जापान विश्व में एकमात्र ऐसा देश है जो, मुसलमानो को नागरिकत्व प्रदान नहीं करता
जापान विश्व में एकमात्र ऐसा देश है जो, मुसलमानो को नागरिकत्व प्रदान नहीं करता और उसके विरुध्द संयुक्त राष्ट्र संघ में कोई विशेष न्यायासन भी नहीं है। इस्लाम के प्रचार-प्रसार पर यहाँ पूर्णतः प्रतिबंध है। मदरसा भी नहीं है। धर्मांतरण किया नहीं जा सकता। मुसलमान धर्मांधता एवं कट्टरता निर्माण करते है, ऐसा जपान सरकार का सैध्दांतिक आरोप है।इसलिए यहाँ मुसलमानों के संबंध में कठोरता पूर्वक सजगता रखी जाती है। इस ही के कारण
१) जापान में अभी तक किसी प्रकार के दंगे या आतंकी कृत्य हो नहीं पाया।
२) जापान में चार शतक पूर्व तक १० लक्ष मुसलमान थे,अब केवल पौने दो लक्ष बचे है।राष्ट्रिय परिवार नियोजन तथा एक विवाह नियम है।
३) जापान के मुसलमान केवल जापानी भाषा-लिपि का ही प्रयोग कर सकते है। जापानी भाषा में अनुवाद किया हुवा ही कुराण रख सकते है।
४) नमाज भी केवल जापानी में ही पढ़ सकते है।
५) जापान में केवल पांच मुस्लिम राष्ट्र के दूतावास है और उनके कर्मचारियों को भी जापानी भाषा में ही संवाद करना होता है।
६) जापान में धर्मांतरण प्रतिबंधित है।
७) ख्रिश्चन धर्मगुरू (पाद्री) भी यहाँ बेरोजगार है।गत ५० वर्ष में जापान निवासी ख्रिश्चानो की जनसँख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई।
धर्म के नाम अल्पसंख्या के आधार पर विभाजन और हत्याओ को झेलकर खंडित हिन्दुस्थान जिस धर्मनिरपेक्षता का विधान दिखाकर तुष्टिकरण की राजनीती के लिए समान नागरिकता तक लागु नहीं करता उनके लिए यह एक उदहारण है।महायुध्द झेलकर राख से उठकर खड़ा इतना सा देश विश्व में विश्वसनीय तांत्रिक उत्पादन बेचकर अपनी अर्थ व्यवस्था को बनाये है।प्राकृतिक आपदाओ से बारंबार लड़ता खड़ा होता विश्व ने देखा है।भारतीय संस्कृति को मात्रु संस्कृति कहनेवाले देश ने जापान हिन्दू महासभा के अध्यक्ष रासबिहारी बासु - नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को आश्रय देकर भारत के शत्रु विरुध्द शंखनाद के लिए भूमि उत्पन्न कर दी।
इनसे सिखने के लिए हमारे पास मस्तिष्क की आवश्यकता है
No comments:
Post a Comment