाली बात है।